HANS RAJ CHPRANI SOLAN

बंजर ज़मीन पर विदेशी सेब उगा कर हंस राज ने पेश की अनूठी मिसाल |

बसंतपुर चपराणी  गाँव के हंस राज  जिनके पास  बंजर ज़मीन थी और उनके दिल में कुछ करने का जज़्बा था और यह साबित करना चाहते थे कि बेरोज़गारी का ढोल अलापने से अच्छा है कुछ कर के दिखाया जाए |

बस इसी जनून के साथ हंसराज ने सालों से बंजर पड़ी ज़मीन पर  विदेशी सेब के पौधे ग्रेनी स्मिथ  फ्यूजी और गेल गाला  रोपे | जब इन्हें रोपा गया तो हंस राज के पास इन विदेशी पौधों की कोई ख़ास जानकारी नहीं थी |

हंस राज ने इस बारे में इंटरनेट के माध्यम से जानकारियाँ हासिल की और पौधों की जी जान लगा कर देखभाल की |

यही वजह है कि आज हंसराज का बगीचा लहलहा रहा है | केवल तीन वर्षों में ही हंसराज सात से आठ लाख रूपये सालाना आय भी कमाने लग गए हैं | बागबान हंसराज ने कहा कि युवा जो कुछ करना चाहते हैं और उनके पास ज़मीन है तो उन्हें कही भी जाने की आवश्यकता नहीं है बागबानी और कृषि में वह मेहनत कर वह ऐशोआराम से अपना जीवन यापन कर सकते है | 


         बागबान  हंसराज ने बताया कि उन्होंने करीबन तीन वर्ष पहले विदेशी किस्म के पौधे अपने बगीचे में रोपे जिसमे उन्होंने नवीनतम तकनीक का सहारा लिया और सरकार की योजनाओं ने उनका भरपूर साथ दिया जिसकी वजह से वह अपने पैरों पर खड़े हो गए | 

उन्होंने कहा कि विदेशी फसल के हिमाचल में कद्रदान नहीं मिले इस लिए उन्हें सेब की फसल को बेचने के लिए जयपुर और लुधियाना जाना पड़ा | आज उनकी सेब की मांग बेहद ज़्यादा है और उम्मीद से ज़्यादा उन्हें दाम भी मिल रहे हैं | 
उन्होंने बताया  कि जहाँ हिमाचल में लगने वाले सेब दस से पन्द्रह  दिनों  तक ही टिक पाता है वहीँ विदेशी सेब एक वर्ष तक खराब नहीं होता इसके साथ साथ यह सेब  इम्युनिटी को भी बढ़ाते है और इसके साथ साथ न्यूट्रीशियन वैल्यू भी बहुत है |

इन सेबों को आज तक विदेश से आयात किया जाता है और भारत वासी इन सेबों के दीवाने है लेकिन अब यही सेब हिमाचल में उगाया जा रहा है | अन्यराज्यों की मंडियों में इन के दाम भी बहुत ज़्यादा मिल रहे है | इस लिए अब बागबान हंसराज की सफलता को देखते हुए हिमाचल के युवाओं के लिए वह प्रेरणा स्त्रोत बन चुके है | वह अब हिमाचल के युवाओं का मार्गदर्शन भी कर रहे हैं |