Cricket commentator Devendra Chaudhary Success Story :जोधपुर के छोटे से गांव चतरपुरा गांव के रहने वाले देवेन्द्र चौधरी तब सुर्खियों में आए, जब अफगानिस्तान में मैच के दौरान ब्लास्ट हुआ। लेकिन इन विषम परिस्थितियों के बीच भी वो कमेंट्री करते रहे। इंटरनेशनल कमेंटेटर बने देवेंद्र की सफलता की कहानी में कई उतार-चढ़ाव हैं, जो कई लोगों के जीवन को नई प्रेरणा से भर सकते हैं।
जयपुर: किसी भी इंटरनेशनल क्रिकेट मैच के दौरान अंग्रेजी में कमेंट्री करना एक साधारण ग्रामीण लडके के लिए सपने जैसा है। लेकिन राजस्थान के जोधपुर जिले के चतरपुरा गांव निवासी देवेन्द्र चौधरी ने यह कारनामा कर दिखाया है। गांव के सरकारी स्कूल में दसवीं कक्षा तक पढ़े देवेन्द्र ने खेतों में बकरियां चराते-चराते रेडियो पर क्रिकेट मैच की कमेंट्री सुनी। अंग्रेजी कमेटी सुनने के इतने शौकीन बने कि धुंआधार अंग्रेजी सीख गए। देवेन्द्र अंग्रेजी में एक अनुभवी कमेंटेटर की तरह कमेंट्री करने लगे। गांव और आसपास में जब भी कोई टूर्नामेंट होता तो देवेन्द्र वहीं कमेंट्री करने पहुंच जाते। हूबहू इंटरनेशनल कमेंटेटर की तरह कमेंट्री करने पर वे आसपास के इलाके में काफी लोकप्रिय हो गए थे।
आकाशवाणी से प्राइज मिला तो बनी पहचान
गांवों में होने वाले टूर्नामेंट में कमेंट्री करने से देवेन्द्र ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय हुए थे। 11वीं की पढ़ाई करने और कमेंटेटर बनने का बड़ा सपना लेकर वे जोधपुर पहुंचे। उन दिनों जोधपुर आकाशवाणी में टैलेंट हंट प्रतियोगिता होती थी। देवेन्द्र चौधरी ने इस टैलेंट शो में हिस्सा लिया तो उन्हें फर्स्ट प्राइज मिला। इसके बाद देवेन्द्र की लोकप्रियता काफी बढ़ गई। इसके बाद जोधपुर में क्रिकेट का जो भी टूर्नामेंट होता तो लोग देवेन्द्र की कमेंट्री करने के लिए बुलाने लगे। खासतौर से लोग देवेन्द्र के मुंह से अंग्रेजी में कमेंट्री सुनना पसंद करते थे। एक साधारण परिवार का लड़का जो केवल सरकारी स्कूल में पढ़ा हो। उसके मुंह से बिना किसी ट्रेनिंग के इंटरनेशनल स्तर की कमेंट्री सुनना लोगों के लिए आठवें अजूबे से कम नहीं था।
जयपुर और झज्जर में कोशिश की पर अनुमति नहीं मिली
जोधपुर में लगातार अलग -अलग टूर्नामिंट में कमेंट्री करने के बाद देवेन्द्र चौधरी जयपुर आ गए। उनका एक ही सपना था कि वे इंटरनेशनल लेवल पर कमेंट्री करें। जयपुर में सवाई मानसिंह स्टेडियम स्थित राजस्थान क्रिकेट एकेडमी पहुंचे। यहां कमेंट्री करने के लिए ट्रेनिंग की अनुमति मांगी लेकिन तत्कालीन आरसीए अध्यक्ष ललित मोदी ने अनुमति नहीं दी। इसके बाद देवेन्द्र हरियाणा के झज्जर स्थित क्रिकेटर वीरेन्द्र सहवाग की क्रिकेट एकेडमी पहुंचे लेकिन वहां पर भी ट्रेनिंग की अनुमति नहीं मिली। देवेन्द्र बताते हैं कि जयपुर और झज्जर में उन्हें ट्रेनिंग करने का मौका नहीं मिला, लेकिन उन्होंने अपनी जिद पूरी करने की ठान ली थी। क्रिकेट के मैदान में अनुमति नहीं मिलने पर वे मैदान के बाहर पेड़ पर चढ़कर कमेंट्री करने लगे।
जेल का खाना खाया और पेड़ों पर चढकर की कमेंट्री
देवेन्द्र चौधरी बताते हैं कि झज्जर में वीरेन्द्र सहवाग की क्रिकेट एकेडमी के पास ही हरियाणा की एक जिला जेल बनी हुई है। एक जेल प्रहरी से गुजारिश करके जेल से खाना मांगता था। 12 रुपए में थोड़े से चने और रोटी मिल जाती थी। सुबह और शाम के समय वे क्रिकेट एकेडमी के पास पेड़ पर चढ़ कर घंटों कमेंट्री करते थे। करीब एक महीने तक लगातार कमेंट्री का प्रयास किया। दोपहर के समय आसपास की चाय की दुकानें पर बैठकर अपने सपने के बारे में सोचते रहते थे और रात को फुटपाथ पर ही सो जाते थे। बाद में देवेन्द्र फिर जयपुर आए और डीडी स्पोर्ट्स क्रिकेट मैच की कमेंट्री करने का मौका मिल गया। एक बाद मौका मिलने के बाद देवेन्द्र ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
सचिन के खेलने के दौरान कमेंट्री करने का सपना रहा अधूरा
देवेन्द्र बताते हैं कि 1998 में शारजाह में चल रहे एक मैच में सचिन तेंदुलकर मैच खेल रहे थे। उस दिन की कमेंट्री सुनकर देवेन्द्र के मन में यह जुनून सवार हुआ कि उन्हें भी सचिन के खेल के दौरान कमेंट्री करनी है। लम्बे संघर्ष क बाद देवेन्द्र को नेशनल और इंटरनेशनल स्तर पर कमेंट्री करने का मौका मिला लेकिन वे सचिन तेंदुलकर के खेल के दौरान कमेंट्री नहीं कर पाए। देवेन्द्र ने बताया कि जब उन्हें इंटरनेशनल क्रिकेट मैच की कमेंट्री करने का अवसर मिला। तब तक सचिन तेंदुलकर ने क्रिकेट से संन्यास ले लिया। तेंदुलकर के संन्यास लेने से देवेन्द्र का यह सपना अधूरा रह गया। अब उनका सपना है कि वे बीबीसी पर इंटरनेशनल क्रिकेट मैच की कमेंट्री करे।
अफगानिस्तान में बम ब्लास्ट के बावजूद कमेंट्री की देवेन्द्र ने
वर्ष 2020 में देवेन्द्र क्रिकेट मैच की कमेंट्री करने के लिए अफगानिस्तान गए थे। वहां क्रिकेट मैच के दौरान मैदान पर ही आतंकवादी हमला हुआ और कई बम ब्लास्ट हुए। इस हादसे में कई लोगों की जान गई। देवेन्द्र बताते हैं कि जहां वे कमेंट्री के दौरान खिलाड़ियों से बात कर रहे थे। उसी दौरान कुछ ही कदम दूर बम धमाके हुए। लोगों के शरीर कई टुकड़े दर्जनों फीट उछल कर इधर-उधर गिरे। कुछ टुकड़े देवेन्द्र पर भी गिरे।
डर के कारण सभी लोग इधर-उधर हो लिए। करीब एक घंटे के बाद मैच फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया तो देवेन्द्र सिंह ने फिर से कमेंट्री करना शुरू किया। तीन दिन का टूर्नामेंट था। पाकिस्तान के कुछ खिलाड़ी डर के चलते अफगानिस्तान छोड़कर चले गए थे लेकिन देवेन्द्र वहीं डटे रहे। लगातार तीन दिन तक कमेंट्री करने के बाद भारत लौटे। देवेन्द्र बताते है कमेंट्री के दौरान हुआ वह हादसा वे जीवनभर नहीं भूला सकेंगे।