Gujju Ben Na Nasta: नाती-पोतों वाली 77 साल की दादी कैसे बन गई एक सफ़ल बिज़नेसवुमन और TEDEx Speaker

gujju ben na nashta

वो स्त्री है कुछ भी कर सकती है.

फ़िल्म ‘स्त्री’ में ‘स्त्री’ नामक चुड़ैल के लिए ये डायलॉग कहा गया. और लोगों ने औरतों का मज़ाक बनाने के लिए इस डायलॉग का मीम में इस्तेमाल शुरू किया. सच कहें तो स्त्रियां सच में कुछ भी कर सकती हैं और किसी भी उम्र में कर सकती हैं. दुनिया के हर क्षेत्र में पुरुषों का बोल-बाला है लेकिन समय-समय पर कई महिलाओं ने अपने लिए रास्ते बनाए हैं, दूसरों को प्रेरणा दी है.

इंडिया टाइम्स हिंदी की कोशिश है कि ऐसी औरतों की कहानी आप तक पहुंचाई जाए. आज इस शृंखला में हम मिलेंगे एक दादी से जो जीवन के 70 बरस देखने के बाद Entreprenuer बनी और कमाल कर दिया.

Urmila Jamnadas Asher

77 की उम्र में बिज़नेस शुरू किया और हिट हो गया 

मुंबई, महाराष्ट्र स्थित प्रार्थन समाज रोड पर बने के.एन.भाटिया चॉल में रहती हैं 77 वर्षीय उर्मिला जमनादास आशर. जब पूरा देश कोविड19 लॉकडाउन में था और कई लोगों के काम-काज बंद हो गए थे जब उर्मिला ने अपना बिज़नेस शुरू किया.

ज़िन्दगी के सभी दर्द, ग़म, मुश्किलों को भूलने के लिए इस वरिष्ठ नागरिक ने शुरू किया अपना बिज़नेस, ‘गुज्जू बेन ना नाश्ता’

Urmila Jamnadas Asher

सुबह 5:30 बजे शुरू होता है दिन

The Better India के अनुसार, उर्मिला दादी सुबह 5:30 बजे उठती हैं. अपनी बहू राजश्री और पोते हर्ष के लिए चाय-नाश्ता बनाती हैं. नाश्ता करते हुए अखबार पढ़ती हैं. इसके बाद सुबह 7 बजे से रसोई में लग जाती हैं. उनके बनाये नमकीन, खाखरा वगैरह पूरी मुंबई के लोग पसंद करते हैं. राजश्री और एक अन्य शख़्स की मदद लेकर गुज्जू बेन दोपहर से घर के बने पकवानों की डिलीवरी शुरू करती हैं.

 

ज़िन्दगी में देखे कई उतार-चढ़ाव लेकिन हिम्मत नहीं हारी 

उर्मिला दादी ने ज़िन्दगी में कई उतार-चढ़ाव देखे, हार नहीं बनी और पूरे परिवार की हिम्मत बनीं. उर्मिला की बेटी की सिर्फ़ 2.5 साल की उम्र में मौत हो गई. कई सालों बाद उनका एक बेटा ब्रेन ट्यूमर और दूसरा दिल की बीमारी की वजह से चल बसा. उनके पास अगर कोई बचा तो वो था उनका पोता, हर्ष.

 

2019 में हर्ष के एक्सिडेंट के बाद परिवार पर फिर से टूटा मुश्किलों का पहाड़

हर्ष आशर MBA करने के बाद नौकरी करने लगे. 2014 में नौकरी छोड़ कर उन्होंने अफना कॉर्पोरेट और मर्चैंडाइज़ का बिज़नेस शुरू किया. क़िस्मत को इस परिवार की और परिक्षाएं लेनी थीं, 2019 में हर्ष का एक्सिडेंट हो गया.

“एक्सिडेंट की वजह से मेरा चेहरा बिगड़ गया और मेरी सर्जरी हुई. इस दुर्घटना की वजह से मैं डिप्रेशन में चला गया, मैंने घर से बाहर जाना छोड़ दिया. मैं अपने परिवार को आर्थिक तौर पर सहारा दे रहा था लेकिन सब बंद हो गया.”, हर्ष आशर के शब्दों में.

निजी क्षति के दूसरे ही साल दुनिया को कोविड ने घेर लिया और हर्ष आशर को फरवरी 2020 में अपनी दुकान बंद करनी पड़ी.

 

दादी ने बढ़ाई हिम्मत

हर्ष की पूरी ज़िन्दगी, अच्छा, बुरा वक़्त सब कुछ देखा था उर्मिला दादी ने और उन्होंने ही हिम्मत दी. उर्मिला दादी ने हर्ष से कहा, “तुमने सिर्फ़ अपना अपर लिप और बिज़नेस खोया है, मैंने अपने तीन बच्चों को खोया है और अभी भी सशक्त खड़ी हूं.”

दादी ने पोते की हर तरह से सहायता देने का आश्वासन दिया.

2020 में शुरू किया बिज़नेस, लाखों की कमाई

गुज्जू बेन ना नास्ता 2020 में शुरू हुआ और मुंबई की जनता का फ़ेवरेट बन गया. Zomato, Swiggy में लिस्टिंग से लेकर अपना वेबसाइट और सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म के ज़रिए लोगों तक पहुंचने तक. दादी के स्नैक्स हर माध्यम से लोगों तक पहुंच रहे हैं.

हर्ष ने ही दादी को गुज्जू बेन ना नाश्ता का आईडिया दिया. मार्च 2020 में उर्मिला अचार बना रही थी और हर्ष ने पूछा कि क्या वो बड़े पैमाने पर अचार बना सकती हैं. अचार का आईडिया काम कर गया. हाथों हाथ 500 किलोग्राम अचार बेचने के बाद थेपला, ढोकला, पुरन पोली, हलवा, साबुना खिचड़ी जैसे स्नैक्स का बिज़नेस शुरू किया.

दादी-पोते की जोड़ी महीने के 3 लाख से ज़्यादा की कमाई कर रही है. और दादी रोज़ 12-14 घंटे रसोई में ही बिताती हैं.

Gujju Ben Na NastaCurly Tales

“मुझे नहीं पता बिज़नेस से कितनी कमाई होती है. मेरा काम है कस्टमर्स के लिए ताज़ा खाना बनाना. मुझे खाना बनाना बेहद पसंद है और 12 घंटे किचन में बिताने के बावजूद मुझे थकान नहीं होती. मुझे दूसरों से भी खाना बनाना सीखना पसंद है.”, उर्मिला आशर के शब्दों में.

 

TEDx तक पहुंची

उर्मिला आशर की कहानी जल्द ही लोग उन्हीं से सुनेंगे. TEDx पर वो अपना सफ़र साझा करने वाली हैं. एक साल के अंदर इतनी बड़ी उपलब्धि प्राप्त करना कोई छोटी बात नहीं है. 

 

दादी की हिम्मत देखकर, क़िस्मत को भी हार माननी पड़ी और आज दादी का नाश्ता शहर के कोने-कोने में पहुंचता है.