Good News: 7वीं क्‍लास से ट्यूशन पढ़ाकर उठाया अपना खर्चा, आज 200 करोड़ की कंपनी के हैं मालिक

Chitiz Agarwal story: बरेली के क्षितिज अग्रवाल ऐसे युवा हैं जिन्‍होंने साबित किया है कि भारतीय केवल विदेशों में नौकरी करने के लिए ही नहीं बने हैं। उनकी कंपनी के टॉप 8 में 7 पदों पर अमेरिकी नागरिक नौकरी कर रहे हैं। क्षितिज का सपना है कि वह बरेली के युवाओं के लिए भी कुछ कर सकें।

बरेली: जिन लोगों ने आपको चोट पहुंचाई, उनके लिए दिल में नाराजगी न रखें, उन्‍हें माफ कर दें। ऐसा करने से आपके दिल में और अच्‍छी चीजें रखने की जगह बनेगी…। बरेली के युवा क्षितिज अग्रवाल (Chitiz Agarwal) के ट्विटर अकाउंट पर पोस्‍ट यह सुविचार किसी और का उधार लिया हुआ नहीं है। बल्कि यह खुद उनका ही है। क्षितिज के संघर्ष की कहानी भी कुछ ऐसी ही है तभी सातवीं से ट्यूशन पढ़ाकर अपना खुद का खर्च उठाने वाला यह बच्‍चा आज 200 करोड़ के टर्नओवर वाली कंपनी का मालिक है। क्षितिज की कामयाबी का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कभी वह नौकरी की तलाश में अमेरिका गया था, और आज उसकी कंपनी की टॉप 8 पोस्‍ट में सात पर अमेरिकन हैं।

क्षितिज की कंपनी टेकिला ग्‍लोबल सर्विसेज (techila services) में करीब 300 लोग काम करते हैं। इनमें बहुत से विदेशी भी हैं। लेकिन क्षितिज के लिए सबकुछ बहुत आसान नहीं रहा। अपने जीवन के शुरू में इन्‍होंने बहुत आर्थिक संकट देखा। जब वह क्‍लास 7 में थे उस समय उनके पिता को बिजनेस में घाटा हो गया। उनके पास इतने पैसे भी नहीं थे कि वह अपनी पढ़ाई जारी रख पाते। उनकी मां कोचिंग में पढ़ाने लगीं। खुद क्षितिज मुहल्‍ले में बच्‍चों को ट्यूशन पढ़ाने लगे।
इसी तरह उन्‍होंने 12वीं पास की। उसके बाद उन्‍होंने साल 2004 में श्रीराममूर्ति कॉलेज में बीटेक में ए‍डमिशन लिया। लेकिन फीस भरने के लिए साढे़ तीन लाख का लोन लेना पड़ा। इस लोन की अदायगी भी उन्‍होंने पार्ट टाइम कोचिंगों में पढ़ाकर की।
वह दो अलग-अलग कोचिंग में पढ़ाया करते थे। वह बातते हैं कि इसके लिए वह सुबह 6 बजे उठते थे। शाम 5 बजे कॉलेज की पढ़ाई पूरी करके कोचिंग में पढ़ाने जाते थे। इसके बाद रात 10 बजे तक घर लौटते थे। इस तरह उनकी बीटेक पूरी हुई। इसके बाद साल 2008 में उनकी आईबीएम में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के तौर पर पुणे में नौकरी लगी। उनकी पहली सैलरी 5 हजार की थी। लेकिन यहीं से उनका अमेरिका जाने का रास्‍ता भी खुला।

असल में हुआ यह कि आईबीएम में काम करने के दौरान उन्‍होंने अपनी कंपनी की अमेरिका में बड़ी डील करा दी। इसी सिलसिले में उन्‍हें अमेरिका जाना पड़ा लेकिन बाद में उन्‍होंने सोचा कि मेहनती उनकी फायदा कंपनी का, और अगर वह खुद अपने लिए ऐसा करें तो कितना बेहतर हो। खैर, अमेरिका से लौटने के बाद उन्‍होंने ठान लिया कि वह किसी की नौकरी नहीं करेंगे।

उस दौरान सेल्‍सफोर्स नई तकनीक थी। क्षितिज को उसकी अच्‍छी समझ थी इसलिए उन्‍होंने अपने दो दोस्‍तों को साथ लेकर टेकिला ग्‍लोबल सर्विसेज कंपनी की शुरुआत की। उनकी पहली डील भी अमेरिका से हुई। वह बताते हैं कि पहली डील में उन्‍हें इतने पैसे मिले कि वह 5 साल नौकरी करके भी उतने नहीं कमा सकते थे।

बहरहाल, आज क्षितिज की कंपनी में 300 लोग हैं। इनमें अमेरिका समेत दुनिया भर के युवा हैं। क्षितिज का सपना बरेली के लोगों को रोजगार मुहैया कराना है। वह इस समय 100 युवाओं को रोजगार देने के एक प्रोजेक्‍ट पर काम कर रहे हैं।