दिल्ली एनसीआर में प्रदूषण से लोगों की सेहत खराब होने लगी है। गाजियाबाद में अस्पतालों में सांस के मरीज दोगुने हो गए हैं। दिल्ली-एनसीआर में हर पांच में से 4 परिवार प्रदूषण से संबंधित बीमारियों का शिकार है। हालांकि, इस बीच हवाओं के चलने से प्रदूषण में कमी आने पर राहत मिलने के संकेत भी मिल रहे हैं।
गाजियाबादः दिल्ली-एनसीआर के इलाकों में प्रदूषण से लोगों की हालत खराब होने लगी है। गाजियाबाद के अस्पतालों में प्रदूषण संबंधी बीमारियों के मरीज बढ़ने लगे हैं। बताया जा रहा है कि जिला अस्पताल की 300 मरीजों की ओपीडी में 50 के मुकाबले दोगुने सांस के मरीज भर्ती होने लगे हैं। ज्यादातर मरीज दमा, अस्थमा या ब्रोंकाइटिस के बताए जा रहे हैं। एक सर्वे ने भी यह दावा किया है कि गाजियाबाद, नोएडा समेत राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के कई इलाकों में लोगों को प्रदूषण से संबंधित बीमारियों का सामना करना पड़ा है।
दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र) में हर पांच में से चार परिवारों ने पिछले कुछ हफ्तों में प्रदूषण से संबंधित बीमारियों का सामना करने का दावा किया है। एक नये सर्वेक्षण से यह बात सामने आई है। ‘लोकलसर्किल’ के इस सर्वेक्षण में कुल 19,000 प्रतिभागी शामिल हुए, जिनमें से 18 फीसदी इन बीमारियों को लेकर डॉक्टर से संपर्क तक कर चुके हैं। सर्वेक्षण से यह भी पता चला है कि इसमें शामिल 80 फीसदी परिवारों के कम से कम एक सदस्य को वायु प्रदूषण के कारण श्वास संबंधी किसी न किसी समस्या से जूझना पड़ रहा है।
एनसीआर में प्रदूषण से बुरा हाल
सर्वे में दिल्ली, नोएडा, गाजियाबाद, गुरुग्राम और फरीदाबाद के निवासियों से वायु प्रदूषण पर प्रतिक्रिया मांगी गई थी। इसमें 63 प्रतिशत प्रतिभागी पुरुष थे। इसमें कहा गया है, ‘दिल्ली-एनसीआर के हर पांच में से चार परिवारों में किसी न किसी को प्रदूषण संबंधी बीमारियों का सामना करना पड़ रहा है। इनमें से 18 प्रतिशत पहले ही डॉक्टर या अस्पताल का रुख कर चुके हैं।’ बीमारी की प्रकृति से जुड़े सवाल का जवाब देते हुए 80 प्रतिशत परिवारों ने कहा कि उनके सदस्य ‘प्रदूषण के कारण कई समस्याओं का सामना कर रहे हैं’, जबकि सात फीसदी ने प्रदूषण के कारण कोई भी समस्या होने से पूरी तरह से इनकार किया।
सिर्फ 13 फीसदी परिवार दुष्प्रभावों से दूर
तेरह प्रतिशत परिवार वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों से अछूते मिले, क्योंकि वे इस समय दिल्ली-एनसीआर में नहीं रह रहे हैं। बहरहाल, वायु प्रदूषण के दुष्प्रभावों से बचने के लिए कुछ लोग अस्थायी रूप से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से बाहर चले गए हैं, जबकि क्षेत्र में रह रहे अधिकांश लोग खराब स्वास्थ्य के तौर पर इसका खामियाजा भुगत रहे हैं। दिवाली से पांच दिन बाद जब इसी तरह का सवाल पूछा गया था, तब 70 फीसदी प्रतिभागियों ने शिकायत की थी कि उनके परिवार का कोई न कोई सदस्य प्रदूषण संबंधी स्वास्थ्य समस्याओं का सामना कर रहा है।
पांच दिन के भीतर ऐसा कहने वाले लोगों की संख्या में 10 फीसदी का इजाफा हुआ है, जबकि इस अवधि में 13 प्रतिशत प्रतिभागी अस्थाई रूप से दिल्ली-एनसीआर छोड़कर बाहर चले गए हैं। ‘लोकलसर्किल’ एक सामुदायिक सोशल मीडिया मंच है, जो शासन, सार्वजनिक प्रणाली और उपभोक्ताओं के हितों से जुड़े मुद्दों पर सर्वेक्षण करता है।
प्रदूषण में आई कमी
इस बीच राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) में शुक्रवार देर रात से तेज हवाएं चलने के कारण शनिवार सुबह वायु प्रदूषण के स्तर में कुछ कमी दर्ज की गई। बहरहाल, दिल्ली अब भी ‘डार्क रेड जोन’ में, जबकि एनसीआर के सभी प्रमुख शहर ‘रेड जोन’ में बने हुए हैं। गौतमबुद्ध नगर जिला प्रशासन ने बढ़ते वायु प्रदूषण के कारण पहली से आठवीं कक्षा तक के बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई कराने का आदेश दिया है।
केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) के मुताबिक, शनिवार सुबह गाजियाबाद में वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 366, नोएडा में 321 और दिल्ली में 415 दर्ज किया गया। सीपीसीबी के अनुसार, ग्रेटर नोएडा में एक्यूआई 349, फरीदाबाद में 371, गुरुग्राम में 372, मानेसर में 348, भिवानी में 404, बुलंदशहर में 181, हापुड़ में 225 और सोनीपत में एक्यूआई 347 रहा। विशेषज्ञों का कहना है कि शुक्रवार देर रात से चल रही तेज हवाओं के कारण राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में शनिवार को वायु गुणवत्ता के स्तर में कुछ सुधार हुआ है। पर्यावरणविदों का कहना है कि जब तक बारिश नहीं होती, तब तक प्रदूषण के स्तर में उल्लेखनीय कमी आने की कोई संभावना नहीं है।