Gujarat Hooch News: गुजरात में जहरीली शराब कांड में 46 लोगों की मौत हो चुकी है। इस बीच गृह विभाग ने बोटाद और अहमदाबाद जिलों के एसपी का तबादला कर दिया है। इसके साथ ही छह पुलिसकर्मियों को सस्पेंड भी किया गया है।
गुजरात के अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह राजकुमार का कहना है कि हमने बोटाद के पुलिस अधीक्षक करणराज वाघेला और अहमदाबाद के पुलिस अधीक्षक वीरेंद्र सिंह यादव का तबादला कर दिया है। दो पुलिस उपाधीक्षकों, एक सर्किल पुलिस निरीक्षक, एक पुलिस निरीक्षक और दो सब-इंस्पेक्टर को निलंबित कर दिया गया है।
उधर गुजरात के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने बुधवार को बताया कि 25 जुलाई को बोटाद में जहरीली शराब पीने के बाद बोटाद और पड़ोसी अहमदाबाद जिले में अब तक 46 लोगों की मौत हो चुकी है। अकेले बोटाद में 32 लोगों ने अब तक जान गंवाई है। उन्होंने कहा था कि भावनगर, बोटाद और अहमदाबाद में कम से कम 97 लोग अस्पतालों में भर्ती हैं, जिनका इलाज किया जा रहा है।
उधर गुजरात के पूर्व गृहमंत्री विपुल चौधरी ने शराबबंदी वाले राज्य में गुणवत्तापूर्ण शराब की वकालत कर नया विवाद खड़ा कर दिया है। विपुल चौधरी ने बुधवार को अरबुडा पैनल की पाटन जिला कार्यसमिति की बैठक के दौरान यह बयान दिया। चौधरी के नेतृत्व में अरबुडा पैनल मेहसाणा जिला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ लिमिटेड (दूधसागर डेयरी) का चुनाव लड़ने जा रहा है।
गुणवत्तापूर्ण शराब की वकालत करते हुए चौधरी ने कहा, ‘कोई भी सख्त कानून शत-प्रतिशत शराबबंदी लागू नहीं कर सकता, तो कानून का क्या मतलब है, बेहतर है कि गुणवत्तापूर्ण शराब मुहैया कराई जाए।’ उन्होंने कहा, ‘अगर आप शराब का सेवन करना चाहते हैं, तो सहकारी दूध डेयरियों द्वारा आपूर्ति किए जाने वाले दूध की तरह गुणवत्ता वाली शराब लें। राज्य सरकार को सहकारी समितियों के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शराब उपलब्ध करानी चाहिए।’
ओबीसी समुदाय से आने वाले बीजेपी नेता अल्पेश ठाकोर ने जहरीली शराब त्रासदी पीड़ितों के परिवारों के पास जाकर शोक जताया था। उन्होंने भी शराबबंदी को सख्ती से लागू करने की मांग की। हालांकि ठाकोर ने भी एक विवादास्पद बयान देते हुए कहा, ‘पंचायत, निगम, विधानसभा या लोकसभा चुनाव लड़ने वालों को चुनाव के दौरान शराब बांटना बंद कर देना चाहिए। अगर 182 विधायक फैसला करते हैं, तो बाजार में अवैध शराब की एक बूंद भी नहीं मिलेगी।’ उन्होंने कहा कि निर्वाचित प्रतिनिधियों को पत्र लिखने के स्थान पर स्थानीय निवासियों के सहयोग से ऐसे शराबखानों पर जनता छापेमारी करनी चाहिए। यह भी एक नियमित अभ्यास होना चाहिए न कि प्रतीकात्मक।