डिजिटल रुपये का पहला ट्रायल 1 नवंबर से शुरू हो गया है.
नई दिल्ली. रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने बुधवार को बड़ा ऐलान किया है. उन्होंने कहा कि आम ग्राहकों के लिए ई-रुपये में लेनदेन की सुविधा इसी महीने शुरू कर दी जाएगी. फिलहाल डिजिटल करेंसी का पायलट प्रोजेक्ट के तहत ट्रायल चल रहा है और इसमें 9 बैंक शामिल हैं. गवर्नर ने कहा है कि अभी इसे बैंकों के लिए जारी किया गया है, लेकिन जल्द ही खुदरा ग्राहक भी डिजिटल रुपये का इस्तेमाल कर सकेंगे.
ट्रायल के पहले दिन बैंकों ने सरकारी प्रतिभूतियों के लेनदेन में 275 करोड़ रुपये का भुगतान डिजिटल रुपये में किया है. गवर्नर दास ने फिक्की और इंडियन बैंक एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में कहा कि जल्द ही हम ई-रुपये की सुविधा खुदरा ग्राहकों को भी उपलब्ध कराएंगे. गवर्नर ने कहा, डिजिटल रुपये की पारदर्शिता को बरकरार रखने पर काम चल रहा है और जल्द ही देशभर में इसका इस्तेमाल शुरू कर दिया जाएगा.
डिजिटल रुपये पर जल्दबाजी नहीं
दास ने कहा, डिजिटल रुपये को लांच करने को लेकर हम कोई जल्दबाजी नहीं कर रहे हैं. इसे आम ग्राहकों को उपलब्ध कराने से पहले सभी पहलुओं की जांच कर लेना चाहते हैं. इस करेंसी के आने के बाद बिजनेस सेक्टर में बड़ा बदलाव देखने को मिलेगा. यही कारण है कि फिलहाल डिजिटल रुपये को लांच करने को लेकर कोई डेडलाइन नहीं बना रहे, लेकिन हमारी कोशिश होगी नवंबर में ही इसे आम ग्राहकों को इस्तेमाल के लिए उपलब्ध करा सकें. उन्होंने कहा कि ग्लोबल इकोनॉमी इस समय बड़े बदलाव से गुजर रही है और सभी बड़े देश अपनी मौद्रिक नीतियों में बदलाव कर रहे हैं.
चुनौती में भी भारत की इकोनॉमी मजबूत
गवर्नर दास ने कहा कि इस समय पूरी दुनिया चुनौतियों से जूझ रही है और इस दौर में भी भारत की इकोनॉमी मजबूत दिखाई दे रही है. महंगाई के दबाव के बावजूद हमारी विकास दर दुनिया में सबसे तेज है और आगे भी इसे बरकरार रखने में कामयाब रहेंगे. त्योहारी सीजन में बंपर बिक्री और उपभोक्ता मांग बढ़ने से इकोनॉमी के सही राह पर बढ़ने की तस्वीर दिखाई देती है.
महंगाई पर बनी है नजर
गवर्नर ने महंगाई को लेकर चिंता जताई और कहा कि तमाम कोशिशों के बाद इसे 6 फीसदी से नीचे लाने में सफलता नहीं मिली है. हम महंगाई पर करीबी निगाह बनाए हुए हैं और इस पर काबू पाने के लिए और भी जरूरी कदम उठाए जाएंगे. उन्होंने कहा कि महंगाई और मौद्रिक नीतियों को लेकर हमारी रणनीति के बारे में सभी को जानने का हक है. यही कारण है कि हमने 3 नवंबर को एमपीसी की बैठक बुलाई है. हम महंगाई के काबू में नहीं आने के कारणों को लेकर सरकार के सामने अपना पक्ष रखेंगे और इसकी जानकारी सार्वजनिक की जाएगी. अगर हम महंगाई को काबू करने के लिए ज्यादा कड़े कदम उठाएंगे तो इसका खामियाजा देश को भुगतना पड़ सकता है.