गंगाजल रामबाण दवा! जिन संक्रमण में एंटीबायोटिक भी फेल उनका होगा इलाज, AIIMS रिसर्च में दावा

Ganga water may cure infections : पिछले कुछ वर्षों से कुछ बैक्टीरियल इन्फेक्शन के इलाज में तमाम एंटीबायोटिक या तो असर खो रहे हैं या फिर बेअसर हो रहे हैं। ऐसे में एक उम्मीद की किरण खिली है गंगाजल में पाए गए एक नए बैक्टीरिया से। गंगा के पानी में ऐसा बैक्टीरिया मिला है जो गंभीर संक्रमण के इलाज में कारगर हो सकता है।

नई दिल्ली : गंगा नदी के पानी में ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जिनमें औषधीय गुण पाया जाता है। इसी वजह से गंगाजल खराब नहीं होता। ये बात तो आप जानते ही होंगे। लेकिन क्या आप जानते हैं कि गंगाजल कई तरह के संक्रमण के इलाज में राम बाण साबित हो सकता है? यहां तक कि कई एंटीबायोटिक दवाओं से भी ज्यादा कारगर है। चौंकिए नहीं। ऑल इंडिया इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (AIIMS) के रिसर्च में ये बात साबित हुई है। रिसर्च के मुताबिक गंगाजल में कुछ खास तरह के बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो इंसानों में गंभीर संक्रमण के इलाज में कुछ एंटीबायोटिक से भी ज्यादा कारगर है।

रिसर्चरों ने महसूस किया कि गंगाजल में पाए जाने वाले बैक्टीरिया तमाम तरह के संक्रमण के इलाज में मौजूदा उपलब्ध एंटीबायोटिक की जगह ले सकते हैं। कई एंटीबायोटिक यूरिन इन्फेक्शन, गंभीर बर्न इंजरी, सर्जरी के दौरान लगे कट, निमोनिया जैसे लंग इन्फेक्शन, डायबिटीज जैसे इन्फेक्शन में अपना असर खो रहे हैं। गंगाजल इनके इलाज में कारगर साबित हो सकता है।

गंगा नदी में बहुत सारे फायदेमंद बैक्टीरिया पाए जाते हैं। एम्स के माइक्रोबायॉलजी डिपार्टमेंट ने 4 साल पहले गंगाजल पर रिसर्च शुरू किया था। वाराणसी के अलग-अलग घाटों से गंगाजल का सैंपल लिया गया था। रिसर्च के दौरान गंगाजल में एक ऐसे बैक्टीरिया की मौजूदगी का पता चला जिसका डीएनए ड्रग-रेजिस्टेंट इन्फेक्शन का इलाज कर सकता है। डिपार्टमेंट ने इस बैक्टीरिया को ‘सूडोमोनस एरुजिनोसा’ नाम दिया है।

रिसर्च टीम की सदस्य डॉक्टर निशा राठौर ने बताया, ‘गंगाजल में मिला यह नया बैक्टीरिया इंसानों के इम्यून सिस्टम के लिए नुकसानदायक भी नहीं है जबकि कई एंटीबायोटिक दवाएं शरीर के अच्छे बैक्टीरिया को भी मार देती हैं।’

एम्स में माइक्रोबायॉलजी डिपार्टमेंट की हेड डॉक्टर रमा चौधरी ने हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडियाको बताया कि हालिया वर्षों में कई एंटीबायोटिक अपना असर खो चुके हैं। सेफ्टाजिडाइन, इमिपेनेम और एमिकासिन जैसे एंटीबायोटिक संक्रमण के इलाज में बेअसर साबित हुए हैं। इस दौरान संक्रमण के लिए जिम्मेदार बैक्टीरिया भी ड्रग-रेजिस्टेंट होते जा रहे हैं यानी उन पर दवाओं का असर खत्म होता जा रहा है। इससे कुछ सीमित एंटीबायोटिक ही कारगर हैं जो एक बड़ी चुनौती है। इससे इलाज भी ज्यादा खर्चीला हो रहा है।

डॉक्टर रमा ने बताया कि कई बार ऐसा होता है कि जब संक्रमण का कोई गंभीर केस आता है तो उनके इलाज के लिए कोई कारगर एंटीबायोटिक ही नहीं होती। उन्होंने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि ये नया बैक्टीरिया (गंगाजल में पाया गया) ऐसे संक्रमण के इलाज में बहुत कारगर साबित होगा।’

गंगाजल में मिला नया बैक्टीरिया संक्रमण के इलाज में वरदान साबित हो सकता है। खासकर तब जब दुनियाभर में लाखों लोग संक्रमण से जान गंवा रहे हैं क्योंकि उनके इलाज में एंटीबायोटिक दवाएं बेअसर हो रही हैं। संक्रमण फैलाने वाले बैक्टीरिया धीरे-धीरे एंटीबायोटिक्स के खिलाफ ऐसी क्षमता हासिल कर रहे हैं जिससे उनका असर कम या फिर बिल्कुल खत्म हो जा रहा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, 2019 में ड्रग-रेजिस्टेंट बैक्टीरिया इन्फेक्शन की वजह से दुनियाभर में करीब 13 लाख मौतें हुई थीं।