किसी भी लड़की के साथ दुष्कर्म की घटना एक तरह से उस लड़की की आत्मा तक को खंडित कर देती है. वो चाह कर भी फिर उस जीवन में लौट नहीं पाती जैसा जीवन वो दुष्कर्म से पहले जिया करती थी. किन्तु कुछ महिलाएं ऐसी होती हैं जो ऐसी घटना के बाद खुद की हिम्मत को टूटने नहीं देतीं बल्कि पहले से ज्यादा मजबूत हो जाती हैं और इतिहास उन्हें हमेशा याद करता है.
ऐसी ही महिलाओं में एक नाम आता है गौहर जान का. वो महिला जिसके साथ मात्र 13 वर्ष की उम्र में दुष्कर्म हुआ, उसने खुद को संभाला और फिर जिस दौर में औरतों को घूंघट से बाहर आने तक की इजाजत नहीं थी उस दौर में पहली रिकॉर्डिंग सुपरस्टार बनीं. गौहर जान पहली ऐसी सिंगर थी जिनके गाए गानों को 78आरपीएम पर रिकॉर्ड किया गया था. यह रिकॉर्ड भारत की प्रसिद्ध ग्रामोफोन कंपनी ने रिलीज किया था. इसलिए गौहर जान को रिकॉर्डिंग सुपरस्टार के नाम से भी जाना जाता है. हर रिकॉर्डिंग के आखिर में गौहर जान अंग्रेज़ी में कहती, ‘My Name is Gauhar Jaan’…
कौन थीं गौहर जान?
गौहर जान का जन्म 26 जून, 1873 को उत्तर प्रदश के आजमगढ़ जिले में हुआ था. जन्म से वो क्रिश्चियन थीं, उनका असली नाम एंजेलीना योवर्ड था. गौहर जान असल में आर्मेनिया मूल की थीं. उनकी मां विक्टोरिया हेम्मिंग्स का जन्म भारत में ही हुआ था. वो कुशल सिंगर और डांसर थीं. गौहर जान को म्यूजिक और डासिंग का हुनर अपनी मां से ही विरासत में मिला था.
गौहर के दादा ब्रिटिश थे जबकि दादी हिंदू थीं. उनके पिता का नाम विलियम योवर्ड. लेकिन उनके माता पिता का 1879 में तलाक हो गया था, तब वो मात्र 6 वर्ष की थीं. पति से तलाक के बाद, गौहर की मां ‘खुर्शीद’ नाम के एक आदमी के साथ बनारस चली आईं. बनारस में मां और बेटी ने इस्लाम धर्म अपना लिया.
इसके बाद जब ‘विक्टोरिया’ ने अपना नाम ‘मलका जान’ रखा तो ‘एंजेलीना’ का नाम भी बदलकर ‘गौहर जान’ कर दिया गया. कुछ ही दिनों में ‘मलका जान’ बनारस की मशहूर हुनरमंद गायिका और कत्थक डांसर के तौर पर पहचानी जाने लगीं. कुछ ही वक्त बाद मलका जान अपनी बेटी के साथ कलकत्ता चली गईं और नवाब वाजिद अली शाह के दरबार में परफॉर्म करना शुरू कर दिया.
दरभंगा राज में हुई पहली परफॉर्मेंस
यह कलकत्ता ही था जहां गौहर जान ने डांस और म्यूजिक सीखा. उन्होंने रामपुर के उस्ताद वजीर खान और कलकत्ता के प्यारे साहिब से गायन की तालीम हासिल की. जल्द ही वो ध्रुपद, खयाल, ठुमरी और बंगाली कीर्तन में पारंगत हो गईं. यहीं से गौहर ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया.
गौहर ने संगीत की दुनिया में अपना सिक्का जमाने में कामयाब रहीं. गौहर जान ने अपनी पहली परफॉर्मेंस 1887 में ‘दरभंगा राज’ में दी. जो वर्तमान में बिहार में है. इसके बाद ही उन्हें वहां दरबारी संगीतकार बना दिया गया. 1896 से उन्होंने कलकत्ता में परफॉर्म करना शुरू कर दिया. तब तक उनके कई मुरीद हो चुके थे. और उनके रिकॉर्ड्स में उन्हें ‘फर्स्ट डांसिंग गर्ल’ का खिताब दिया जा चुका था.
बेहद अमीर थीं गौहर जान
देश भर में इसके बाद से उन्होंने कई जगह परफॉर्म किया. उन्हें जॉर्ज पंचम के ‘दिल्ली दरबार’ में भी परफॉर्म करने को बुलाया गया. गौहर जान ने ‘हमदम’ नाम से कई गज़लें भी लिखीं.
19वीं शताब्दी में गौहर जान सबसे महंगी सिंगर थीं. ऐसा कहा जाता है कि वो सोने की एक सौ एक गिन्नियां लेने के बाद ही किसी महफिल में जाती थीं और वहां गाती थीं. शुरुआती दिनों में गौहर बेहद अमीर महिला थीं. उनके पहनावे और जेवरात उस वक्त की रानियों तक को मात देते थे. अपनी कमाई का काफी हिस्सा उन्होंने कलकत्ता में निवेश किया जहां उनकी कई कोठियां थीं.
रिश्तों के मामले में हाथ रहे खाली
भले ही गौहर खान की दौलत और शोहरत बढ़ी मगर ये एक ऐसा समाज था जब गायिकाओं को गलत नजरिये से देखा जाता था ऐसे में गौहर खान को किसी का सारी उम्र के लिए साथ नहीं मिला, उन्हें बार बार धोखा खाना पड़ा. प्रौढ़ावस्था में गौहर अपनी उम्र से आधे एक पठान से शादी तो कर ली लेकिन वो चली नहीं.
मामला कोर्ट कचहरी तक पहुंच गया जिसमें गौहर को अपनी जायदाद बेचनी पड़ी. कहा जाता है कि कभी अपने कपड़ों और जेवरों से रानियों को मात देने वाली गौहर जान अपने आखिरी दिनों में वो बेहद अकेली हो गई थीं और गुमनामी की हालत में 17 जनवरी 1930 को उनकी मौत हुई.
13 साल की उम्र में हुई थीं दुष्कर्म का शिकार
आपको बता दें कि भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाई देने वाली इस कलाकार को शोषण का शिकार होना पड़ा था. गौहर जान मात्र 13 वर्ष की थीं जब उनका बलात्कार हुआ था. लेकिन वे इस सदमे से न सिर्फ उबरीं बल्कि संगीत की दुनिया में बड़ा नाम कमाया. उनका जीवन महिलाओं के शोषण, धोखाधड़ी और संघर्ष की कहानी है.
विक्रम संपथ ने ‘माई नेम इज गौहर जान’ किताब के जरिए गौहर की कहानी सबके सामने रखी. गौहर जान महज एक नाम नहीं बल्कि उन महिलाओं के लिए मिसाल हैं जो किसी दरिन्दे की हवस का शिकार बन जाने के बाद टूट जाती हैं. गौहर जान से ये सीखा जा सकता है कि विपत्ति आने के बाद भी खुद को कैसे संभाला जाए.