Amma ki Thaali: जौनपुर की शशिकला चौरसिया आज यूट्यूब पर छाई हैं। उनके चाहने वाले देश ही नहीं विदेश में हैं। उनका चैनल ‘अम्मा की थाली’ उनके पकवानों को तालियां तो दिलवा ही रहा है उन्हें आर्थिक रूप से सबल भी कर रहा है। यही है नए जमाने की तकनीक की ताकत।
जौनपुर: यूपी के पूर्वांचल में एक जिला है जौनपुर। जौनपुर में एक छोटा सा गांव है रखवा… शायद आपने सुना नहीं होगा। लेकिन सात समंदर पार अमेरिका, फिजी, दुबई में इस गांव की ‘अम्मा की थाली’ (amma ki thaali) मशहूर है। साल 2016 में जब इस गांव में 4जी इंटरनेट पहुंचा तो तीन बच्चों की मां शशिकला चौरसिया (shashikala chaurasia) ने सोचा भी नहीं था कि वह घर की चौखट लांघकर साइबर स्पेस की दुनिया में शामिल होने वाली हैं। उनके बेटे चंदन ने यूट्यूब (youtube channel) और इंटरनेट की ताकत को पहचाना और उसमें अपनी मां के हाथ के स्वाद को जोड़ दिया। नतीजा यह है कि आज शशिकला चौरसिया अपना यूट्यूब चैनल चला रही हैं। उनके 1.6 मिलियन यानि 16 लाख सब्सक्राइबर्स हैं। इस यूट्यूब चैनल की बदौलत वह आज हर महीने औसतन 70 हजार रुपये तक कमा लेती हैं।
शशिकला चौरसिया शुरू से ही ऐसा खाना बनाती थीं कि आस-पड़ोस, गली-मुहल्ले वाले उंगलियां चाटते रह जाते थे। खूब तारीफ भी होती थी। शशिकला इसी में खुश थीं। लेकिन उनके बेटे चंदन (29) ने देखा कि उसके कुछ दोस्त गांव में पहुंचे 4जी इंटरनेट की बदौलत यूट्यूब और सोशल मीडिया पर वीडियो वगैरह पोस्ट करके पैसे कमाने की बातें कर रहे हैं।
पहले तो शशिकला नहीं मानीं
चंदन ने कुछ दिन रिसर्च की और इसके बाद अपने भाइयों सूरज और पंकज से कुछ राय मशवरा किया। इसके बाद अपनी मां शशिकला से कहा कि क्यों न वह जो बेहतरीन व्यंजन बनाती हैं उसे यूट्यूब पर पोस्ट कर दिया करें। इससे तारीफ भी मिलेगी और भविष्य में पैसे भी मिल सकते हैं। शशिकला के गले यह बात नहीं उतरी, भला चूल्हे पर बने खाने का वीडियो कोई क्यों देखेगा… और पैसे… वह कोई क्यों देगा?
पहला वीडियो नहीं चल पाया
लेकिन बालहठ के आगे मां की एक न चली और 1 नवंबर 2017 को ‘बूंदी की खीर’ का वीडियो बनाकर यूट्यूब पर पोस्ट किया गया। कक्षा 5 तक पढ़ी शशिकला कैमरे के सामने आने में हिचक रही थीं इसलिए उनकी शर्त थी कि उनका चेहरा नहीं आना चाहिए। खैर, वीडियो बना… लेकिन बच्चों का दिल टूट गया। महज 15-20 व्यूज आए। लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी।
आम का अचार हुआ वायरल
शशिकला भी पिछले 30 बरस से खाना ही बनाती आ रही थीं, वह उसी में खुश थीं। लेकिन बच्चे लगे रहे। अबकी बार मई 2018 में उनकी जिद पर ‘आम के आचार’ का वीडियो पोस्ट किया गया। आम का अचार काम कर गया, यह वीडियो वायरल हो गया और लाखों लोगों ने इसे देखा। तब से आजतक ‘अम्मा की थाली’ ने पलटकर नहीं देखा।
अब पैसे आते हैं अम्मा के अकाउंट में
इसका चैनल का नाम ‘अम्मा की थाली’ क्यों रखा, यह पूछने पर चंदन बताते हैं कि यूट्यूब पर हमने किचन नाम से बहुत चैनल देखे थे। लेकिन मां या दादी मां के हाथ का स्वाद बताने वाला कोई चैनल नहीं दिखा। इसलिए नाम रखा ‘अम्मा की थाली।’ अब चंदन इस चैनका तकनीकी पक्ष देखते हैं, पंकज वीडियो बनाते हैं और सूरज एडिट करते हैं। लेकिन पैसा शशिकला के ही अकाउंट में आता है।
6 लाख सब्सक्राइबर्स हैं, 26 करोड़ व्यूज
तीनों बच्चे जॉब और घर के बिजनेस में लगे रहते हैं। खाली समय में वह चैनल का काम करते हैं। आज सबकी मेहनत की बदौलत चैनल पर लगभग 16 लाख सब्सक्राइबर्स हैं, 26 करोड़ व्यूज हैं। इनकी सदाबहार डिश ‘सूजी के गुलाब जामुन’ है जिसके 5 करोड़ व्यूज हैं, दूसरे नंबर पर रसगुल्ले का वीडियो है जिसे 4 करोड़ लोग देख चुके हैं।
शशिकला चौरसिया की यह कहानी किसी परीकथा के सच होने जैसा है। शशिकला के लिए तो है खुद हमारे आपके लिए भी यह भरोसा करना मुश्किल है कि तकनीक की ताकत हमारी किस्मत की बंद तिजोरी का ताला इस तरह भी खोल सकती है।