सवाल ये है कि मतदान घटने के मायने क्या हैं? मतदान घटने से किसे फायदा होगा? 2017 में जिन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस को जीत मिली थी, वहां क्या हुआ? पाटीदार और आदिवासी बहुल सीटों पर क्या हुआ? कितने प्रतिशत मतदान बढ़ा या घटा? आइए समझते हैं…
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गुजरात के 19 जिलों की 89 विधानसभा सीटों पर गुरुवार को मतदान हुआ। पहले चरण में 63 फीसदी से ज्यादा मतदान हुआ। 2017 के मुकाबले इसमें करीब चार फीसदी की गिरावट दर्ज हुई है। 2017 में इन सीटों पर 67.20 प्रतिशत लोगों ने वोट डाला था।
ऐसे में सवाल यही है कि मतदान घटने के मायने क्या हैं? मतदान घटने से किसे फायदा होगा? सवाल ये भी है कि 2017 में जिन सीटों पर भाजपा और कांग्रेस को जीत मिली थी, वहां क्या हुआ? पाटीदार और आदिवासी बहुल सीटों पर क्या हुआ? कितने प्रतिशत मतदान बढ़ा या घटा? आइए समझते हैं…
मतदान प्रतिशत घटने के क्या मायने हैं?
इसे समझने के लिए हमने गुजरात के वरिष्ठ पत्रकार वीरांग भट्ट से बात की। उन्होंने कहा, ‘वोटिंग प्रतिशत में आई गिरावट काफी कुछ इशारा कर रही है। पुराने आंकड़े देखें तो जब भी वोटिंग प्रतिशत में गिरावट हुई है, तब भाजपा को नुकसान उठाना पड़ा है। 2007, 2012 और फिर 2017 के चुनावी नतीजे इसके उदाहरण हैं। जहां-जहां वोटिंग प्रतिशत में कमी हुई, वहां कांग्रेस को जीत मिली। हालांकि, हर बार ऐसा हो ये जरूरी नहीं है। इसलिए ऐसा भी हो सकता है कि इस बार आई वोट प्रतिशत में गिरावट का भाजपा को फायदा हो जाए।’
भट्ट आगे कहते हैं, ‘पिछले चुनावों के मुकाबले इस बार की परिस्थिति कुछ अलग है। इस बार आम आदमी पार्टी ने भी पूरी ताकत झोंक रखी है। इसके अलावा मुस्लिम बहुत इलाकों में एआईएमआईएम की मौजूदगी ने भी राजनीतिक दलों में हलचल बढ़ा दी है। ऐसे में संभव है कि वोटिंग घटने के बावजूद भाजपा इसका फायदा उठाने में कामयाब हो जाए।’