Uttarakhand Good News: अल्मोड़ा की जिला जेल में कैदियों को मशरूम की खेती सिखाई जा रही है। वे एक दिन में करीब 14 किलो बटन मशरूम बाजार में बेच रहे हैं। इनकी बिक्री से उन्हें प्रति किलो 200 रुपये मिलते हैं। जेल प्रशासन इस तरह उन्हें जेल से बाहर की जिंदगी के लिए तैयार कर रहा है।
देहरादून: अल्मोड़ा (Almora Jail) की जिला जेल में 30 कैदियों को मशरूम (Almora jail mushrooms) उगाने की ट्रेनिंग दी जा रही है। उत्तराखंड में अपनी तरह का यह पहला प्रयोग है। पहले चरण के सफल होने के बाद अब दूसरे चरण में इसी तरह और कैदियों को यह ट्रेनिंग दी जाएगी। इनका मकसद कैदियों को जेल की बाहर की जिंदगी के लिए तैयार करना है, ताकि जब वे समाज की मुख्यधारा में पहुंचें तो अपराध का जीवन छोड़कर मेहनत से रोजीरोटी कमा सकें।
जेल के अंदर दो कमरों का इस्तेमाल मशरूम उगाने के लिए किया जा रहा है। अब साल भर की कोशिशों के बाद जेलकर्मी हर दिन 14 किलो बटन मशरूम बाजार में बिक्री के लिए भेजते हैं। इनकी बिक्री से कैदियों को प्रति किलो 200 रुपये हासिल होते हैं। अब दूसरे चरण में 30 और कैदियों को मशरूम की खेती की ट्रेनिंग दी जाएगी।
जेल सुपरिन्टेंडेंट जयंत पंगति कहते हैं, ‘हम चाहते हैं कि कैदियों में हुनर पैदा हो और वे आत्मनिर्भर बनें। ऐसा इसलिए ताकि जब वे जेल से बाहर निकलें तो अपने पैरों पर खडे़ हो सकें। इतना ही नहीं मशरूम की खेती के अलावा उन्हें दूसरी ट्रेनिंग भी दी जा रही है।’
इन कैदियों को प्रीति भंडारी ट्रेनिंग दे रही हैं। प्रीती भंडारी को कुमायूं क्षेत्र में ‘मशरूम लेडी’ कहा जाता है। प्रीती पिछले दास साल से मशरूम की खेती का प्रयोग कर रही हैं। उत्तराखंड के लिए यह प्रयोग इसलिए नया है क्योंकि पारंपरिक रूप से उत्तराखंड में जंगल से ही मशरूम खोजकर लाए जाते थे।
खुद प्रीति भंडारी मशरूम बेचकर 18 लाख रुपये कमा रही हैं। ये मशरूम दिल्ली और दूसरे पड़ोसी राज्यों के बाजार में भेजे जाते हैं। इसके अलावा वह ग्रामीणों को मशरूम की खेती करने और उनसे कमाई करने की ट्रेनिंग भी देती हैं। भंडारी को इसके लिए कई सम्मान भी मिले हैं।