मकर संक्रांति पर गोरखनाथ मंदिर परिसर में लगने वाले खिचड़ी मेले के लिए मंदिर परिसर सज कर तैयार है। एक महीने से अधिक समय तक चलने वाले मेले में देश-विदेश श्रद्धालु आकर गुरु गोरखनाथ को आस्था की खिचड़ी चढ़ाते हैं।
मान्यता है कि गुरु गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा त्रेता युग से चली आ रही है। कहा जाता है कि गुरु गोरखनाथ कांगड़ा में ज्वाला देवी के दरबार में गए। वहां पर देवी ने उन्हें भोजन के लिए आमंत्रित किया तो गुरु गोरखनाथ ने कहा कि वह तो खिचड़ी खाते हैं। आप पानी गरम कीजिए, बाकी सामग्री लेकर आते हैं। गुरु गोरखनाथ वहां से निकले तो गोरखपुर आ गए।
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भगवा रंग के गमलों से सजा मंदिर परिसर
यू तो गोरखनाथ मंदिर के मुख्य द्वार से लेकर पूरा परिसर भगवामय है, लेकिन इस साल मंदिर परिसर को गमलों से सजाया गया है। मंदिर के चारों तरफ पौधे लगे बड़े छोटे गमले रखे गए हैं। सभी भगवा रंग में रंगे हुए हैं।
मुख्य द्वार से गर्भगृह तक बैरिकेडिंग
मकर संक्रांति के दिन खिचड़ी चढ़ाने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं। इसलिए मुख्य द्वार से लेकर गर्भगृह के पास तक बैरिकेडिंग की व्यवस्था मंदिर प्रबंधन की तरफ से की जाती है। शुक्रवार को बल्लियां तथा मंदिर परिसर में लोहे की पाइप लगाकर बैरिकेडिंग कर दी गई।
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गुरु गोरखनाथ को खिचड़ी चढ़ाने तथा दर्शन करने के लिए महिलाओं और पुरुषों के लिए दो-दो लाइनों के साथ बीच में एक वीवीआईपी लाइन होती है, जिस रास्ते विशिष्ट लोग ही जाते हैं। हर जगह मंदिर के वालंटियर तैनात रहते हैं।
मंदिर में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम
मेले में आए श्रद्धालुओं को कोई दिक्त न हो, इसलिए सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। सात पुलिस चौकी के अलावा एक थाना बनाया गया है। परिसर में 72 सीसी टीवी कैमरे लगाए गए हैं। इसके अलावा एटीएस सहित अन्य सुरक्षा एजेंसियों के जवान तैनात हैं।