कमर कस लें, महंगाई बढ़ सकती है… IMF ने उम्‍मीदें जगाई थीं, वित्त मंत्रालय की रिपोर्ट ने डराया

Finance Ministry Monthly Economic Review: अपनी मंथली रिव्‍यू रिपोर्ट में वित्‍त मंत्रालय ने कहा है कि अगर जियोपॉलिटिकल तनाव बढ़ा तो महंगाई कम होने के बजाय बढ़ सकती है।

नई दिल्ली: वित्त मंत्रालय की मासिक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक संघर्ष बढ़ने से सप्लाई चेन पर दबाव फिर से बढ़ सकता है। इसकी वजह से 2023 में महंगाई कम होने की बजाय बढ़ सकती है। एक ओर फेडरल रिजर्व महंगाई के खिलाफ लड़ाई में आक्रामक बना हुआ है, जिससे ब्याज दरों में और बढ़ोतरी का संकेत मिल रहा है। इससे पूंजी प्रवाह कम हो सकता है।

रुपये पर दबाव बढ़ सकता है और आवश्यक वस्तुओं का आयात महंगा हो सकता है। इससे महंगाई बढ़ सकती है। वित्त मंत्रालय का कहना है कि बेशक भारत को वैश्विक आर्थिक मोर्चे पर मची से उपजी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। मगर, बेहतर इकनॉमिक ग्रोथ के साथ भारत की आर्थिक स्थिति दूसरे देशों से बेहतर है। भारत की आर्थिक विकास दर और उसकी स्थिरता से जुड़ी चिंताएं दुनिया के दूसरे देशों की तुलना में कम चिंताजनक है। वित्त मंत्रालय ने सितंबर की आर्थिक समीक्षा में यह बात कही है। इसमें कहा गया है कि मध्यम अवधि में भारत की आर्थिक विकास की दर 6 फीसदी से ऊपर रहने का अनुमान है।

आर्थिक समीक्षा के अनुसार, हाल की वैश्विक घटनाओं के कारण निवेश के हिसाब से भारत एक अहम मार्केट के तौर पर उभरा है। लंबे इंतजार के बाद घरेलू निवेश में भी तेजी आ रही है। हालांकि वित्त मंत्रालय का कहना है कि वैश्विक ऊर्जा संकट और सप्लाई चेन को लेकर चिंता बनी हुई है। इस साल भारत दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ने वाली इकनॉमी होगी।
वित्त मंत्रालय की आर्थिक समीक्षा में कहा गया कि मौसम अनुकूल बना रहता है तो खुदरा मुद्रास्फीति आने वाले महीनों में घटेगी जिससे कुल खुदरा मुद्रास्फीति भी कम होगी। समीक्षा के मुताबिक, ‘भूराजनीतिक तनाव बढ़ने की स्थिति में आपूर्ति श्रृंखला का दबाव बढ़ सकता है जिसमें हाल में कुछ कमी आई है। ऐसा होता है तो 2023 में मुद्रास्फीति घटने के बजाय बढ़ सकती है।
इन छह महीनों में भारत में खुदरा मुद्रास्फीति 7.2 फीसदी पर रही है जो विश्व स्तर पर आठ प्रतिशत पर रही। वहीं अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में 5.4 फीसदी की गिरावट आई जो छह प्रमुख मुद्राओं में आई 8.9 फीसदी की गिरावट से कम है। इसमें कहा गया कि भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने जुलाई 2022 के दौरान कई कदम उठाए हैं जिनसे पूंजीगत प्रवाह में और स्थिरता आने की उम्मीद है जिससे रुपये को बल मिलेगा।