हिमाचल प्रदेश में शिव की शीतकालीन तपोस्थली किन्नर कैलाश यात्रा एक बार फिर से शुरू होने जा रही है. दो साल कोरोना के चलते यह यात्रा बंद थी लेकिन अब दोबारा शुरू होगी. किन्नौर प्रशासन ने बर्फबारी और ग्लेशियर अधिक होने से भी यात्रा को बंद रखा था. अब हालत समान्य होने के बाद इस वर्ष फिर से शुरू करने का फैसला ली है.
डीसी किन्नौर आविद हुसैन सादिक़ ने रिकांगपिओं में प्रेस वार्ता में यह जानकारी दी. डीसी ने कहा कि कोविड के कारण किन्नर कैलाश यात्रा पिछले दो वर्षों से बंद किया था, लेकिन प्रशासन ने लोगों के आस्था को ध्यान में रखते हुए इस साल किन्नर कैलाश यात्रा को समय पर करने के लिए तैयारी शुरू की है उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान पोवारी में सभी श्रद्धालुओं की रजिस्ट्रेशन के साथ साथ मेडिकल जांच भी की जाएगी.श्रद्धालुओं की सुरक्षा की भी पुख्ता प्रबंधन की जाएगी
कहां है किन्नर केलाश
किन्नर कैलाश हिमाचल के किन्नौर जिले में स्थित है. यहां पर एक शिवलिंग (शिला) है, जो 79 फीट का है. इसके आस-पास बर्फीले पहाड़ों की चोटियां हैं. अत्यधिक ऊंचाई पर होने के कारण किन्नर कैलाश शिवलिंग चारों ओर से बादलों से घिरा रहता है. ये हिमाचल के दुर्गम स्थान पर स्थित है, इसलिए यहां पर ज्यादा लोग दर्शन के लिए नहीं आते हैं. किन्नर कैलाश शिवलिंग का आकार त्रिशूल जैसा लगता है. किन्नर कैलाश पार्वती कुंड के काफी नजदीक है जिस वजह से भी इसकी मान्यता बहुत अधिक है.
14 किमी की चढ़ाई के बाद पहुंचते हैं किन्नर कैलाश
किन्नर कैलाश की चढ़ाई बेहद मुश्किल है. क्योंकि यहां 14 किलोमीटर लंबे इस ट्रेक के आस-पास बर्फीली चोटियां हैं. इस ट्रेक का सबसे पहला पड़ाव तांगलिंग गांव है, जो सतलुज नदी के किनारे बसा है. यहां से 8 किलोमीटर दूर मलिंग खटा तक ट्रेक करके जाना पड़ता है. इसके बाद 5 किलोमीटर दूर पार्वती कुंड तक जाते हैं. यहां से तकरीबन एक कलोमिटर की दूरी पर किन्नर कैलाश स्थित है.