Gujarat Assembly Election 2022: जानिए बीजेपी की बंपर जीत के प्रमुख कारण, नोटा 9 फीसदी घटा तो पाटीदार वोटर भाजपा की ओर लौटा

नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बृहस्पतिवार को गुजरात विधानसभा चुनाव में 156 सीटें अपने नाम कर ना सिर्फ ऐतिहासिक जीत दर्ज की, बल्कि बड़े अंतर से अच्छी-खासी संख्या में सीटें हासिल कर कुछ और रिकॉर्ड बनाए. घाटलोडिया और चोरयासी सीटों पर जीत का अंतर दो लाख के करीब रहा. घाटलोडिया से लगातार दूसरे कार्यकाल के लिए जीतने वाले मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को 1.92 लाख से अधिक मतों से हराया. आठ सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों की जीत का अंतर एक से डेढ़ लाख वोटों के बीच रहा.

पाटीदार वोटर भाजपा की ओर लौटा
गुजरात में आरक्षण आंदोलन की पृष्ठभूमि में 2017 के विधानसभा चुनाव में पाटीदार समुदाय के एक वर्ग ने भाजपा के खिलाफ मतदान किया था. लेकिन अब इस समूह का मतदाता इस चुनाव में सत्तारूढ़ पार्टी की ओर लौट आया है. सौराष्ट्र क्षेत्र में कांग्रेस ने 2017 में मोरबी, टंकारा, धोराजी और अमरेली की पाटीदार बहुल सीटों पर जीत हासिल की थी. हालांकि, ये सभी विधानसभा क्षेत्र इस बार भाजपा की झोली में गए. पाटीदार बहुल सूरत में जहां आम आदमी पार्टी (आप) कुछ सीट हासिल करने के लिए इस समुदाय पर निर्भर थी, लेकिन उसने बड़े पैमाने पर सत्ताधारी दल का समर्थन किया. सत्तारूढ़ पार्टी भाजपा पाटीदार आरक्षण आंदोलन के नेता हार्दिक पटेल को कांग्रेस से अपने पाले में लायी और उन्हें वीरमगाम विधानसभा सीट से मैदान में उतारा. जहां से उन्होंने भारी मतों के अंतर से जीत हासिल की.

खेदब्रह्म सीट पर सर्वाधिक वोट नोटा को 
वहीं, गुजरात विधानसभा चुनाव में ‘नोटा’ के तहत पड़े वोट की हिस्सेदारी 2017 की तुलना में नौ प्रतिशत से अधिक घट गई है, इस बार खेड़ब्रह्मा सीट पर सबसे अधिक 7,331 वोट नोटा को पड़े हैं. निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार राज्य में इस चुनाव में 5,01,202 या 1.5 प्रतिशत वोट नोटा के थे, जो 2017 के विधानसभा चुनावों में 5,51,594 से कम हैं. खेड़ब्रह्मा सीट पर सबसे ज्यादा 7,331 नोटा वोट पड़े, उसके बाद दांता में 5,213 और छोटा उदयपुर में 5,093 वोट पड़े.