हिमाचल प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां बढ़ रही हैं। भाजपा-कांग्रेस तो लगातार एक्टिव मोड में हैं ही लेकिन इस बार तीसरे दल आम आदमी पार्टी ने गर्माहट के पारे को और ऊपर पहुंचा दिया है। लिहाजा चुनावी साल में तमाम नेता और सरकार के मंत्री एक-दूसरे को घेरते…
शिमला/कांगड़ा (ब्यूरो): हिमाचल प्रदेश में चुनावी सरगर्मियां बढ़ रही हैं। भाजपा-कांग्रेस तो लगातार एक्टिव मोड में हैं ही लेकिन इस बार तीसरे दल आम आदमी पार्टी ने गर्माहट के पारे को और ऊपर पहुंचा दिया है। लिहाजा चुनावी साल में तमाम नेता और सरकार के मंत्री एक-दूसरे को घेरते हुए राजनीतिक रोटियां सेंकने में लगे हुए हैं। इसी बीच हिमाचल भाजपा महामंत्री और कांगड़ा-चम्बा संसदीय क्षेत्र के प्रभारी त्रिलोक कपूर से पंजाब केसरी के अनिल पराशर ने खास बातचीत की। हिमाचल कांग्रेस में किए गए बदलाव को लेकर भाजपा महामंत्री कहते हैं कि कांग्रेस की नई नियुक्तियां और इस तरह के संगठन की संरचनाएं नई नहीं हैं। सोचा था कि क्या पता कांग्रेस संगठन में परिवर्तन लाएगी लेकिन वही हुआ जो दिल्ली में हुआ। हिमाचल में भी सिद्ध होने लगा कि कांग्रेस एक परिवार की पार्टी तक सीमित रह गई। दिल्ली में कांग्रेस को गांधी परिवार चला रहा है और हिमाचल में वीरभद्र परिवार। इसकी पुष्टि हिमाचल कांग्रेस में हुए बदलाव से हो गई है। पंजाब की तरह हिमाचल में भी कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का काम हो गया। इसलिए कांग्रेस की नियुक्तियों को भाजपा गंभीरता से नहीं लेती। पेश हैं बातचीत के कुछ अंश:-
Q. आम आदमी पार्टी को हिमाचल में किस तरह से देखते हैं। भाजपा-कांग्रेस को कितना नुक्सान कर सकती है?
A. हिमाचल में राजनीतिक दृष्टि से यह स्पष्ट है कि प्रदेश में इस तरह के कई राजनीतिक दलों का प्रयास हुआ लेकिन हिमाचल हमेशा दो दलों तक ही सीमित रहा। अगर आम आदमी पार्टी हिमाचल में प्रयास करती है तो इससे हिमाचल को कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्योंकि बीजेपी को पता है कि आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में क्या कमाया है और पंजाब में क्या कमा रहे हैं। धर्मशाला में आकर केजरीवाल स्वास्थ्य-शिक्षा पर कई बातें कर गए लेकिन वो ये नहीं जानते कि हिमाचल के लोगों का दिल्ली में आना-जाना लगा रहता है और कई परिवार वहां रहते हैं तथा सच्चाई जानते हैं।
A. सच्चाई ये है कि जेपी नड्डा का जो रोड शो हुआ उसमें सबने देखा कि नड्डा को भारी जनता ने कितना प्यार दिया। केजरीवाल ने धर्मशाला में प्रयास तो किया लेकिन वे फेल हो गए। पूरे हिमाचल प्रदेश से लोगों को रैली में पहुंचाने की कोशिश की गई लेकिन फिर भी कुर्सियां सबके सामने थीं जिसकी सच्चाई उनकी रैली के फोटो और वीडियो बता रहे हैं। लोगों को गुमराह करने के लिए रैली में 1500 लोग पठानकोट से लाए गए थे।
Q. चुनावी साल में जनता के सामने कोई उपलब्धियां रखना चाहेंगे?
A. हिमाचल प्रदेश में जयराम सरकार की सैंकड़ों उपलब्धियां हैं। हिमाचल के मिलनसार मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने जिस तरह से प्रदेश का नेतृत्व किया है वो देश में अव्वल है और देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उनकी पीठ थपथपा चुके हैं। कोविड से देश-प्रदेश लड़ रहा था। इसी बीच हिमाचल प्रदेश पहली और दूसरी डोज लगाने में नंबर एक पर आया था। इसके अलावा जयराम सरकार ने अनेक कल्याणकारी योजनाएं शुरू की हैं जिनका लाभ लाखों लोग ले रहे हैं।
Q. भाजपा की लिस्ट में आगे ऐसे कौन से काम होने वाले हैं जिनके आधार पर जनता आपको वोट दे?
A. काम और समस्याएं कभी खत्म नहीं होतीं लेकिन जिस तरह से सीएम जयराम ठाकुर ने प्रदेश के विकास को आगे बढ़ाया, प्रदेश को ईमानदार सुशासन दिया है उसके चलते विपरीत परिस्थितियों में भी सरकार पर भ्रष्टाचार का एक भी दाग नहीं है। इसे जयराम ठाकुर की उपलब्धि मानता हूं। कांग्रेस का सारा वक्त कोर्ट में बीतता था लेकिन जयराम राज में ऐसा नहीं है। सरकार की सबसे बड़ी उपलब्धि पैंशन की आयु सीमा को 80 साल से 60 साल करना है। ऐसे कई बड़े विषय हैं जिनके दम पर भाजपा को बुजुर्गों समेत तमाम जनता का आशीर्वाद मिलेगा।
वीरभद्र के समय होती थी भाजपा-कांग्रेस में टक्कर, अब वो नहीं तो टक्कर भी नहीं
भाजपा महामंत्री त्रिलोक कपूर ने कहा कि भाजपा कैडर बेस पार्टी है। बेशक चुनाव इस साल हो रहे हैं लेकिन भारतीय जनता पार्टी पहले दिन से तैयार है और एक-एक कार्यकर्ता को इस विचारधारा से कैसे जोड़ा जाए, उस पर काम करना है। विरोधी दल के लोग आगे आ रहे हैं लेकिन हिमाचल में इस बार जिस तरह से राजनीतिक परिस्थितियां नजर आ रही हैं उससे निश्चित तौर पर हिमाचल एक नया इतिहास रचेगा, क्योंकि बीजेपी की सबसे बड़ी शक्ति जयराम सरकार की साफ छवि और कर्मठता है। कोविड जैसी परिस्थितियों में भी सरकार ने विकास को रुकने नहीं दिया। इतना ही नहीं हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से चौथी बार के सांसद अनुराग ठाकुर का भी हिमाचल को पूरा सहयोग मिला। आदरणीय वीरभद्र सिंह थे तो बीजेपी-कांग्रेस में टक्कर होती थी लेकिन अब वीरभद्र सिंह दुनिया में नहीं हैं तो टक्कर भी नहीं है।