नई दिल्ली. जीएसटी के तहत ई-इन्वॉइस के नियमों को लेकर कारोबारियों को बड़ा झटका लगा है. सरकार ने स्पष्ट कहा है कि ई-इन्वॉइस से छूट दिए जाने को लेकर कोई प्रस्ताव नहीं है और यह बदस्तूर जारी रहेगा.
वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा, वर्तमान में जीएसटी के तहत ई-इन्वॉइस पर छूट देने का कोई प्रस्ताव नहीं है. इससे पहले सरकार से पूछा गया था कि क्या कारोबारियों को ई-इन्वॉइस से छूट दिए जाने का विचार चल रहा है. चालू वित्तवर्ष के लिए 20 करोड़ रुपये से ज्यादा के सालाना टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए ई-इन्वॉइस को जरूरी बनाया गया है. यह नियम 1 अप्रैल, 2022 से लागू हुआ है.
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कैसे काम करता है ई-इन्वॉइस
जीएसटी नेटवर्क यानी जीएसटीएन ने कॉमन जीएसटी पोर्टल पर सभी बिजनेस टू बिजनेस इन्वॉइस को अपडेट करना जरूरी बना दिया है. यह सिस्टम एक पोर्टल से जीएसटी पोर्टल और ई-वे बिल पोर्टल पर रियल टाइम में डाटा भेजता है. ऐसे में ई-बिल निकालने या जीएसटीआर-1 रिटर्न भरने में अलग से डाटा फीड करने की जरूरत नहीं होती है.
इस सिस्टम की मदद से बिल के मिसमैच होने की घटनाओं पर रोक लगी है और कारोबारियों के लिए रिटर्न भरना व इनपुट टैक्स क्रेडिट क्लेम करना आसान हो गया है. इसके अलावा कर अधिकारियों की ओर से ऑडिट या सर्वे किए जाने की आशंकाओं को भी ई-इन्वॉइसिंग सिस्टम ने खत्म कर दिया है, क्योंकि यहां सभी आंकड़े और जानकारियां ट्रांजेक्शन लेवल पर ही उपलब्ध हो जाते हैं.
अगले साल से 5 करोड़ टर्नओवर पर लागू
मामले से जुडे एक अधिकारी का कहना है कि सरकार अगले साल से जीएसटी पर ई-इन्वॉइस सिस्टम को सालाना 5 करोड़ से ज्यादा के टर्नओवर वाले कारोबारियों के लिए भी अनिवार्य बनाने जा रही है. इससे पहले यह 500 करोड़ के टर्नओवर पर था, जिसे घटाकर 100 करोड़ और फिर 50 करोड़ तक लाया गया था. चालू वित्तवर्ष में इसे घटाकर 20 करोड़ रुपये सालाना टर्नओवर कर दिया गया.