खुद पर हो विश्वास और मन में हो संकल्प फिर कितनी भी आ जायें बाधाएँ, मिल ही जाता है रास्ता। यह कथन अपने आप में काफी कुछ बयां कर जाता है। यह सच है कि खुद पर विश्वास करने वाले व्यक्ति ही अपनी जिंदगी में सफल हो पाते हैं। आज हम जिस व्यक्ति का जिक्र करने जा रहे हैं उनकी सफलता इस बात का परिचायक है कि जिंदगी में किसी भी व्यक्ति के लिए उसका खुद पर विश्वास करना कितना मायने रखता है। 10×10 की एक अँधेरी कोठरी में अभावों के बीच अपना बचपन व्यतीत करते वाले यह शख्स आज 65,000 से भी ज्यादा लोगों को रोजगार मुहैया करा रहे हैं।
जी हाँ, हम बात कर रहे हैं भारत की सबसे बड़ी हाउसकीपिंग फर्म और 1,000 करोड़ के भारत विकास ग्रुप (बीवीजी) की आधारशिला रखने वाले हनमंत रामदास गायकवाड की सफलता के बारे में। महाराष्ट्र के सतारा जिले के कोरेगाँव में एक बेहद ही गरीब परिवार में जन्में और पले-बढ़े हनमंत बचपन से ही पढ़ाई-लिखाई में मेधावी थे। हनमंत सभी विषयों में सबसे ज्यादा गणित में रूचि रखते थे। इनके पिता कोर्ट में क्लर्क थे और परिवार के लिए एकमात्र आय का सहारा। घर की माली हालात कुछ ठीक नहीं थी लेकिन पिता हमेशा यही चाहते थे कि बेटे की पढ़ाई में पैसे की कमी अरचन नहीं बनें।
बेटे की अच्छी और गुणवत्तापूर्ण पढ़ाई के उद्येश्य से इनके पिता परिवार के साथ सतारा चले आए। यहीं हनमंत ने एक मराठी स्कूल में अपनी पढ़ाई शुरू की। एक 10×10 की छोटी कोठरी में ही पूरा परिवार रहता था। यहाँ बिजली का नामोनिशान तक नहीं था। गरीबी और संघर्षों से लड़ते हुए हनमंत को इस बात का बखूबी अहसास हो गया कि जिंदगी में गरीबी से मुक्ति पाने का एकमात्र ऊपाय अच्छी शिक्षा हासिल करना ही है। इन्होंने मन लगाकर पढ़ाई शुरू की और इन्हें चौथी कक्षा में ही महाराष्ट्र सरकार से छात्रवृत्ति मिलनी शुरू हो गई। छात्रवृत्ति के तौर पर इन्हें हर महीने 10 रुपये मिलते थे।
महज़ आठ कर्मचारियों से शुरू हुई यह कंपनी आज देश के बीस राज्यों में अपनी सेवाएँ दे रही है। कंपनी के 700 से ज्यादा क्लाइंट हैं और इनके ग्राहकों की सूची में देश-विदेश की नामचीन कंपनियां शामिल हैं। भारत विकास ग्रुप अलग-अलग तरह की सेवाएँ देने वाली कंपनियों का देश में सबसे बड़ा समूह भी हैं। एशिया महाद्वीप में आपातकालीन चिकित्सा सेवाएं प्रदान करने वाली सबसे बड़ी कंपनी भी यही है। राष्ट्रपति भवन, संसद भवन, प्रधानमंत्री निवास, दिल्ली उच्च न्यायालय जैसे देश के अत्यंत महत्वपूर्ण स्थानों की देखरेख और साफ़-सफाई की ज़िम्मेदारी भी भारत विकास ग्रुप के पास ही है।
2027 तक 10 लाख लोगों को रोज़गार देने का लक्ष्य रखने वाले हनमंत को कभी खुद रोजगार के लिए दर-दर की ठोकरें खानी पड़ी थी लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी, मेहनत किया और आज इतने ऊँचे मुकाम तक पहुँचने में सफल हुए।