गोवा में कांग्रेस पार्टी में टूट नई चीज नहीं है। 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी थी। हालांकि, वह सरकार बनाने में नाकाम रही। इसके बाद से नेताओं के जाने का सिलसिला चालू रहा। जुलाई 2019 में पार्टी के 10 विधायक बीजेपी में चले गए थे।
पणजी: कांग्रेस अपनी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ से देश जोड़ने का दावा कर रही है। हालांकि, पार्टी के भीतर ही दरारें हैं। यात्रा की तारीख के ऐलान और इसके शुरू होने के बाद कांग्रेस को कई नेताओं ने अलविदा कह दिया। इसमें गुलाम नबी आजाद, जम्मू-कश्मीर के पांच नेता और गोवा कांग्रेस के आठ विधायक भी शामिल हैं। क्या कांग्रेस की यात्रा पर इन घटनाओं का कोई असर होगा? गोवा में कांग्रेस पार्टी में टूट नई चीज नहीं है। 2017 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस सबसे बड़े दल के तौर पर उभरी थी। हालांकि, वह सरकार बनाने में नाकाम रही। इसके बाद से नेताओं के जाने का सिलसिला चालू रहा। जुलाई 2019 में पार्टी के 10 विधायक बीजेपी में चले गए थे।
इससे पहले भी दो विधायक बीजेपी जॉइन कर चुके थे। उस समय सीएम प्रमोद सांवत की अहम भूमिका रही थी। 2022 विधानसभा चुनाव से पहले हालत यह हो गई थी कि कांग्रेस के भीतर गिनती के विधायक बचे थे।
शपथ नहीं आई काम
पार्टी में मची भगदड़ के मद्देनजर कांग्रेस ने 2022 विधानसभा चुनावों के मद्देनजर अपने उम्मीदवारों से जीत के बाद पार्टी न छोड़ने का शपथ-पत्र भरवाया था। वह भी काम नहीं आया। हालिया टूट की जमीन इस जुलाई में ही बन गई थी, लेकिन समय बगावत की आग मद्धिम कर दी गई थी।
उस समय भी दिगंबर कामत और माइकल लोबो जैसे सीनियर नेताओं का नाम आया था। महज दो महीने बाद ही असंतुष्ट नेताओं ने पार्टी तोड़ दी और 11 में से आठ विधायक बीजेपी में शामिल हो गए।
कांग्रेस जोड़ो बनाम कांग्रेस छोड़ो
कांग्रेस की यात्रा शुरू होने से दो हफ्ते पहल गुलाम नबी आजाद ने राहुल गांधी पर हमला बोलते हुए कहा था कि पार्टी को भारत जोड़ने की नहीं, कांग्रेस जोड़ने की जरूरत है। कहा जा रहा था कि और भी लोग कांग्रेस छोड़ेंगे। यात्रा शुरू होने के एक हफ्ते बाद गोवा कांग्रेस में टूट हो गई। गोवा के सीएम सहित बीजेपी में जाने वाले कांग्रेस विधायकों ने इसे गोवा से कांग्रेस तोड़ो यात्रा की शुरुआत करार दिया।
यात्रा का फेल करने की साजिश
कांग्रेस ने बीजेपी की इस कोशिश पर कटाक्ष करते हुए इसे ‘ऑपरेशन कीचड़’ बताया। उसने आरोप लगाया कि बीजेपी पैसे और केंद्रीय एजेंसियों के बल पर विपक्षी खेमे में सेंधमारी कर रही है। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि ‘भारत जोड़ो’ यात्रा की सफलता से डरी बीजेपी ने ऑपरेशन कीचड़ को तेज कर दिया है।
पार्टी की इमेज
कांग्रेस दुष्प्रचार और डायर्वजन की नीति अपनाकर यात्रा को कमजोर करने की कोशिश को बीजेपी का डर करार दे, लेकिन यह भी सच है कि इससे पार्टी की छवि खराब होती है। एक के बाद एक नेताओं के जाने से लोगों के बीच पार्टी की छवि को झटका लगता है।
कांग्रेस यात्रा के जरिए लोगों के बीच जाकर जिस तरह से जमीन पर कनेक्ट करने और अपनी पहुंच बनाने की कोशिश कर रही है, उसे धक्का पहुंचता है। लोगों का भरोसा टूटता है। लोगों को लगता है कि अगर पार्टी अपने ही लोगों को नहीं जोड़े रख पा रही तो संगठन को कैसे संभालेगी।
मनोबल पर असर
ऐसी घटनाओं से पार्टी के भीतर नेताओं और वर्कर्स के मनोबल पर भी असर पड़ता है। आने वाले वक्त में गुजरात, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इन घटनाओं से पार्टी के वर्कर का मनोबल गिरता है, जो पिछले कई सालों से मेहनत कर पार्टी के जीतने और सत्ता में आने का ख्वाब देख रहा है।
वर्कर को लगेगा कि जीत के बाद भी विधायक पार्टी में टिक नहीं पा रहे तो वह मेहनत से कतराएगा। गोवा, गुजरात जैसे राज्यों में जिस तरह से जीत के बाद विधायक लगातार पार्टी से जा रहे हैं, उससे पार्टी के भीतर उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल और तमिलनाडु जैसे हाल होने का खतरा बढ़ रहा है। हिमाचल प्रदेश, गुजरात और गोवा में आप लगातार हाथ-पैर मार रही है।
राहुल गांधी पर सवाल
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी लाख दावा करें कि वह यात्रा की अगुवाई नहीं कर रहे, लेकिन हकीकत यही है कि पूरी यात्रा उन्हीं के चेहरे को सामने रखकर चल रही है। ऐसे में यात्रा के दौरान संगठन में टूट सीधे-सीधे उनके नेतृत्व पर सवाल है। ऐसी घटनाओं से यह संकेत जाता है कि हाईकमान, खासकर राहुल गांधी की पार्टी पर पकड़ छूट रही है।
कांग्रेस में आगामी अध्यक्ष पद के चुनाव के मद्देनजर ऐसी घटनाएं तब और भी नेगेटिव संकेत देती हैं, जब पार्टी के भीतर से लगातार राहुल गांधी को पार्टी की कमान संभालने की मांग आ रही हो। माना गया था कि कि राहुल के नेतृत्व में यात्रा की कामयाबी उनके नेतृत्व के लिए एक बेहतर आधार बनाएगी, लेकिन इस तरह का घटनाक्रम लगातार राहुल गांधी की लीडरशिप के लिए चुनौतियां पेश करेगा।