कोरोना संकट के समय जब ऑनलाइन सेवाओं की मांग चरम पर पहुंच गई थी, तब गौतम अडानी टेक रिवोल्यूशन के शानदार मौके का फायदा उठाने से चूक गए.
नई दिल्ली: दुनिया के टॉप 5 अरबपतियों में शामिल गौतम अडानी एक सुपर ऐप लाने की तैयारी कर रहे हैं. इन हाउस टेक कंपनी द्वारा बनाया गया यह एप डिजिटल वर्ल्ड में फरारी की तरह काम कर सकता है. इस ऐप या वेबसाइट को लांच होने में 3 से 6 महीने का समय लग सकता है, लेकिन एशिया के सबसे अमीर शख्स को लगता है कि वह इस ऐप के जरिए देश के लोगों की आदत बदल सकते हैं.
कोरोना संकट के समय जब ऑनलाइन सेवाओं की मांग चरम पर पहुंच गई थी, तब गौतम अडानी टेक रिवोल्यूशन के शानदार मौके का फायदा उठाने से चूक गए. अब जब दुनिया भर की टेक इंडस्ट्री मुसीबत से जूझ रही है, इस बीच गौतम अडानी का सुपर एप कितना कामयाब होगा, यह देखने वाली बात होगी.
भारत के ई-कॉमर्स मार्केट में जबरदस्त प्रतियोगिता है. इन सबके बीच सवाल यह है कि क्या गौतम अडानी की फरारी बंपर टू बंपर ट्रेफिक वाले माहौल का फायदा उठाने में सफल हो पाएगी? यह सुपरएप भारत के मोबाइल ग्राहकों को अडानी के एयरपोर्ट नेटवर्क से लेकर अन्य सेवाओं तक की आसान पहुंच सुनिश्चित करेगा. यह डाउनलोड बढ़ाने का बहुत आसान तरीका साबित हो सकता है.
गौतम अडानी के पास इस समय देश में सात एयरपोर्ट है. वह एक नया टर्मिनल बना रहे हैं और मुंबई के सेकंड फैसिलिटी के लिए रनवे भी बना रहे हैं. देश के कुल एयर ट्रैफिक का 20 फ़ीसदी गौतम अडानी के जरिए होकर जाता है. गौतम अडानी कई शहरों में टैक्सी फ्लीट में भी निवेश कर रहे हैं. गौतम अडानी उन्हीं शहरों में टैक्सी फ्लीट में निवेश कर रहे हैं जहां उनके एयरपोर्ट्स हैं. गौतम अडानी का सूपर एप देश के लाखों लोगों के फोन में इंस्टॉल किया जा सकता है.
भारत में आम लोगों से जुड़े कारोबार में गौतम अडानी की दिलचस्पी बढ़ रही है. यह वास्तव में सुपरएप के जरिए गौतम अडानी की रिटेल कारोबार में पहली एंट्री है. वहीं अडानी ग्राहकों को अन्य चीजों के लिए भी अपने प्लेटफार्म पर लाना चाहते हैं. शॉपिंग, पेमेंट, एंटरटेनमेंट, सोशल मीडिया और फाइनेंस आदि के एग्रीगेटर के रूप में गौतम अडानी चाइनीज मॉडल पर अपना कारोबार शुरू करना चाहते हैं.
चीन में जिस तरह अलीबाबा ग्रुप होल्डिंग, टेंसेंट होल्डिंग्स, मितवा आदि ने टेक और फाइनेंस कारोबार के दिग्गजों को चुनौती दी, वह आश्चर्यजनक है. पिछले साल इन कंपनियों पर ब्रेकडाउन किया गया, उसके बाद से अलीबाबा जैसी कंपनियों ने नुकसान उठाना शुरू किया है. दक्षिण पूर्व एशिया में इस मॉडल को सफलता से कॉपी किया गया है लेकिन अब निवेशक कंपनियों के विस्तार से पहले उसके मुनाफे के बारे में जानना-समझना चाहते हैं.