ज्ञानवापी मस्जिद मामला: सुप्रीम कोर्ट में नई याचिका, सावन महीने में वजू के स्थान पर पूजा करने की मांग

नई दिल्ली. उच्चतम न्यायालय में ज्ञानवापी मामले को लेकर शुक्रवार को एक नई याचिका दाखिल की गई है. याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका के माध्यम से सावन के महीने में ज्ञानवापी सर्वे में मिले शिवलिंग पर जलाभिषेक की अनुमति मांगी है. कुछ याचिकाकर्ताओं का कहना है कि वो शिवलिंग है, जबकि मुस्लिम पक्षकारों का कहना है कि वो फव्वारा है. सुप्रीम कोर्ट ने फिलहाल उस वजुखाने को सुरक्षित रखा है.

वाराणसी में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का परिसर. (फाइल फोटो)

याचिकाकर्ता राजेश मनी त्रिपाठी का कहना है कि सावन के महीने में भगवान शिव की पूजा की जाती है. भगवान शिव उनके आराध्य हैं, संविधान के अनुच्छेद-25 के तहत शिव की पूजा करना उनका अधिकार है और इसीलिए सावन के पावन महीने में लोगों को शिवलिंग की पूजा व उनके जलाभिषेक की अनुमति दी जाए.

अभी ये याचिका सिर्फ दाखिल हुई है. सुनवाई के लिए नही ली गई है. इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में ज्ञानवापी मस्जिद के सर्वे पर ही सवाल उठाया गया था, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने मस्जिद में मौजूद वजुखाने को बंद कर सुरक्षित रखने का आदेश दिया है.

क्या है मामला
गौरतलब है कि राखी सिंह तथा अन्य ने ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी में विग्रहों की सुरक्षा और नियमित पूजा पाठ के आदेश देने के आग्रह के संबंध में वाराणसी के सिविल जज (सीनियर डिवीजन) की अदालत में याचिका दायर की थी जिसके आदेश पर पिछले मई माह में ज्ञानवापी परिसर की वीडियोग्राफी सर्वे कराया गया था. इस दौरान हिंदू पक्ष ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में शिवलिंग मिलने का दावा किया था. सर्वे की रिपोर्ट पिछली 19 मई को अदालत में पेश की गई थी.

वाराणसी जिला अदलत में चल रही है सुनवाई
मुस्लिम पक्ष ने वीडियोग्राफी सर्वे पर यह कहते हुए आपत्ति की थी कि निचली अदालत का यह फैसला उपासना स्थल अधिनियम 1991 के प्रावधानों के खिलाफ है और इसी दलील के साथ उसने उच्चतम न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था. न्यायालय ने वीडियोग्राफी सर्वे पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था, लेकिन मामले को जिला अदालत में स्थानांतरित करने का आदेश दिया था. उसके बाद से इस मामले की सुनवाई जिला अदालत में चल रही है. इस मामले की पोषणीयता पर जिला न्यायाधीश ए. के. विश्वेश की अदालत में दलीलें पेश की जा रही हैं. इसी क्रम में मुस्लिम पक्ष ने पहले दलीलें रखीं, जो 12 जुलाई को मुकम्मल हो गईं.