Ganesh Chaturthi 2022 धार्मिक उत्‍सवों में सबसे पहले क्‍यों की जाती है गणेशजी की पूजा, भगवान के अनोखे रूप से जुड़ी हर बात जानिए

भगवान गणेश, मनुष्‍यों के कष्‍ट हर लेते हैं और उनकी पूजा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। परंपरा के अनुसार, हर धार्मिक उत्‍सव और समारोह की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से ही शुरू होती है। गणेश भगवान का रूप, मनुष्‍य और जानवर के अंग से मिलकर बना हुआ है। जो कि गहरे आध्‍यात्मिक महत्‍व को दर्शाता है।

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भाद्रपद मास के शुक्‍ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को देशभर में धूमधाम से गणेश चतुर्थी का त्‍योहार मनाया जाता है। देश भर में भक्‍तजन गणपति बप्‍पा के आगमन पर उनका धूमधाम से स्‍वागत करते हैं और अगले बरस जल्‍दी आने की प्रार्थना करते हैं। गणपति उत्‍सव की तैयारियां देश भर में चल रही हैं और इस बीच हम आपको बताने जा रहे हैं कि सभी धार्मिक उत्‍सवों में क्‍यों सबसे पहले गणपति पूजा की जाती है।

भगवान गणेश को समृद्धि, बुद्धि और अच्‍छे भाग्‍य का देवता माना जाता है और उनकी कृपा से हम सभी के जीवन में शुभ लाभ और समृद्धि की प्राप्ति होती है। भगवान गणेश, सर्वशक्तिमान देवता माने जाते हैं। भगवान गणेश, मनुष्‍यों के कष्‍ट हर लेते हैं और उनकी पूजा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। परंपरा के अनुसार, हर धार्मिक उत्‍सव और समारोह की शुरुआत भगवान गणेश की पूजा से ही शुरू होती है। गणेश भगवान का रूप, मनुष्‍य और जानवर के अंग से मिलकर बना हुआ है। जो कि गहरे आध्‍यात्मिक महत्‍व को दर्शाता है।

भगवान गणेश को सभी अच्‍छे गुणों और सफलताओं का देवता माना जाता है इसीलिए लोग हर अच्‍छे काम को करने से पहले गणेशजी की पूजा करना शुभ मानते हैं। भगवान गणेश के जन्‍मदिन को गणेश चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म के लोग, आध्‍यात्मिक शक्ति के लिए, कार्य सिद्धि के लिए और लाभ प्राप्ति के लिए भगवान गणेश का पूजन धूमधाम से करते हैं। भगवान गणेश को सभी दुखों का हर्ता, संकट दूर करने वाला, सदबुद्धि देने वाला माना जाता है।

आज हम आपको कुछ महत्‍वपूर्ण और रोचक तथ्‍य बता रहे हैं कि किसी भी समारोह, उत्‍सव या अनुष्‍ठान में भगवान गणेश की पूजा सबसे पहले क्‍यों की जाती है। हिंदू धर्म के सभी अनुयायियों का मानना है कि किसी भी नए काम को शुरू करते समय भगवान गणेश का पूजन करने से उसमें कोई बाधा नहीं आती है। ऐसा माना जाता है कि अगर आपकी सफलता के रास्‍ते में कोई बाधा आती है तो भगवान गणेश की पूजा करने से दूर हो जाती है। इसलिए किसी भी शुभ कार्य को आरंभ करने से पहले गणपति जी की पूजा की जाती है।

गणेशजी की पत्नियां

भगवान गणेशजी की एक पत्‍नी सिद्धि हैं। सिद्धि, आध्यात्मिक शक्ति को दर्शाती हैं। इसलिए भगवान गणेश की पूजा, आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि प्राप्‍त करने का सबसे अच्‍छा तरीका मानी जाती है। पारंपरिक रूप से, भगवान गणेश की सूंड सीधी तरफ घुमी हुई है इसी कारण उन्‍हें सिद्धि विनायक भी कहा जाता है। गणेश जी की एक पत्‍नी का नाम बुद्धि है। इसीलिए, भगवान गणेश को बुद्धि और ज्ञान का प्रदाता माना जाता है। हाथी के मस्तिष्‍क को बुद्धि के प्रतीक के रूप में जाना जाता है।

गणेशजी के बाएं हाथ में कुल्‍हाड़ी

भगवान गणेश, ऊपरी बांए हाथ में एक कुल्‍हाड़ी धारण करते हैं जो उनके न्‍याय के रूप में और मोह माया से मुक्‍त होना दर्शाती है और उनके ऊपरी दाएं हाथ में कमल है जो उनके अंदर हर भावना को दर्शाता है। अत: स्‍पष्‍ट है भगवान गणेश, भावनाओं पर विजय प्राप्‍त कर चुके हैं और मानव जाति का उद्धार करते हैं।

गणेशजी की सवारी चूहा

भगवान गणेश की पूजा करने से मनुष्‍य में मन में भरा अंहकार मिट जाता है। भगवान गणेश की सवारी जो उनके पास ही बैठता है, हमेशा दर्शाता है कि कोई भी व्‍यक्ति अंहकार को छोड़कर सही बन सकता है। चूहा भले ही छोटा है लेकिन तब भी गणेशजी की सवारी बनने में सक्षम है।

गणेशजी का बैठने का तरीका

भगवान गणेश सदैव बांए पैर को दाएं पैर रखकर बैठते हैं, जो उनके ज्ञान को दर्शाता है कि वह हर बात को अलग नजरिए से देखते है। यह दर्शाता है कि एक सफल जीवन जीने के लिए ज्ञान और भावनाओं का सही उपयोग करना चाहिए।