उसने खेत में काम करते वक्त खुरपी मुंह में डाल ली। उसके बाद सब हार गए, लेकिन खुरपी नहीं निकली। दौड़ते-भागते लोग अस्पताल पहुंचे और ऑपरेशन हुआ, तब जाकर वह मुंह बंद कर सका।
लोग उसे मानसिक रूप से कमजोर बताते हैं, लेकिन पेट पालने के लिए उसे भी खेत में काम करना पड़ता है। काम के दौरान किस चीज का कैसे इस्तेमाल करना है, यह वह सीख गया था लेकिन उसके दिमाग ने इतना काम नहीं किया कि किस चीज का कैसे उपयोग नहीं करना है। उसने खेत में काम करते वक्त खुरपी मुंह में डाल ली। उसके बाद सब हार गए, लेकिन खुरपी नहीं निकली। दौड़ते-भागते लोग अस्पताल पहुंचे और ऑपरेशन हुआ, तब जाकर वह मुंह बंद कर सका। लगातार घंटों मुंह खुला रहने से उसके जबड़े में दर्द हो गया। वाकया बिहार के गोपालगंज का है।
डेंटल विभाग में तीन डॉक्टरों ने की सर्जरी
नगर थाना क्षेत्र के साधु चौक निवासी मिथिलेश कुमार मानसिक रूप से विक्षिप्त बताया जाता है। खेत में काम करते समय मुंह में खुरपी फंसाने के बाद वह चिल्लाने लगा। आसपास के लोगों ने युवक के परिजनों को इसकी सूचना दी। परिजन युवक के मुंह से खुरपी निकालने के लिए हर जुगत लगाकर थक गए, लेकिन सफलता नहीं मिली। खुरपी के कारण मुंह बंद नहीं होने और निकालने के दौरान चोटिल होने से हालत बिगड़ने लगी, तब उसे परिजन सदर अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां से इमरजेंसी वार्ड के डॉक्टरों ने उसे डेंटल विभाग में रेफर कर दिया।