नाहन, 07 नवंबर : हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी प्रत्याशियों का कद आने वाली सरकार को लेकर भी नापा जा रहा है। हालांकि, मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने अपने मित्र बलदेव तोमर को जिताने के लिए कोई कोर-कसर नहीं रखी है, लेकिन ये भी तय है कि अगर हर्षवर्धन चौहान जीत का सेहरा पहनते हैं। साथ ही राज्य में कांग्रेस की सरकार बनती है तो उस स्थिति में एक दमदार मंत्री का ओहदा हासिल कर सकते हैं।
कांग्रेस ने उप नेता प्रतिपक्ष का रुतबा दिया हुआ है। इसमें कोई दो राय नहीं है कि कांग्रेस में हर्र्धन चौहान का एक कद कायम हो चुका है। वरिष्ठता के साथ-साथ पार्टी में राजपूत बिरादरी के नेता भी हैं।
1972 से बात की जाए तो पिता स्व. गुमान सिंह चौहान 1985 तक लगातार चुनाव जीतते रहे। इसके बाद पिता की विरासत को हर्षवर्धन चौहान ने संभाला। हालांकि, 1990 में पहला चुनाव कांग्रेस विरोधी लहर में जनता दल के प्रत्याशी स्व. जगत सिंह नेगी से हार गए थे। इसके बाद लगातार चार चुनाव जीते।
2012 में मात्र 1918 मतों के अंतर से चुनाव हारे थे। बलदेव तोमर विधायक बने थे। इस चुनाव में भाजपा व कांग्रेस के खिलाफ 2552 वोट पड़े थे। 2017 के चुनाव में हर्षवर्धन चौहान ने भाजपा के मौजूदा प्रत्याशी बलदेव तोमर को 4125 मतों से शिकस्त दी थी।
कांग्रेस नेता हर्षवर्धन चौहान की छवि बेदाग रही है। हालांकि, पार्टी के भीतर एक-दो मर्तबा राजनीतिक भूल भी की, लेकिन गलतियों को सुधार लिया था। ऐसी उम्मीद जाहिर की जा रही है कि कांग्रेस की सरकार बनने की स्थिति में मंत्रिमंडल की पहली सूची में ही हर्षवर्धन चौहान को शामिल किया जा सकता है। कांग्रेस हर्षवर्धन चौहान के राजनीतिक कद, पारिवारिक पृष्ठभूमि व बिरादरी को नजर अंदाज नहीं कर पाएगी।