शिमला, 04अक्तूबर : हमीरपुर जिला मुख्यालय विधानसभा वैसे भाजपा का गढ़ रहा है। यहां लम्बे समय तक भाजपा के दिग्गज नेता स्वर्गीय जगदेव चन्द ने 1977 से लेकर लगातार 1993 तक 5 चुनाव जीते। वह प्रदेश की सरकार में वरिष्ठ मंत्री भी रहे।1995 में उनकी मृत्यु हो गई। उन्हें निचले हिमाचल में भाजपा का जनाधार वाला नेता माना जाता था। उनकी मृत्यु के बाद हमीरपुर लोकसभा के सांसद रहे व पहलें बमसन (अब सुजानपुर) से चुनाव लड़ने वाले पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल ने एक सोची समझी रणनीति के तहत स्वर्गीय जगदेव चंद के पुत्र नरेंद्र ठाकुर को टिकट न देकर उनकी भाभी उर्मिल ठाकुर को मैदान में उतार दिया। हालांकि उनके बड़े पुत्र की वधू उर्मिल ठाकुर 1998 व 2007 में दो दफा विधायक बनी।
2012 में प्रेम कुमार धूमल ने बमसन छोड़कर हमीरपुर का रुख किया। वह जीते और प्रदेश के मुख्य्मंत्री बने। 2017 में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व ने एक जबरदस्त राजनीतिक निर्णय लेते हुए जगदेव चंद के छोटे पुत्र नरेंद्र ठाकुर को इस सीट से चुनाव में उतारा। धूमल को सुजानपुर वापिस भेज चुनाव लड़ाया गया। धूमल चुनाव हार गए। मगर हमीरपुर से नरेंद्र ठाकुर विजयी हुए। इन दोनों परिवारों के इर्द-गिर्द ही भाजपा हमीरपुर में विधानसभा की लड़ाई लड़ती रही। कांग्रेस की और से यहां 1977 के बाद से ही जीत का सूखा रहा। मात्र 1995 के उपचुनाव व 2003 के चुनाव को छोड़ दे तो कांग्रेस को यहां हर बार हार का मुँह देखना पड़ा। कांग्रेस की अनीता वर्मा ही दो चुनाव यहां से जीत सकी है। इस दफा यहां भाजपा के टिकट ले लिए तगड़ी मारामारी चल रही है। भाजपा में टिकट के कई तलबगार है।
धूमल समर्थक उनके लिए सुजानपुर या हमीरपुर से टिकट चाहते है। वहीं सूत्रों का कहना है कि धूमल अपने छोटे पुत्र अरुण के लिए संभावनाएं तलाश रहे है। हालांकि पार्टी परिवारवाद व उम्रदराज नेताओं को टिकट न देने की नीति बना चुकी है। ऐसे में अगर ये दोनों नीतियां लागू होती है तो वर्तमान विधायक नरेंद्र ठाकुर के अलावा नवीन शर्मा व नरेश दर्जी भाजपा की टिकट के लिए ताल ठोक रहे है।
वहीं कांग्रेस भी इस दफा अनीता वर्मा के स्थान पर किसी अन्य कांग्रेसी नेता को चुनाव मैदान में उतारने की तैयारी में है।वर्मा के अलावा कांग्रेस में युवा नेता सुनील बिट्टू व बमसन के पूर्व विधायक रहे कुलदीप पठानिया प्रमुख रूप से टिकट की दावेदारी जता रहे है।