राजकोट निवासी मधुकर वोरा को फरवरी 2018 में शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में उन्हें अहमदाबाद के एक अस्पताल में रेफर कर दिया गया। उन्हें फेफड़ों के कार्सिनोमा होने का पता चला। उनका इलाज किया गया और चिकित्सा खर्च के रूप में 6.53 लाख रुपये का दावा दायर किया।
राजकोट निवासी मधुकर वोरा को फरवरी 2018 में शहर के एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और बाद में उन्हें अहमदाबाद के एक अस्पताल में रेफर कर दिया गया। उन्हें फेफड़ों के कार्सिनोमा होने का पता चला। उनका इलाज किया गया और चिकित्सा खर्च के रूप में 6.53 लाख रुपये का दावा दायर किया। लेकिन ओरिएंटल इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड ने 30 अप्रैल, 2019 को उसके दावे को इस आधार पर खारिज कर दिया कि वह चेन स्मोकर थे।
‘निकोटीन नशीला पदार्थ, सिद्ध नहीं’
वोरा ने उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग से संपर्क किया, जिसने पाया कि सिगरेट में निकोटीन एक सिद्ध नशीला पदार्थ नहीं है। इसके अलावा, यह साबित नहीं हुआ कि वोरा की बीमारी सिगरेट पीने से हुई थी। अदालत ने कहा कि बीमा कंपनी ने आधारहीन आपत्तियां पैदा कर अपनी सेवा में चूक की।
एक दिन में पीता था 20 सिगरेट तक
बीमा कंपनी ने तर्क दिया था, ‘हमें अपनी जांच और अस्पतालों के कागजात के दौरान पता चला है कि शिकायतकर्ता पिछले 40 वर्षों से एक दिन में लगभग 15 से 20 सिगरेट पी रहा था। इस प्रकार, पॉलिसी की शर्त संख्या 4. 8 के अनुसार, यह दावा अस्वीकृति के अधीन है।’ बीमाकर्ता ने तर्क दिया कि पॉलिसी की शर्त में कहा गया है कि दवा/शराब/नशीले पदार्थों के दुरुपयोग या व्यसन के मामले में दावा खारिज किया जा सकता है।
20 वर्षों से ले रखी थी पॉलिसी
वोरा ने 20 वर्षों से पॉलिसी ले रखी थी। वोरा के वकील शैलेंद्रसिंह जडेजा ने कहा कि आयोग ने बीमा कंपनी को 30 दिनों के भीतर 6 लाख रुपये और कानूनी खर्चों के लिए 5,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया है।