कुल्लू. किसान आंदोलन में भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा के नेता राकेश टिकैत 6 दिवसीय हिमाचल दौरे पर है. राकेश टिकैत ने कुल्लू में प्रेसवार्ता को संबोधित करते हुए प्रदेश की भाजपा सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश से भी किसानों की बहुत सारी सारी शिकायतें मिलती थी. बिजली लाइनों के लिए भूमि अधिग्रहण उचित मुआवजा नहीं मिलता है.
फोरलेन प्रभावितों को भी सरकार ने उचित मुआवजा नहीं दिया है. इसके चलते अब हिमाचल प्रदेश में भी संयुक्त किसान मोर्चा आने वाले समय में गांवों में किसानों के मुद्दों को लेकर सरकार को घेरने की रणनीति तैयार की है. हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकार ने घोषणा पत्र में किसानों के साथ चार गुना मुआवजा का वादा किया था, लेकिन साढ़े 4 साल बीत जाने के बाद भी किसानों को उचित मुआवजा नहीं मिल रहा है. साल 2013 में जब नया भू अधिग्रहण बिल आया था, तो उसमें सभी पार्टियों ने किसानों के साथ चार गुना मुआवजा का वादा किया था.
ऐसे में आने वाले समय में हिमाचल प्रदेश में रेलवे का प्रोजेक्ट भी आने वाला है और हिमाचल में 4 नेशनल हाईवे पर काम चल रहा है. इससे हिमाचल प्रदेश में भी हजारों किसानों की भूमि चली गई है और रेलवे प्रोजेक्ट में भी दोगुना मुआवजा दिया जा रहा है. किसानों की जमीनों का उचित मुआवजा नहीं मिल पा रहा है. उन्होंने कहा संयुक्त किसान मोर्चा की मांग है कि किसानों की फसलों की एमएसपी निर्धारित की जाए. देश में महंगाई बढ़ी है, लेकिन किसानों के उत्पादों की कीमतें घटी हैं. जिससे किसानों को नुकसान हो रहा है. हम सरकार से मांग कर रहे हैं कि किसान की फसल का मिनिमम समर्थन मूल्य निर्धारित किया जाए. ऐसे में सरकार एमएसपी बिल को लागू नहीं कर रही है. उन्होंने कहा कि स्वामीनाथ कमीशन की रिपोर्ट को लागू करने की मांग की जा रही है. किसानों के हक के लिए एमएसपी कानून बने, ताकि किसानों की फसलों की खरीद उचित दाम पर हो सके
सरकार मंडी कानून की व्यवस्था करेः टिकैत
उन्होंने कहा कि ऐसे में सरकार को किसानों की फसल को मंडी तक पहुंचाने के लिए व्यवस्था करनी चाहिए, जिस प्रकार से उत्तर प्रदेश बिहार में ट्रांसपोर्टेशन पर सब्सिडी किसानों को मिलती है. ऐसे में हिमाचल में भी यह व्यवस्था लागू हो, जिससे किसानों को फायदा मिल सके. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश में किसानों के छोटे-छोटे संगठन हैं. ऐसे में आने वाले समय में भारतीय संयुक्त किसान मोर्चा उन संगठनों को एकजुट कर बड़ा आंदोलन करेगा, जिससे आने वाले समय में विधानसभा चुनावों से पहले यह आंदोलन किया जाएगा.