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गिरिराज पूजा के लिए गोवर्धन में आस्था का जन-सैलाब उमड़ पड़ा। विदेशी भक्तों की टोलियां गौड़ीय मठ से गोवर्धन पूजा के लिए निकली तो गिरिराज नगरी आस्था और भक्ति से सराबोर हो गई। विदेशी श्रद्धालु सिर पर दूध, दही, माखन मिश्री लेकर पूजा करने तलहटी पहुंचे। पूजा के बाद छप्पन भोग, अन्नकूट भोग लगाए गए।
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दिवाली के दूसरे दिन सूर्य ग्रहण के बाद बुधवार को गोवर्धन में गिरिराज पूजा के लिए श्रद्धालुओं का जन-सैलाब उमड़ पड़ा। 22 देशों से विदेशी भक्त गिरिराज पूजा में शामिल हुए। गौड़ीय मठ मंदिर से विदेशी भक्तों की टोली सिर पर दूध, दही, शहद, गंगाजल, प्रसाद की टोकरी लेकर निकली तो गिरिराज नगरी आस्था और भक्ति से सराबोर हो गई। विदेशी भक्तों ने राजा वाले मंदिर स्थित गिरिराज जी की शिला पर दूध, दही, शहद, बूरा, गंगाजल आदि से अभिषेक किया। नीरज शर्मा ने पूजा कराई। इस दौरान भक्तों का उल्लास चरम पर था।
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ये है मान्यता
द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों से इंद्र की पूजा बंद कराकर मान मर्दन किया था। कृष्ण ने ब्रजवासियों पर गिरिराज पूजा कराई थी। इससे इंद्र क्रोधित हो उठा। ब्रज को नष्ट करने के लिए सात रात-दिन मूसलाधार बरसात की, भगवान कृष्ण ने तर्जनी उंगली पर गिरिराज पर्वत को धारण कर ब्रजवासियों की रक्षा की। दिवाली के दूसरे दिन द्वापर युग की गिरिराज पूजा की परंपरा का निर्वहन किया जाता है।
द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने ब्रजवासियों से इंद्र की पूजा बंद कराकर मान मर्दन किया था। कृष्ण ने ब्रजवासियों पर गिरिराज पूजा कराई थी। इससे इंद्र क्रोधित हो उठा। ब्रज को नष्ट करने के लिए सात रात-दिन मूसलाधार बरसात की, भगवान कृष्ण ने तर्जनी उंगली पर गिरिराज पर्वत को धारण कर ब्रजवासियों की रक्षा की। दिवाली के दूसरे दिन द्वापर युग की गिरिराज पूजा की परंपरा का निर्वहन किया जाता है।
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सात समुंदर पार से खींच लाई श्रीकृष्ण की भक्ति
कलयुग के सच्चे देवता गिरिराज प्रभु की पूजा करने के लिए सात समुंदर पार से गोवर्धन पहुंचे। विदेशी महिलाएं साड़ी पहन कर गोपी भेष, बृज संस्कृति के रंग में रंगी नजर आईं, किसी का नाम कल्याणी तो किसी का ज्योति, हरिनाम संकीर्तन करते हुए सिर पर प्रसाद की टोकरी रख गिरिराज पूजा करने पहुंची। गिरिराज पूजा के दौरान विदेशी भक्तों ने वाद्य यंत्रों की धुनों पर भक्ति नृत्य किया।
कलयुग के सच्चे देवता गिरिराज प्रभु की पूजा करने के लिए सात समुंदर पार से गोवर्धन पहुंचे। विदेशी महिलाएं साड़ी पहन कर गोपी भेष, बृज संस्कृति के रंग में रंगी नजर आईं, किसी का नाम कल्याणी तो किसी का ज्योति, हरिनाम संकीर्तन करते हुए सिर पर प्रसाद की टोकरी रख गिरिराज पूजा करने पहुंची। गिरिराज पूजा के दौरान विदेशी भक्तों ने वाद्य यंत्रों की धुनों पर भक्ति नृत्य किया।
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सुमन, मानसी, भारती का कहना था कि पूरे कार्तिक मास तक कृष्ण भक्ति करने ब्रज की धरती पर आती हैं। रूस से आई आनंद प्रदायिनी दासी ने बताया कि वह गिरिराज पूजा के लिए गोवर्धन हर बार आती हैं।
कल्याणी दासी ने बताया कि वे पांच साल से गोवर्धन पूजा-अर्चना करने आ रही हैं। रशियन श्याम दास ने बताया कि उनको भारतीय संस्कृति और उससे जुड़े कार्यक्रम अच्छे लगते हैं। जालंधर से आई गीता दासी ने बताया कि वे 10 साल से गोवर्धन पूजा करने आ रही हैं।
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