Gujarat Election: राजस्थान के सियासी ड्रामे का गुजरात तक असर, गहलोत के भरोसे बैठी कांग्रेस कैसे खत्म करेगी 27 साल का सूखा?

राजस्थान में सियासी ड्रामा जल्द खत्म नहीं हुआ तो इसका खामियाजा कांग्रेस को गुजरात चुनाव में उठाना पड़ सकता है। चुनावी रणनीति का सारा कामकाज अशोक गहलोत ही संभाल रहे हैं। वह गुजरात चुनाव के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक हैं, राज्य में नियुक्त ज्यादातर पर्यवेक्षक भी उन्हीं के भरोसे हैं।

गांधीनगर: राजस्थान कांग्रेस में चल रही उठापटक जल्द खत्म नहीं होती है तो इसका नुकसान कांग्रेस को गुजरात चुनाव में उठाना पड़ सकता है। गुजरात में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव हैं और पार्टी के पास तैयारियों के लिए बहुत कम समय बचा है। चुनावी रणनीति का सारा कामकाज अशोक गहलोत ही संभाल रहे हैं। वह गुजरात चुनाव के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ पर्यवेक्षक हैं, राज्य में नियुक्त ज्यादातर पर्यवेक्षक भी उन्हीं के भरोसे हैं। गौरतलब है कि कांग्रेस गुजरात की सत्ता से पिछले 27 सालों से बाहर है। दूसरी ओर कांग्रेस को अपने भरोसेमंद और गुजरात के वरिष्ठ नेता अहमद पटेल की भी कमी खलेगी जिनका साल 2020 में निधन हो गया। ऐसे में अगर राजस्थान का सियासी संकट जल्द नहीं सुलझा तो इसका असर गुजरात तक हो सकता है।

12 जुलाई को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गुजरात चुनाव के लिए वरिष्ठ पर्यवेक्षक नियुक्त किया था। इसके बाद गहलोत ने गुजरात जाकर चुनाव से जुड़े मामलों का कामकाज संभाला था लेकिन अब राजस्थान में सीएम पद को लेकर मची उठापटक के बाद गहलोत और कांग्रेस हाईकमान के बीच तल्खियां बढ़ गई हैं।

गुजरात में राजस्थान के 13 मंत्री हैं पर्यवेक्षक
राजस्थान में असमंजस के बीच गुजरात कांग्रेस के नेता पार्टी नेतृत्व के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं। गुजरात कांग्रेस में चुनाव से जुड़ी तमाम प्रक्रिया जैसे उम्मीदवारों के चयन से लेकर, प्रचार और तमाम दूसरी रणनीति अटकी पड़ी हैं। पार्टी के प्रदेश प्रभारी रघु शर्मा भी गहलोत के भरोसेमंद हैं। इसके अलावा गुजरात में राजस्थान सरकार के 13 मंत्री और 10 विधायक पर्यवेक्षक की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।

राहुल और प्रियंका भी नदारद
वहीं इन सबके बीच कांग्रेस के खास चेहरे राहुल गांधी और पार्टी महासचिव प्रियंका गांधी भी चुनावी राज्य से दूर हैं। राहुल गांधी जहां भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त हैं वहीं प्रियंका पिछले दिनों विदेश से लौटी हैं और दिल्ली में मौजूद हैं।

कांग्रेस के संकट का AAP को मिल सकता है फायदा
कांग्रेस के इस संकट का फायदा आम आदमी पार्टी को मिल सकता है। आम आदमी पार्टी गुजरात चुनाव में पूरी ताकत झोंकती नजर आ रही है। अरविंद केजरीवाल अक्सर गुजरात दौरे पर जाकर बड़ी-बड़ी घोषणाएं कर रहे हैं। वहीं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह भी प्रचार में जुटे हुए हैं।

कांग्रेस कैसे खत्म कर पाएगी 27 साल का सूखा?
गौरतलब है कि गुजरात में कांग्रेस पिछले 27 साल से सत्ता से बाहर है। आखिरी बार यहां 1995 में कांग्रेस ने जीत हासिल की थी। इसके बाद 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए 77 सीट हासिल की थी। हालांकि, अपने विधायकों को एकजुट रखने में फेल रही। 2017 से 2022 के बीच कांग्रेस के विधायकों की संख्या घटकर 63 रह गई है। वहीं 2017 में चर्चित युवा तिगड़ी में से अल्पेश ठाकोर और हार्दिक पटेल कांग्रेस छोड़ कर बीजेपी में शामिल हो चुके हैं।