अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने अडानी ग्रुप को बुरी तरह हिलाकर रख दिया है। ग्रुप के मार्केट कैप में 100 अरब डॉलर से अधिक की गिरावट आई है। ग्रुप ने इनवेस्टर्स और क्रेडिटर्स का दिल जीतने के लिए एक आक्रामक प्लान बनाया है। ग्रुप को जोर अब कमाई बढ़ाने और लीवरेज रेश्यो कम करने पर है।
मिंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक अडानी ग्रुप पर 2.27 लाख करोड़ रुपये का ककर्ज है। हाल में क्रेडिटर्स के साथ हुई एक मीटिंग में अडानी ग्रुप के अधिकारियों ने लेवरेज रेश्यो कम करने के बारे में एक डिटेल खाका पेश किया। ग्रुप ने इस फाइनेंशियल ईयर के अंत तक लेवरेज रेश्यो को घटाकर 3.1 गुना रखने का लक्ष्य रखा है जो अभी 4.2 गुना है। लेवरेज रेश्यो एक फाइनेंशियल रेश्यो है जो किसी कंपनी के कर्ज की तुलना दूसरे फाइनेंशियल मैट्रिक्स से की जाती है। अडानी ग्रुप को जोर कर्ज कम करने के बजाय लेवरेज रेश्यो घटाने पर है। लीवरेज रेश्यो से फर्म के क्रेडिट जोखिम का आकलन करने में मदद मिलती है।
लीवरेज रेश्यो में आएगी कमी
हिंडनबर्ग रिसर्च की 24 जनवरी को आई रिपोर्ट में कहा गया था कि अडानी ग्रुप का लीवरेज रेश्यो बहुत ज्यादा है। ज्यादा लीवरेज रेश्यो का मतलब है कि कंपनी ने अपने मौजूदा कैश फ्लो की तुलना में ज्यादा कर्ज लिया है। इस रिपोर्ट के कारण अडानी ग्रुप के शेयरों में एक महीने से भी अधिक समय तक गिरावट आई। यही वजह है कि अडानी ग्रुप ने क्रेडिटर्स और इनवेस्टर्स का भरोसा जीतने के लिए व्यापक प्लान बनाया है। एक सूत्र ने कहा कि ग्रुप का कुल कर्ज इस साल के अंत तक 5 से 10 फीसदी तक कम किया जा सकता है। इसके बजाय ग्रुप का जोर 20 से 22 फीसदी एबिटा बढ़ाने पर है। इससे लीवरेज रेश्यो में कमी आएगी।
साथ ही ग्रुप अपने आठ प्रमुख बिजनस में एफिशियंसी बढ़ाने पर भी काम कर रहा है। साल 2013 में ग्रुप का डेट-टु-एबिटा रेश्यो 7.6 गुना था जो मार्च 2022 में 3.2 गुना पर आ गया था। लेकिन फाइनेंशियल ईयर 2022-23 में यह बढ़कर 4.2 फीसदी हो गया। 31 मार्च 2023 को ग्रुप का कर्ज 2.27 लाख करोड़ रुपये का था। इसमें से 39 परसेंट बॉन्ड्स के रूप में, 29 परसेंट इंटरनेशनल बैंकों का, 32 परसेंट घरेलू बैंकों और एनबीएफसी का है। ग्रुप का मानना है कि उसके एबिटा में 20 फीसदी तेजी आ सकती है। रेवेन्यू बढ़ने से डेट-अर्निंग्स रेश्यो में कमी आएगी।