Ganga Dussehra 2023: गंगा दशहरा के दिन सिद्धि योग, धन योग और रवि योग जैसे शुभ योग बन रहे हैं। इन दिन पवित्र गंगा में स्नान करने से ना सिर्फ पापों से मुक्ति मिलती है बल्कि व्यक्ति को जन्म मरण के बंधन से मुक्त होकर बैकुंठ धाम जाता है। गंगा दशहरा के दिन स्नान करने से 10 तरह के पाप मात्र एक डुबकी लगाने से दूर हो जाते हैं। आइए जानते हैं इन 10 तरह के पाप के बारे में…
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10 तरह के होते हैं पाप
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शास्त्रों व पुराणों में बताया गया है कि पाप 10 तरह के होते हैं और कोई भी मनुष्य या जीव इन्हीं 10 तरह के पापों को छोड़कर कोई और पाप नहीं कर सकता है। अर्थात हर तरह के पाप इन 10 श्रेणियों में ही आते हैं। इन 10 श्रेणियों के पापों को तीन वर्गों में बांटा गया है और ये हैं कायिक, वाचिक और मानसिक। अर्थात मनुष्य कोई भी पाप शरीर, वाणी और दिमाग या मन से करता है।
इस तरह पापों को किया गया है विभाजित
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पहला है कायिक, कायिक को भी तीन श्रेणियों में विभाजित किया गया है। दूसरा है वाचिक, वाचिक को भी चार तरह के पाप में विभाजित किया गया है। तीसरा है मानसिक, मानसिक को भी तीन तरह के ही पाप में बांटा गया है। इस तरह 3+4+3=10 अर्थात बनता है दहाई का आंकड़ा। इन 10 तरह के पापों से मुक्ति दिलाने के लिए ही दशहरा (दस तरह के पापों को हरने वाला) कहा गया है। गंगा दशहरा के दिन गंगा में स्नान करने से 10 तरह के पाप से मुक्ति मिलती है इसलिए इस पर्व को गंगा दशहरा कहा जाता है। साथ ही गंगा में पवित्र डुबकी मात्र से पापों से मुक्ति मिलने के बाद मोक्ष के द्वार खुलते हैं।
जानिए पापों के बारे में
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हिंसास्तेयान्यान्यथाकाम-पैशुन्यं परूषानृतम्।
सम्मिन्नालापव्यापादममिथ्यादूग्निपर्ययम्
पापकर्मेति दशधा कायवाड्मानसैस्त्यजेत् ।।
अर्थात हिंसा (किसी की हत्या या कष्ट पहुंचाना) स्तेय (चोरी करना) अन्यथा काम (अवैध रिति से मैथुन) पैशुन्य (चुगलखोरी करना) झूठा व्यवहार, निष्ठुर भाषण, भेद युक्त बातों से किसी का दिल दुखाना, अविनय (अशिष्टता) नास्तिकता और अवैध आचरण करना, ये 10 तरह के पाप कर्म हैं। इनको शरीर, वाणी और दिमान या मन से छोड़ देना सही है।
इस 10 तरह के पापों से मिलती है मुक्ति
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10 तरह के पापों में बिना आज्ञा या जबरन किसी की वस्तु लेना, महिलाओं का अपमान करना, हिंसा, असत्य वचन बोलना, कटुवचन का प्रयोग, किसी की फायदे के लिए शिकायत करना, दूसरे की संपत्ति को हड़पना या हड़पने की इच्छा रखना, असंबद्ध प्रलाप, दूसरें को हानि पहुंचाना या मन में इच्छा रखना और बेवजह की बातों पर परिचर्चा करना जैसी चीजें शामिल है। हिंदू धर्म के अनुयायी इस दिन गंगा में स्नान कर इन 10 तरह के पापों से मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं।
इसलिए कहा गया गंगा दशहरा
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गंगा दशहरा के दिन जब मां गंगा धरती पर अवतरित हुई थी, तब ज्येष्ठ मास, शुक्ल पक्ष, दशमी तिथि, बुध दिन, हस्त नक्षत्र, व्यतिपात, गर और आनंद योग, कन्या राशि में चंद्रमा और वृषभ राशि में सूर्य मिलाकर 10 चीजें थी, इसलिए इस शुभ दिन को गंगा दशहरा कहा जाता है। इस दिन पवित्र गंगा में स्नान करने से व्यक्ति को बैकुंठ लोक की प्राप्ति होती है, ऐसा भी पुराणों में बताया गया है।