Vijendra Mehra objected to not inviting labor unions to the parliamentary committee meeting

स्कूलों को लेकर सरकार का फरमान आधा अधूरा : विजेंद्र मेहरा

छात्र अभिभावक मंच हिमाचल प्रदेश के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने ,शिमला जिला व अन्य शीतकालीन सत्र के छात्रों की, कक्षाओं व ऑनलाइन वार्षिक परीक्षाओं को लेकर ,उच्चतर शिक्षा निदेशक द्वारा की गई ,अधिसूचना का स्वागत किया है, लेकिन इसे आधा-अधूरा करार दिया है। मंच ने इस अधिसूचना को, प्राइमरी कक्षाओं के साथ, ही नौवीं कक्षा तक लागू करने की मांग की है। मंच ने इस आदेश को, हिमाचल प्रदेश शिक्षा बोर्ड के, स्कूलों के लिए भी लागू करने की मांग की है।

मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मांग की है कि, शिमला शहर व प्रदेश के अन्य शीतकालीन स्कूलों में, केवल पन्द्रह दिन तक चलने वाली, कक्षाएं व वार्षिक परीक्षाएं स्कूलों में न करवाकर ,ऑनलाइन माध्यम से ही करवाई जाएं। उन्होंने इस संदर्भ में तुरन्त ही ,निर्णय लेने की मांग की है ,क्योंकि शिमला के कुछ स्कूलों में ,दो दिन बाद 15 नवम्बर 2021 से वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। उन्होंने इस संदर्भ में ,मुख्यमंत्री के ओएसडी से भी, बातचीत की है। उच्चतर शिक्षा निदेशक के, आदेशों में ऑनलाइन परीक्षाओं का, कोई जिक्र नहीं है। ऑनलाइन कक्षाओं का आदेश भी, स्कूल प्रबंधन व पीटीए पर, छोड़ दिया गया है। यह आदेश भी केवल सीबीएसई, व आईसीएससी के ,प्राइमरी स्कूलों के लिए है ,जिसे नौंवीं कक्षा तक करना चाहिए था। यह आदेश आधा अधूरा है . जिसे मुख्यमंत्री को हस्तक्षेप करके, बेहतर बनाना चाहिए।

विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि ग्रीष्मकालीन व शीतकालीन स्कूलों के सत्र में काफी अंतर है। ग्रीष्मकालीन स्कूलों का साढ़े तीन महीने का सत्र अभी शेष है जबकि शिमला के शीतकालीन स्कूलों में पांच दिन की कक्षाओं के बाद छात्रों की वार्षिक परीक्षाएं शुरू हो रही हैं। ऐसे में शिमला में केवल दस से पन्द्रह दिन के लिए स्कूलों को खोलने का कोई औचित्य नहीं बनता है। जब पूरा वर्ष भर छात्रों ने सौ प्रतिशत पढ़ाई ऑनलाइन कक्षाओं से की है तो फिर दस दिन की वार्षिक परीक्षाओं को ऑफलाइन माध्यम से स्कूलों में करवाने का कोई भी ठोस कारण नहीं बनता है। सरकार के इस निर्णय से छात्रों व अभिभावकों को बेवजह आर्थिक व मानसिक परेशानी झेलनी पड़ रही है।

उन्होंने कहा कि अभिभावक कोरोना महामारी से पहले ही काफी घबराए हुए हैं। शिमला शहर में कोरोना  व अन्य वायरल संक्रमण के मामले भी लगातार बढ़ रहे हैं। ऐसे में बच्चों के कोरोना संक्रमण की जद में आने का काफी गम्भीर खतरा बना हुआ है। स्कूल खुलने से अभिभावकों पर नई ड्रेस खरीदने का भी हज़ारों रुपये का आर्थिक बोझ पड़ने वाला है जबकि इसके बाद तीन महीने के लिए स्कूल शीतकालीन अवकाश के लिए बंद रहेंगे। इस तरह छात्रों व अभिभावकों को बेवजह आर्थिक व मानसिक परेशानी झेलनी पड़ रही है। निजी स्कूल सरकार के स्कूलों को खोलने के निर्णय की आड़ में अभिभावकों पर निरन्तर आर्थिक व मानसिक दबाव बना रहे हैं।