प्रसिद्ध फ्रांसीसी लेखक डोमिनिक लापिएर का निधन 4 दिसंबर को हो गया है। भोपाल गैस त्रासदी पर किताब लिखने वाले डोमिनिक लापिएर ने अपनी ‘रॉयल्टी’ गैस पीड़ितों की मदद के लिए दान कर दी थी। बात दें फ्रांसीसी लेखक को 2008 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
नई दिल्लीः फ्रेंच लेखक और भारत के मित्र डोमिनिक लापिएर नहीं रहे। उन्होंने भारत के आजाद होने की कहानी ‘फ्रीडम ऐट मिडनाइट’ नाम की किताब में अपने साथी लेखक लैरी कौलिंस के साथ मिलकर लिखी थी। इस किताब को लिखने के दौरान वे बार-बार दिल्ली आए। तथ्यों को जानने, समझने और पुष्टि के लिए। वे 1970 के दशक के आरंभिक साल थे। ‘फ्रीडम ऐट मिडनाइट’ 1975 में प्रकाशित हुई थी। लापिएर और कौलिंस दिल्ली में गांधी जी के करीबी सहयोगी बृज कृष्ण चांदीवाला से लेकर कुलदीप नैयर, खुशवंत सिंह, राजनेता डॉ. करण सिंह और ओबेरॉय होटल के मालिक एम.एस ओबेरॉय से मिल रहे थे।
बुक फेयर में लापिएर
‘फ्रीडम ऐट मिडनाइट’ ने बाजार में आते ही तहलका मचा दिया था। तथ्यों को रोचक शैली में पेश करने में यह अतुलनीय पुस्तक के रूप में याद की जाती है। रेलवे बोर्ड के पूर्व मेंबर डॉ. रविन्द्र कुमार अपने प्रिय लेखक डोमिनिक लापिएर के निधन का समाचार सुनकर उदास हो गए। उन्हें याद आ रहा था वह गुजरा हुआ दौर, जब 1977 में प्रगति मैदान के बुक फेयर में उन्हें ‘फ्रीडम ऐट मिडनाइट’ पर लापिएर के ऑटोग्राफ लेने का मौका मिला था। उस बुक फेयर में लापिएर ही थे। उन्हें पाठकों ने घेरा हुआ था। उनसे सवाल पूछे जा रहे थे। वे तब कितने खुश थे। अब बस बची हैं यादें। लापिएर अक्सर कहा करते थे कि भारत उनका दूसरा घर है। फ्रांसीसी लेखक को 2008 में भारत सरकार ने पद्म भूषण से सम्मानित किया था।
जिन्ना का बंगला और गंगाजल
डोमिनिक लापिएर ‘फ्रीडम ऐट मिडनाइट’ को लिखने के दौरान रामकृष्ण डालमिया की पत्नी दिनेश नंदिनी डालमिया से भी मिले। उन्होंने ही लापिएर को बताया था कि उनके पति ने करीब ढाई लाख रुपये में मोहम्मद अली जिन्ना से उनका 10 औरंगजेब रोड (अब एपीजे अब्दुल कलाम रोड) का बंगला खरीदा था। उसे खरीदने के बाद उस गंगाजल से धुलवाया भी था। इस तथ्य को किताब में जगह मिली। इन छोटे-छोटे पर अहम तथ्यों को शामिल करने से उनकी किताब को पाठकों ने हाथों-हाथ लिया था। ‘फ्रीडम ऐट मिडनाइट’ को आगे चलकर हिंद पॉकेट बुक्स ने ‘आजादी आधी रात को’ नाम से हिंदी में छापा। इसे भी पाठकों ने खूब पढ़ा। इसमें सनसनीखेज खुलासा किया गया था कि अगर भारत के अंतिम वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन को पता चल गया होता कि जिन्ना ‘सिर्फ कुछ महीनों के मेहमान’ हैं तो वे बंटवारे के बजाय जिन्ना की मौत का इंतजार करते। हालांकि यह बात सिर्फ जिन्ना के हिंदू डॉक्टर को पता थी, जिसने अपने मरीज के साथ विश्वासघात नहीं किया।
लिखी भोपाल गैस त्रासदी की कहानी
डोमिनिक लापिएर दिल्ली में अशोक होटल या इंपीरियल होटल में ही ठहरते थे। वे यहां पर हिंद पॉकेट बुक्स और फुल सर्किल पब्लिशिंग हाउस के मैनेजिंग डायरेक्टर शेखर मल्होत्रा के मेहमान होते थे। वे जब तक दिल्ली में रहते तो शेखर मल्होत्रा के जोर बाग वाले घर में लेखकों और पाठकों के बीच संवाद जारी रहता। लापिएर अपनी लेखन यात्रा पर बात करते। शेखर अपने दोस्तों, लेखकों और किताबों के शैदाइयों को लापिएर से मिलने के लिए बुला लेते।