बिहार के छपरा जिले की रहने वाली नीतू कुमारी और उसके भाई नितीश की कहानी
शिक्षा की अहमियत हम सभी जानते हैं। पढ़ाई-लिखाई हमारे जीवन के हर कदम पर काम आती है। हमारे समाज में बहुत सारे लोग ऐसे मिल जाएंगे जो ज्ञान का प्रकाश फैलाने में जुटे हुए हैं। दुखद यह है कि आज भी हमारे आसपास बहुत सारे बच्चे ऐसे हैं जो किसी कारण स्कूल नहीं जा पाते हैं। ऐसे ही बच्चों को शिक्षित करने का भाई-बहन ने बीड़ा उठाया। आज के समय में इनको पास 300 से अधिक बच्चे पढाई करने के लिए आते हैं। ये कहानी है बिहार के छपरा जिले की रहने वाली नीतू कुमारी और उसके भाई नितीश की। नीतू एक गरीब परिवार से आती है । वो खुद ग्रेजुएशन की छात्रा हैं। दूसरों के पढ़ाने का जज्बा उनके भाई से नितीश से मिला और अब वो अपने गांव के बच्चों तक बेहतर शिक्षा पंहुचाने का काम कर रही है
नीतू कहती है राज्य सरकार के लाख जतन के बाद भी गांव -कस्बों में शिक्षा का आलम ये है कि गरीब बच्चों तक बेहतर शिक्षा नहीं पहुंच पा रही है । गांव में बच्चे आवारा घूमते थे , जिसके बाद हमने उन्हें फ्री में पढाई की योजना बनाई। नीतू कहती हैं , गांव में अभी भी शिक्षा की पहुंच नहीं है । मेरे गांव के बच्चे स्कूल नहीं जाते थे तब साल 2019 के आखिरी में मैंने और भइया ( नितीश ) ने मिलकर बच्चों को पढ़ाने का प्लान बनाया ।
नीतू के भाई नितीश इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से साहित्य में MA कर रहे हैं। उनका कहना है कि गरीब माता-पिता अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा तो दूर, उन्हें स्कूल तक नहीं भेज पाते थे। दिहाड़ी मजदूरी करने वाले ये परिवार है। ये बच्चे दिनभर या तो धूप में घूमा करते थे। इसीलिए हमने बच्चों को फ्री में स्टडी मटेरियल भी देती है। नितीश कहते है , जब शुरुआत में हमने इसे खोला तो बच्चों को कोचिंग सेंटर तक लाना काफी मुश्किल था। वो आगे कहते हैं , माता पिता बच्चों को अपने साथ मजदूरी कराने या किसी अन्य काम के लिए ले जाना चाहते थे। हम लोगों ने उन्हें समझाना शुरु किया । पढ़ाई के महत्व को समझाया , लेकिन कुछ लोगों को ऐसा भी लग रहा था कि हम अपने स्वार्थ के लिए ये सब कर रहे हैं । नितीश कहते है , शुरुआत में 10-15 बच्चे ही पढ़ने के लिए आते थे । धीरे धीरे राज्य के कई बुद्धिजीविका , IAS, IPS अधिकारियों का साथ मिलने लगा । ये लोग अब काम की तारीफ कर रहे हैं आज 300 से ज्यादा बच्चे पढ़ रहें हैं। अब वो बच्चों को पढ़ाने के साथ साथ दसवीं के बाद की पढ़ाई करने वाले बच्चों को करियर में मदद कर रहे हैं। उनकी कांउसलिंग कर उन्हें आगे की पढ़ाई में मदद कर रहें हैं ।
नितीश कहते है कि कोरोनाकाल में लग रहा था कि ये कोचिंग बंद हो जाएगी , क्योंकि लॅाकडाउन के बाद कुछ महीने के लिए इसे बंद करना पड़ा था , लेकिन उन्होंने बच्चों के माता पिता को विश्वास में लेकर फिर से अपनी कोचिंग को चलाना शुरू किया। इसमें नितीश के अलावा आशुतोष , अनुज , रौशन , काजल , पंकज समेत 20 से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं।