दक्षिण भारत में आज जोरशोर से ईवी रामास्वामी यानि पेरियार का जन्मदिन मनाया जा रहा है. पेरियार ने ताजिंदगी हिंदू धर्म और ब्राह्मणवाद का जमकर विरोध किया. उन्होंने तर्कवाद, आत्म सम्मान और महिला अधिकार जैसे मुद्दों पर जोर दिया. जाति प्रथा का घोर विरोध किया. यूनेस्को ने अपने उद्धरण में उन्हें ‘नए युग का पैगम्बर, दक्षिण पूर्व एशिया का सुकरात, समाज सुधार आंदोलन का पिता, अज्ञानता, अंधविश्वास और बेकार के रीति-रिवाज़ का दुश्मन’ कहा. पढ़िए उनकी वो पंद्रह बातें, जिनसे विवाद हुआ.
1. मैंने सब कुछ किया. मैंने गणेश आदि सभी ब्राह्मण देवी-देवताओं की मूर्तियां तोड़ डालीं. राम आदि की तस्वीरें भी जला दीं. मेरे इन कामों के बाद भी मेरी सभाओं में मेरे भाषण सुनने के लिए यदि हजारों की गिनती में लोग इकट्ठा होते हैं तो साफ है कि ‘स्वाभिमान तथा बुद्धि का अनुभव होना जनता में, जागृति का सन्देश है.’
2. दुनिया के सभी संगठित धर्मो से मुझे सख्त नफरत है.
3. शास्त्र, पुराण और उनमें दर्ज देवी-देवताओं में मेरी कोई आस्था नहीं है, क्योंकि वो सारे के सारे दोषी हैं. मैं जनता से उन्हें जलाने तथा नष्ट करने की अपील करता हूं.
4. ‘द्रविड़ कड़गम आंदोलन’ का क्या मतलब है? इसका केवल एक ही निशाना है कि, इस आर्य ब्राह्मणवादी और वर्ण व्यवस्था का अंत कर देना, जिसके कारण समाज ऊंच और नीच जातियों में बांटा गया है. द्रविड़ कड़गम आंदोलन उन सभी शास्त्रों, पुराणों और देवी-देवताओं में आस्था नहीं रखता, जो वर्ण तथा जाति व्यवस्था को जैसे का तैसा बनाए रखे हैं.
पेरियार ने अमीर ओबीसी घर में जन्म लिया था. घर से बहुत संपन्न थे लेकिन धीरे धीरे उन्हें लगने लगा कि उनकी जिंदगी का मकसद कुछ और है. वह कहते थे कि जब जन्म के समय हम सभी एक मनुष्य के तौर पर पैदा हुए हैं तो फिर क्यों जाति और धर्म में बंट गए. (फाइल फोटो)
5. ब्राह्मण हमें अंधविश्वास में निष्ठा रखने के लिए तैयार करता है. वो खुद आरामदायक जीवन जी रहा है. तुम्हे अछूत कहकर निंदा करता है. मैं आपको सावधान करता हूं कि उनका विश्वास मत करो.
6. ब्राह्मणों ने हमें शास्त्रों ओर पुराणों की सहायता से गुलाम बनाया है. अपनी स्थिति मजबूत करने के लिए मंदिर, ईश्वर,और देवी-देवताओं की रचना की.
7. सभी मनुष्य समान रूप से पैदा हुए हैं तो फिर अकेले ब्राह्मण उच्च व अन्य को नीच कैसे ठहराया जा सकता है?
8. आप अपनी मेहनत की गाढ़ी कमाई क्यों इन मंदिरों में लुटाते हो. क्या कभी ब्राह्मणों ने इन मंदिरों, तालाबों या अन्य परोपकारी संस्थाओं के लिए एक रुपया भी दान दिया?
9. हमारे देश को आजादी तभी मिली समझनी चाहिए, जब ग्रामीण लोग, देवता ,अधर्म, जाति और अंधविश्वास से छुटकारा पा जाएंगे.
10. आज विदेशी लोग दूसरे ग्रहों पर संदेश और अंतरिक्ष यान भेज रहे हैं. हम ब्राह्मणों द्वारा श्राद्धों में परलोक में बसे अपने पूर्वजों को चावल और खीर भेज रहे हैं. क्या ये बुद्धिमानी है?
पेरियार भारत के पहले गर्वनर जनरल गोपालाचारी के साथ. दोनो अच्छे दोस्त भी थे. एक दूसरे से सलाह भी लेते रहते थे. (फाइल फोटो)
11. ईश्वर की सत्ता स्वीकारने में किसी बुद्धिमत्ता की आवश्यकता नहीं पड़ती, लेकिन नास्तिकता के लिए बड़े साहस और दृढ विश्वास की जरुरत पड़ती है. ये स्थिति उन्हीं के लिए संभव है जिनके पास तर्क तथा बुद्धि की शक्ति हो.
12. ब्राह्मणों के पैरों पर क्यों गिरना? क्या ये मंदिर हैं? क्या ये त्यौहार हैं? नही , ये सब कुछ भी नही हैं. हमें बुद्धिमान व्यक्ति कि तरह व्यवहार करना चाहिए यही प्रार्थना का सार है.|
13. ब्राह्मण देवी-देवताओं को देखो, एक देवता तो हाथ में भाला/ त्रिशूल उठाकर खड़ा है. दूसरा धनुष बाण. अन्य दूसरे देवी-देवता कोई गुर्ज, खंजर और ढाल के साथ सुशोभित हैं, यह सब क्यों है? एक देवता तो हमेशा अपनी ऊँगली के ऊपर चारों तरफ चक्कर चलाता रहता है, यह किसको मारने के लिए है?
14. हम आजकल के समय में रह रहे हैं. क्या ये वर्तमान समय इन देवी-देवताओं के लिए सही नहीं है? क्या वे अपने आप को आधुनिक हथियारों से लैस करने और धनुषवान के स्थान पर , मशीन या बंदूक धारण क्यों नहीं करते? रथ को छोड़कर क्या श्रीकृष्ण टैंक पर सवार नहीं हो सकते? मैं पूछता हूँ कि जनता इस परमाणु युग में इन देवी-देवताओं के ऊपर विश्वास करते हुए क्यों नहीं शर्माती?
15. उन देवताओ को नष्ट कर दो जो तुम्हें शुद्र कहे, उन पुराणों और इतिहास को ध्वस्त कर दो, जो देवता को शक्ति प्रदान करते हैं. उस देवता की पूजा करो जो वास्तव में दयालु भला और बौद्धगम्य है.|