गोवा की पहचान ‘फेनी’ – कभी दर्द मिटाने के लिए बनी दवा जो गोवा की फ़ेवरेट ड्रिंक बन गई

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गोवा के मामले में फेनी ठीक वैसी ही है, जैसे दार्जिलिंगी के लिए चाय, कोल्हापुर के लिए चप्पल, आगरा के लिए पेठा और मथुरा के लिए पेडा… कुछ समझे! यानि यह गोवा की पहचान कही जा सकती है. वैसे फेनी एक तरह से देसी ‘ठर्रा’ या फिर ताड़ी की श्रेणी में आना वाला मादक पेय पदार्थ है.

लेकिन, फेनी के लिए आप सिर्फ़ इतना ही नहीं कह सकते. ऐसा इसलिए भी क्योंकि फेनी अपने पीछे 500 साल का इतिहास लिए हुए है. उससे भी ज्यादा रोचक है फेनी को बनाने का तरीका, जिसकी रेसिपी गोवा के कुछ परिवारों के पास ही बची है.

पुर्तगालियों ने दिलाई पहचान

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नारियल से बनाई फेनी गोवा में पुर्तगालियों के आने से पहले से इस्तेमाल हो रही है. फेन संस्कृत शब्द है, जिसके मायने कुछ शायराना हैं. असल में संस्कृत की परिभाषा के हिसाब से फेनी नीर में खमीर चढ़ने से होने वाले हल्के नशे को कहा जाता है. इसे पुर्तगालियों ने नाम दिया था फेनियल ड्रिंक जो धीरे—धीरे फेनी हो गई. इसे बनाने के लिए नारियल की जगह काजू का उपयोग किया जाने लगा.

काजू वाली फेनी ही इस वक्त गोवा की पहचान है और उसके लिए पुर्तगालियों को शुक्रिया कहा जा सकता है, क्योंकि वे ही थे जो गोवा में काजू लेकर आए. मेवे से बनने वाली फेनी गोरे शासकों की पसंद थी इसलिए उसे नारियल की फेनी से ज्यादा तव्वजो ​दी गई. खैर, अगर आप गोवा जाएं तो देखेंगे कि वहां कांच के चायनुमा गिलास में चार अंगुल नाप कर नारियल और काजू दो तरह की फेनी पिलाई जाती है. साथ में परोसी जाती है तली हुई मछली वो भी 20 से 30 रुपए में.

फेनी सिर्फ़ मादक पदार्थ नहीं, कई मामलों में इसे बीमारी से बचाने वाली दवा के तौर पर पिया जाता है. फेनी का फ्लेवर फल की तरह और इसका स्‍वाद कसैला होता है. पर्यटकों के बीच फेनी की मांग को देखते हुए अब इसमें 43% से 45% एल्कोहल का मिश्रण होने लगा है.

फेनी बनाने का अजब तरीका

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हर मशहूर चीज बनने के पीछे काफी मेहनत होती है. फेनी के मामले में भी ऐसा ही कुछ है. जहां एक और महंगी शराब और बियर मशीनों के जरिए बनने लगी है, वहीं दूसरी ओर फेनी बनाने का तरीका अब भी 500 साल पुराना ही है. फेनी बनाने वाले गोवा में अब कुछ ही परिवार बचे हैं. डिमांड के को पूरी करने के लिए आर्टिफिशयल फेनी भी बनाई जाती है पर उसे ज्यादा सपंद नहीं किया जाता.

खैर, फेनी तैयार करने के लिए तो सबसे पहले काजू के फल को पकने के बाद तोड़कर कुचला जाता है. काजू को कुचलने से जो जूस निकलता है, उसे मिट्टी या कॉपर के बर्तन में स्‍टोर किया जाता है. फिर यह बर्तन एक निश्चित समय तक के लिए जमीन में गाड़ देते हैं. वैसे यहां आपको बता दें कि काजू कुचलने के लिए किसी मशीन का नहीं उपयोग नहीं किया जाता. बल्कि पैरों से ही काजू कुचले जाते हैं. हां.. तो अब जमीन से उस रस को निकालकर लकड़ी की आग पर उबालना शुरू करते हैं. फेनी की एक कैटेगिरी वो भी है जब इस रस को भाप बनाकर डिस्टिल किया जाता है. इस प्रक्रिया में फर्मेंट किया हुआ 4 फीसदी जूस ही अल्‍कोहल बनता है.

डिस्टिलेशन का काम तीन बार होता है, पहली प्रक्रिया से निकले हुए जूस को ऊर्रक कहते हैं, यह सबसे कम स्‍ट्रॉन्‍ग होता है. ऊर्रक को फिर डि‍स्‍ट‍िल कर कैजुलो बनाया जाता है. लोकल मार्केट में कैजुलो की मांग उतनी नहीं रहती है. सबसे अंतिम प्रोसेस में फेनी तैयार होती है. जब फेनी परोसी जाती है तो उसके साथ मिलाने के लिए कुछ और नहीं देते, यानि पानी-सोडा.

दवा भी है गोवा की फेनी

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अब तक जितनी बात हुई है उससे आपको लगेगा कि यह नशीला पदार्थ और उसके बारे में बखान हो रहा है पर असल में फेनी को बनाया गया था ताकि रोगों का इलाज किया जा सके. दांत की समस्‍या, मसूड़ों की सूजन समेत मुंह में होने वाली कई तरह की समस्‍या के लिए फेनी को असरदार बताया जाता है.

फेनी शरीर को गर्म रखती है इसलिए ​सर्दियों में इसकी कुछ मात्रा ली जा सकती है. फेनी पीने से रेस्पिरेटरी सिस्‍टम भी साफ होता है. कब्‍ज़ और पेट से जुड़ी कई बीमारियों में भी इसे कारगर बताया जाता है. हालांकि, दवा के तौर पर फेनी के संतुलित इस्‍तेमाल की ही सलाह दी जाती है. फेनी पीने से हैंगओवर नहीं होता है. इसलिए गोवा में बसे कई लोग फेनी का रोजाना सेवन करते हैं.

2009 में गोवा सरकार ने फेनी को जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) सर्टिफिकेट जारी किया था. 2016 में गोवा सरकार ने इसे हेरिटेज ड्रिंक बनाने की कवायद भी शुरू कर दी गई.  ये बात और है कि स्थानीय लोग इस सम्मान से घबराए हुए भी हैं, क्योंकि फेनी जिस हिसाब से मशहूर हो रही है, उससे कई बियर और शराब बनाने वाली कंपनियां गोवा में कारखाने खोलना चाहती हैं.

अगर ऐसा होता है तो स्थानीय फेनी निर्माताओं को नुकसान हो सकता है.तो अगर गोवा जाने की सोच रहे हैं तो एक बार फेनी का स्वाद जरूर चखिएगा, बाकी अति तो हर चीज की खराब है फिर चाहे वो काजू की फेनी हो या एल्कोहल से भरी बोतल.