पाकिस्तानी जासूस के हनी ट्रैप में फँस अग्नि मिसाइल की अहम जानकारी दी – प्रेस रिव्यू
अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ इंडिया की ख़बर के अनुसार, हैदराबाद में डिफ़ेंस रिसर्च एंड डिवलेपमेंट लैबोरेटरी (डीआरडीएल) में काम करने वाले एक इंजीनियर को पाकिस्तानी जासूस ने हनी ट्रैप में फंसाया और फिर उससे भारत के मिसाइल प्रोग्राम की ख़ुफ़िया जानकारी हासिल की.
आज प्रेस रिव्यू में सबसे पहले पढ़िए अंग्रेज़ी अख़बार टाइम्स ऑफ़ इंडिया की ये ख़बर.
ख़बर के अनुसार डीआरडीएल के एक इंजीनियर को कथित तौर पर पाकिस्तानी जासूस ने हनी ट्रैप में फंसाया, शादी और प्यार का झांसा दिया और फिर भारत के मिसाइल कार्यक्रम से जुड़ी जानकारी लीक करने के लिए मजबूर किया.
ख़ुफ़िया एजेंसी से मिली जानकारी के आधार पर अभियुक्त 29 वर्षीय इंजीनियर मल्लिकार्जुन रेड्डी को पुलिस ने शुक्रवार को उनके घर से गिरफ़्तार कर लिया है.
पुलिस के आला सूत्रों के हवाले से ख़बर में बताया गया है कि इंजीनियर से भारत की परमाणु संपन्न इंटरकॉन्टिनेंटल बैलिस्टिक मिसाइल और पनडुब्बी से लॉन्च होने वाली मिसाइलों की जानकारी भी मांगी गई.
अभियुक्त मल्लिकार्जुन साल 2018 से हैदराबाद में डीआरडीएल के एडवांस्ड नेवल सिस्टम प्रोग्राम में काम कर रहे हैं.
जासूसी के आरोप में गिरफ़्तार रेड्डी ने पूछताछ के दौरान सब कुछ कबूला. अब पुलिस और अधिक जानकारी पाने के लिए रेड्डी की कस्टडी पाने की योजना बना रही है.
वहीं, पाकिस्तानी जासूस ने ख़ुद को नताशा राव बताया था. रेड्डी की फ़ेसबुक पर इस जासूस से दोस्ती हुई थी. पाकिस्तानी जासूस ने रेड्डी को शादी का वादा कर के उससे भारत के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी संवेदनशील जानकारियां हासिल कर लीं.
अभियुक्त ने ज़मीन से ज़मीन पर मार करने वाली अग्नि मिसाइलों और के-सीरीज़ की मिसाइलों में इस्तेमाल होने वाले तकनीक की जानकारी साझा की. के-सीरीज़ मिसाइलें विशेष तौर पर नौसेना के अरिहंत-क्लास परमाणु संपन्न बैलिस्टिक मिसाइल पनडुब्बियों के लिए बनाई गई हैं.
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ड्रामा क्वीन
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ख़बर के अनुसार अभियुक्त रेड्डी का काम डिफ़ेंस मैन्युफ़ैक्चरिंग इकाइयों में जाकर वहाँ काम की प्रगति का आकलन करना और डेडलाइन तय करना था.
इसलिए उसके पास ये जानकारी थी कि मिसाइल बनाने में किन तकनीक का इस्तेमाल हुआ है. एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को बताया कि निजी जीवन में अकेले रेड्डी नताशा की मीठी बातों में फँस गए और उन्होंने के-सिरीज़ मिसाइल से जुड़ी ख़ुफ़िया जानकारी साझा कर दी.
एक वरिष्ठ ख़ुफ़िया अधिकारी ने कहा, “अभियुक्त ने 3500 किलोमीटर रेंज के-4 मिसाइल, 6000 किलोमीटर रेंज की के-5 और 1500 किलोमीटर रेंज की के-15 सागरिका सीरीज़ कोड संख्या बी-05, सभी परमाणु संपन्न परनडुब्बी से लॉन्च होने वाली बैलिस्टिक मिसाइलें (एसएलबीएम) की जानकारी साझा की.”
रचाकोंडा पुलिस के एक अधिकारी के हवाले से ख़बर में बताया गया कि इंजीनियर जनवरी 2020 और दिसंबर 2021 के बीच दो साल तक नताशा के संपर्क में रहा.
नताशा के सिमरन चोपड़ा और ओमिशा अद्दी नाम से दो और फ़ेसबुक अकाउंट थे. नताशा हमेशा रेड्डी से फ़ेसबुक मेसेंजर और व्हॉट्सऐप पर बात करती थीं लेकिन कभी वीडियो कॉल नहीं किया. उसने रेड्डी की ओर से बार-बार तस्वीरें देने की मांग भी मानी. उसने ख़ुद को यूके के डिफ़ेंस जर्नल की एक कर्मचारी बताया.
रेड्डी के पास से पुलिस ने दो मोबाइल फ़ोन और एक लैपटॉप बरामद किया है, जिसमें कई अहम सबूत हैं. इसमें मिसाइल निर्माण से जुड़ी तस्वीरें और विस्तृत जानकारी हैं, जिसे नताशा के साथ अभियुक्त ने साझा किया था. जाँचकर्ताओं को रेड्डी के फ़ोन में जासूस की हिंदी और अंग्रेज़ी में वॉइस क्लिप भी मिले हैं.
चूंकि इंजीनियर ने ये भी दावा किया कि नताशा ने बैंक ख़ाते की जानकारी मांगी थी, लेकिन पैसे ट्रांसफ़र नहीं किए, इसलिए पुलिस अब रेड्डी के अकाउंट को खंगालकर ये पता लगाने की कोशिश कर रही है कि क्या वो अकेला इसमें शामिल था या फिर किसी बड़े जासूसी गैंग का हिस्सा था.
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शिवसेना में बढ़ती बेचैनी पर पवार ने उद्धव ठाकरे को चेताया था
अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने एक शीर्ष राजनीतिक सूत्र के हवाले से बताया है कि महाराष्ट्र में आए राजनीतिक तूफ़ान से महीनों पहले एनसीपी के मुखिया शरद पवार ने उद्धव ठाकरे को शिवसेना में बढ़ती ‘बेचैनी’ को लेकर चेताया था.
सूत्र ने अख़बार को बताया, “शरद पवार ने कम से कम चार से पाँच महीने पहले चेताया था और ये सलाह दी थी कि वो महाविकास अघाड़ी के अन्य मंत्रियों और अपनी पार्टी के नेताओं से मुलाकात करना शुरू करें.”
सूत्र के अनुसार, “पवार ने महा विकास अघाड़ी के नेताओं के बीच बढ़ रहे तनाव के माहौल को पहले ही भांप लिया था. ये माहौल मुख्यमंत्री के ‘उपलब्ध’ न रहने के कारण बढ़ते जा रहा था. उन्होंने ठाकरे को संभावित विरोध पर चेतावनी भी दी थी लेकिन ठाकरे ने इस पर ख़ास ध्यान नहीं दिया.”
सूत्र ने बताया कि कई बार पवार को भी उद्धव ठाकरे से मिलने के लिए समय नहीं दिया जाता था. “पवार सीएम के पहुँच में न होने से परेशान थे. वो इसलिए भी परेशान थे क्योंकि सीएम पार्टी नेताओं से मिलने का समय भी नहीं निकाल रहे थे.”
एक अन्य सूत्र के हवाले से ख़बर में बताया गया, “अघाड़ी सरकार के कुछ विधायकों ने भी पवार को कहा था कि मुख्यमंत्री उनकी बात नहीं सुन रहे और उद्धव से मिलना बहुत मुश्किल हो गया है. वे सरकार में ख़ुदको अलग-थलग और अनचाहा समझने लगे थे.”
एक कांग्रेस नेता ने कहा कि पार्टी विधायकों और मंत्रियों ने कम से कम दो बार इस मुद्दे को दिल्ली में हाई कमान के सामने उठाया. नेता ने कहा, “कभी-कभी हमारे कैबिनेट मंत्रियों को कुछ परियोजनाओं और नीतियों के संबंध में मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप की ज़रूरत थी. लेकिन सीएमओ से अपॉइंटमेंट मिलना लगभग नामुमकिन था.”
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अग्निवीरों की स्थायी नौकरी का कोटा 50 फ़ीसदी तक बढ़ाया जा सकता है
हिंदी अख़बार दैनिक भास्कर ने साउथ ब्लॉक के सूत्रों के आधार पर ख़बर दी है कि 25 फ़ीसदी अग्निवीरों को स्थायी नौकरी देने की सीमा में चरणबद्ध तरीके से विस्तार किया जाएगा. पहले दो साल में सैन्य एनरोलमेंट के लिए आए अग्निवीरों के प्रदर्शन को देखते हुए इस कोटे को हर साल बढ़ाया जाएगा और 50 फ़ीसदी तक ले जाया जा सकता है.
ख़बर के अनुसार, थल सेना ने प्रस्ताव पर सहमति दे दी है. वायु सेना और नौसेना की मंजूरी बाकी है. इन दोनों सैन्य बलों में तकनीकी रूप से दक्ष मैनपावर की ज्यादा जरूरत है. वायु योद्धाओं और नौसैनिकों का स्थायी प्रतिशत बढ़ाने को लेकर ऊहापोह है. रक्षा मंत्री राजनाथ गुरुवार को सैन्य भर्ती प्रक्रिया के फायदों में विस्तार की जानकारी सार्वजनिक कर सकते हैं.
वहीं, पीएम नरेंद्र मोदी ने भी मंगलवार को तीनों सैन्य प्रमुखों को बुलाकर योजना से जुड़े पहलुओं पर विचार-विमर्श किया. सूत्रों के अनुसार 25 फ़ीसदी को ही सेना में स्थायी भर्ती देने का निर्णय अंतिम नहीं है और ऐसा कोई कारण नहीं है कि सैन्य कौशल में बेहतरीन पाए गए युवाओं को खारिज कर दिया जाए.
ख़बर के अनुसार, सबसे बड़ी आलोचना इस बात को लेकर हो रही है कि अग्निपथ योजना जल्दबाजी में घोषित की गई. इसके लिए पर्याप्त विचार-विमर्श नहीं हुआ. इस पर रक्षा मंत्रालय ने बताया कि इस मुद्दे पर सेनाओं, रक्षा मंत्रालय और सरकार के दूसरे विभागों में 250 बैठकें हुईं और करीब 750 घंटे तक विचार-विमर्श के दौर चले. सेनाओं में 150 बैठकें हुईं. 500 घंटे मंथन हुआ. रक्षा मंत्रालय में 60 बैठकें की गईं और 150 घंटे विचार-विमर्श चला. अन्य सरकारी विभागों की 44 बैठकें हुईं और 100 घंटे मंथन हुआ.