प्रदेश में गिरते सेब के दामों को लेकर बागवान एकजुट हो गए हैं।बागवानों ने सेब के मुद्दे को लेकर किसान संयुक्त मोर्चा के गठन कर शिमला के कालीबाड़ी हॉल में मीटिंग कर आगामी रणनीति पर चर्चा और सुझाव लिये।बागवानों ने सेब पर एमएसपी निर्धारित करने की सरकार से मांग की है।मीटिंग में विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि और विधायक राकेश सिंघा, विक्रमादित्य सिंह सहित किसान नेता और बागवान मौजूद रहे।
संयुक्त किसान मंच की मीटिंग में पहुंचे विधायक विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि सेब बागवानों के मुद्दे को विधानसभा में उठाया जाएगा।सरकार को बागवानों के मसले पर हस्तक्षेप करने की आवश्यकता है क्योंकि सेब के दाम गिरने से प्रदेश के बागवानों को नुकसान झेलना पड़ रहा है।कांग्रेस 2022 के मेनिफेस्टो में सेब पर एमएसपी देने के मामले को शामिल करेगा।
हिमाचल किसान सभा के अध्यक्ष कुलदीप सिंह तंवर ने बताया कि भारत सरकार 23 फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य देती है लेकिन प्रदेश में उत्पादित एक भी फसल पर समर्थन मूल्य नही दिया जा रहा है। जिसका परिणाम यह हुआ है कि प्रदेश में टमाटर, अदरक, व अब सेब के बागबानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सेब की बम्पर फसल हुई है लेकिन सरकार के हस्तक्षेप के बिना दाम गिर गए है।
संयुक्त किसान मंच ने सेब पर न्यूनतम समर्थन मूल्य व किसानों बागबानों के मुद्दों को लेकर आंदोलन खड़ने करने की सरकार को चेतावनी दी है।
कांग्रेस पार्टी की और से तथा बतौर बागवान संयुक्त सम्मेलन में भाग लेने पहुंचे यशवंत छाष्टा ने कहा कहां की केंद्र तथा प्रदेश सरकार को किसान भगवानों के हित में जम्मू कश्मीर की तर्ज पर नीति बनानी चाहिए क्योंकि जहां एक और मोदी सरकार ने कहा था कि एक देश एक संविधान और एक कानून होगा तो फिर आज से भगवानों के साथ धुरी राजनीति क्यों जब जम्मू कश्मीर में सरकार सेब के दामों में हस्तक्षेप कर बागवानी को मुनाफा पहुंचा सकती है तो फिर हिमाचल और उत्तराखंड क्यों नहीं उन्होंने कहा कि प्रदेश तथा केंद्र सरकार जल्द इसमें कोई फैसला ले ।