ये बिहार है साहब, यहां कभी चूहे 9 लाख लीटर शराब गटक जाते हैं तो कभी हजारों मजदूर रातों रात हो जाते हैं गायब. जी हां, इस बार बिहार की राजधानी पटना में दिन-रात ड्यूटी कर रहे एक हजार से अधिक सफाई मजदूर रातोंरात गायब हो गए हैं. यहां तक कि उनको ढूंढने पर कोई सुराग भी नहीं मिल रहा.
रातोंरात हजारों मजदूर हो गए गायब
जागरण की रिपोर्ट के अनुसार, पटना नगर निगम ने एक हजार से ज्यादा मजदूरों की नौकरी एक झटके में खत्म कर दी. हैरानी की बात ये है कि इतनी बड़ी संख्या में मजदूर हटाए जाने के बावजूद इस फैसले पर न तो कोई विरोध- प्रदर्शन हुआ न कोई हंगामा. अब इसे देखकर एक घोटाले की आशंका जताई जा रही है. ये सवाल पूछे जा रहे हैं कि आउटसोर्स एजेंसी के माध्यम से तैनात पटना नगर निगम के एक हजार सफाई मजदूर आखिर गए तो गए कहां? अब मजदूरों की खोज शुरू कर दी गई है.
एजेंसियां दें जवाब
नगर निगम पटना की तरफ से अब एजेंसियों को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा रहा है. एजेंसी को बताना होगा कि आखिर इतने मजदूर एकसाथ कहां चले गए. दोषी पाए जाने पर एजेंसी और अधिकारियों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी. जिन मजदूरों को गायब किया गया है उनके खाली हुए पदों को जल्द ही भरा जाएगा. नगर निगम का कहना है कि सफाई व्यवस्था से कोई समझौता नहीं होगा.
आरोप ये है कि मजदूरों के नाम पर करोड़ों रुपये लूटे जा रहे हैं. मतलब कि मजदूरों के नाम पर पैसा तो लिया जा रहा है लेकिन ये मजदूर हैं कहां इसके बारे में किसी को कुछ नहीं पता.
बड़े घोटाले की आशंका
सशक्त स्थायी समिति के सदस्य डा. अशीष कुमार सिन्हा, इंद्रदीप चंद्रवंशी और मनोज कुमार ने ही मजदूरों के गायब की जानकारी दी थी. इसके बाद नगर आयुक्त ने शिकायत को गंभीरता से लिया और मजदूरों के नाम पर हो रहे फर्जीवाड़े का खुलासा कर दिया है.
सशक्त स्थायी समिति के सदस्य इंद्रदीप चंद्रवंशी के अनुसार एजेंसी और कुछ अधिकारियों की मिलीभगत से मजदूरों के नाम पर बड़ा फर्जीवाड़ा हो रहा है. सशक्त स्थायी समिति के एक अन्य सदस्य मनोज कुमार के अनुसार नगर आयुक्त को खाली हुए स्थानों पर जल्द से जल्द मजदूरों की भर्ती करानी चाहिए और शहर की स्वच्छता में सुधार के लिए काम करना चाहिए.