लंपी रोग को लेकर सरकार व विभाग नहीं है गंभीर, हिमाचल किसान सभा ने लगाया आरोप

टेकचंद वर्मा, वरिष्ठ संवाददाता ( शिमला )
हिमाचल प्रदेश में लंपी चर्म रोग से संक्रमण के मामले औसतन 500 प्रतिदिन तक पहुंच गए हैं लेकिन सरकार के विभागों में अभी तक भी तालमेल नहीं बन पाया है। यह आरोप हिमाचल किसान सभा ने लगाया है। किसान सभा का आरोप है कि इधर पशुपालन विभाग लंपी को महामारी बता रहा है तो राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण इसे महामारी मानने से आनाकानी कर रहा है।

विधानसभा में मंत्री ने पशु की मौत पर मुआवजा देने की घोषणा तो की, लेकिन घोषणा अभी तक भी ज़मीन पर नहीं उतरी। मुआवजा देने के नियम अभी तक स्पष्ट नहीं है। जिससे प्रभावितों को मुआवजा नहीं मिल पाया है। हिमाचल किसान सभा का प्रतिनिधि मंडल गुरूवार को डा. कुलदीप सिंह तंवर की अध्यक्षता में निदेशक पुशपालन से मिला।

प्रतिनिधिमंडल में पशुपालक भी शामिल रहें। इस दौरान निदेशक के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन सौंपा। प्रतिनिधिमंडल में मशोबरा और बसंतपुर विकास खंडों के 50 से अधिक प्रभावित परिवारों से लोगों ने भाग लिया। मुख्यमंत्री को सौपें गए ज्ञापन में मांग उठाई गई है कि मुआवजे के लिए अधिसूचना जारी की जाए। पशुपालकों को शीघ्र मुआवजा दिया जाए। महामारी की अधिसूचना जारी होने की तिथि से पहले लंपी रोग से मरे पशुओं के लिए भी मुआवजा दिया जाए।

जिन पशुपालकों ने ऋण लेकर गाय खरीदी थी और मर गई उनका ऋण माफ किया जाए। बीमारी के कारण जिन परिवारों में रोग के कारण दूध कम हुआ है उन परिवारों को भी मुआवजा मिलना चाहिए। पशुपालन विभाग के रिक्त पद तुरंत भरे जाएं।
राज्य में संक्रमण को देखते हुए टीकाकरण मुहिम तेज की जाए।

वायरस की रोकथाम के लिए औषधालयों में दवाइयां और इंजेक्शन उपलब्ध करवाए जाएं। महामारी में काम कर रहे डॉक्टरों और स्टाफ के लिए वाहनों की व्यवस्था की जाए। छुट्टियों में और अतिरिक्त समय देने के लिए उन्हें विशेष भत्ता दिया जाए। महामारी से प्रभावी तौर पर निपटने के लिए अंतर्विभागीय समन्वय समिति का गठन किया जाए।

डा. कुलदीप सिंह तंवर ने कहा कि अभी पशुपालन विभाग का ढांचा बहुत कमज़ोर है जो महामारी से निपटने के लिए पर्याप्त नहीं है। सरकार को इस पर विशेष ध्यान देना चाहिए, उन्होंने कहा कि सरकार को महामारी से निपटने के लिए कॉरपोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी के तहत फंड का इंतजाम किया जाना चाहिए