भारत की नरेंद्र मोदी सरकार पर भारत के राष्ट्रीय चिह्न के साथ छेड़छाड़ और अनादर करने का आरोप लग रहा है.
विपक्ष और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को जिस राष्ट्रीय चिह्न का अनावरण किया था, उसके शेर गुर्रा रहे हैं जबकि सारनाथ के अशोक स्तंभ में शेर संयमित और शांत है.
सारनाथ में ही महात्मा बुद्ध ने पहला उपदेश दिया और मौर्य वंश के शासक ने यहीं यह स्तंभ स्थापित किया था. 26 जनवरी 1950 को इसी अशोक स्तंभ को भारत के राष्ट्रीय चिह्न के रूप में स्वीकार किया गया था.
सोमवार को प्रधानमंत्री मोदी ने नए संसद भवन की छत पर 6.5 मीटर ऊंचा राष्ट्रीय चिह्न का अनावरण किया था. इसे बनाने में 9,500 किलो तांबा लगा है. इसी साल नई संसद की इमारत खुलने वाली है.
- नए संसद भवन में राष्ट्रीय प्रतीक पर क्या है विवाद?
- सेंट्रल विस्टा: मोदी सरकार के ड्रीम प्रोजेक्ट का निर्माण ‘आवश्यक सेवा’ कैसे?
Insult to our national symbol, the majestic Ashokan Lions. Original is on the left, graceful, regally confident. The one on the right is Modi’s version, put above new Parliament building — snarling, unnecessarily aggressive and disproportionate. Shame! Change it immediately! pic.twitter.com/luXnLVByvP
— Jawhar Sircar (@jawharsircar) July 12, 2022
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केंद्र की संस्कृति मंत्रालय में सचिव रहे और अभी तृणमूल कांग्रेस के सांसद जवाहर सरकार ने राष्ट्रीय चिह्न की नई और पुरानी तस्वीर शेयर करते हुए लिखा है, ”मूल राष्ट्रीय चिह्न बाईं तरफ़ है, जो सुंदर और शान के साथ आत्मविश्वास से भरा है. दाईं तरफ़ मोदी वर्जन वाला राष्ट्रीय चिह्न है, जिसे संसद की नई इमारत की छत पर लगाया गया है. इसमें शेर गुर्रा रहा है और अनावश्यक रूप से आक्रामक के साथ बेडौल है. शर्मनाक! इसे तत्काल बदलें!”
सुप्रीम कोर्ट के वकील और एक्टिविस्ट प्रशांत भूषण का कहना है कि मूल राष्ट्रीय चिह्न महात्मा गांधी के साथ खड़ा है तो नया वर्जन महात्मा गांधी के हत्यारे नाथूराम गोडसे को दर्शाता है.
From Gandhi to Godse; From our national emblem with lions sitting majestically & peacefully; to the new national emblem unveiled for the top of the new Parliament building under construction at Central Vista; Angry lions with bared fangs.
This is Modi’s new India! pic.twitter.com/cWAduxPlWR— Prashant Bhushan (@pbhushan1) July 12, 2022
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प्रशांत भूषण ने अपने ट्वीट में लिखा है, ”गांधी से गोडसे तक, हमारे राष्ट्रीय चिह्न में चारों शेर शान के साथ शांति से बैठे हैं जबकि नए राष्ट्रीय चिह्न जो संसद की नई इमारत की छत पर लगाया गया है; के शेर नुकीले दाँतों के साथ ग़ुस्से में हैं. यही मोदी का नया भारत है!”
हालाँकि सरकार के प्रवक्ताओं का कहना है कि राष्ट्रीय चिह्न में कोई बदलाव नहीं हुआ है. इनका कहना है कि सेंट्रल विस्टा के तहत बनी संसद की नई इमारत पर जिस राष्ट्रीय चिह्न को लगाया है गया है, वह सारनाथ के अशोक स्तंभ से चार गुना ज़्यादा लंबा है. इनका तर्क है कि सौंदर्य की तरह ‘शांति और आक्रोश’ लोगों की आँखों में होता है.
अशोक स्तंभ
- 26 जनवरी 1950 को अशोक स्तंभ को भारत का राष्ट्रीय चिह्न चुना गया था
- वाराणसी के पास सारनाथ में मौजूद है सम्राट अशोक के काल का अशोक स्तंभ
- इस स्तंभ के चार में से केवल तीन शेर सामने से दिखते हैं
- स्तंभ के आधार पर मध्य में एक चक्र है. दाईं ओर सांड़ और बाईं ओर घोड़ा बना है
- राष्ट्रीय प्रतीक में अशोक स्तंभ के नीचे “सत्यमेव जयते” लिखा रहता है
जवाहर सरकार ने कोलकाता से प्रकाशित होने वाला अंग्रेज़ी दैनिक द टेलिग्राफ़ से कहा है कि अशोक स्तंभ को राष्ट्रीय चिह्न के तौर पर हज़ारों में से चुना गया था क्योंकि यह संयमित शक्ति और शांति का प्रतिनिधित्व करता है.
- मोदी सरकार संसद भवन की नई इमारत को लेकर उतावली क्यों? नियमों की उपेक्षा के आरोप
- संसद भवनः नई इमारत का शिलान्यास, पर योजना को लेकर सवाल क्यों?
To completely change the character and nature of the lions on Ashoka’s pillar at Sarnath is nothing but a brazen insult to India’s National Symbol! pic.twitter.com/JJurRmPN6O
— Jairam Ramesh (@Jairam_Ramesh) July 12, 2022
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जवाहर सरकार ने कहा, ”राज्य की शक्ति निश्चित रूप से उसकी मज़बूती पर टिकी होती है लेकिन राष्ट्रीय चिह्न संयमित शक्ति और शांति का प्रतिनिधित्व करता है न कि आक्रामकता का. नए चिह्न से ऐसा लग रहा है कि पुराने मूल्यों की जगह अब नई आक्रामकता ने ले ली है.”
सरकार कहते हैं कि शेर की पहचान उसकी उग्रता में देखी जाती है लेकिन उसके चेहरे पर सौम्यता लाकर सम्राट अशोक ने शांति और संयम पर ज़ोर दिया था.
वकील संजय घोष ने भी ट्वीट कर कहा है, ”भारत को मूल सारनाथ राजधानी के प्रतीक में देखा गया और मोदी जी ने शेरों के प्रतीक में देखा. पुराना भारत- मज़बूत, आत्मविश्वासी और प्रेमभाववाला, दूसरी तरफ़ नया भारत: ग़ुस्से में, असुरक्षित और प्रतिशोधी.”
मूल कृति के चेहरे पर सौम्यता का भाव तथा अमृत काल में बनी मूल कृति की नक़ल के चेहरे पर इंसान, पुरखों और देश का सबकुछ निगल जाने की आदमखोर प्रवृति का भाव मौजूद है।
हर प्रतीक चिन्ह इंसान की आंतरिक सोच को प्रदर्शित करता है। इंसान प्रतीकों से आमजन को दर्शाता है कि उसकी फितरत क्या है। pic.twitter.com/EaUzez104N
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) July 11, 2022
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राष्ट्रीय जनता दल ने ट्वीट कर कहा है, ”मूल राष्ट्रीय चिह्न में सौम्यता का भाव और अमृत काल में बनी मूल कृति की नक़ल के चेहरे पर इंसान, पुरखों और देश का सबकुछ निगल जाने की आदमखोर प्रवृति का भाव मौजूद है. हर प्रतीक चिह्न इंसान की आंतरिक सोच को प्रदर्शित करता है. इंसान प्रतीकों से आमजन को दर्शाता है कि उसकी फितरत क्या है.”
कांग्रेस पार्टी के कम्युनिकेशन प्रमुख जयराम रमेश ने ट्वीट कर कहा है, ”सारनाथ के अशोक स्तंभ में शेरों की प्रकृति को पूरी तरह से बदल दिया गया है. यह भारत के राष्ट्रीय चिह्न का निर्लज्ज अपमान है.”
Sense of proportion & perspective.
Beauty is famously regarded as lying in the eyes of the beholder.
So is the case with calm & anger.
The original #Sarnath #Emblem is 1.6 mtr high whereas the emblem on the top of the #NewParliamentBuilding is huge at 6.5 mtrs height. pic.twitter.com/JsAEUSrjtR— Hardeep Singh Puri (@HardeepSPuri) July 12, 2022
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हालाँकि केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी का कहना है कि संसद की नई इमारत पर राष्ट्रीय चिह्न सारनाथ के शेर का बिल्कुल माकूल प्रतिरूप है.
हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट कर कहा है, ”यह अनुपात और दृष्टिकोण बोध का मामला है. कहा जाता है कि सौंदर्य आपकी आँखों में होता है. यह आप पर निर्भर करता है कि शांति देखते हैं ग़ुस्सा. सारनाथ का अशोक स्तंभ 1.6 मीटर लंबा है और संसद की नई इमारत पर जिस राष्ट्रीय चिह्न को लगाया गया है, वह 6.5 मीटर लंबा है.”
इस विवाद पर एक ट्विटर यूज़र ने लिखा है, ”इतिहासकार रूथ बेन-गिएट ने अपनी किताब स्ट्रॉन्गमैन में लिखा है – फासीवाद बुनियादी रूप से मर्दानगी का संकट है. फासीवाद में हर चीज़ को ज़्यादा आक्रामक तरीक़े से पेश किया जाता है. फासीवादी हीन भावना को जन्म देता है और हीन भावना ज़हरीली मर्दानगी को बढ़ावा देती है.”
YES , and it was long overdue .
All internal and external enemies of Bharat, take note . pic.twitter.com/EgjnHdprmZ— Maj Rajpreet Singh Aulakh 🇮🇳 (@rajpreetaulakh) July 12, 2022
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मेजर राजप्रीत सिंह औलख नाम के एक ट्विटर यूज़र ने लिखा है, ”हाँ, यह एक लंबित परियोजना थी. भारत के सभी आंतरिक और बाहरी दुश्मन ध्यान दें.” इस ट्विटर यूज़र ने सौम्य राम और हनुमान के साथ ग़ुस्सैल राम और हनुमान की तस्वीर भी पोस्ट की है.
इन सबके बीच 9,500 किलो तांबे का राष्ट्रीय चिह्न बनाने वाले कलाकार सुनील देवरे और रोमिइल मोसेज ने एनडीटीवी से कहा है कि इसके डिज़ाइन में कुछ भी बदलाव नहीं किया गया है.
देवरे ने कहा, ”हमने पूरे विवाद को देखा. शेर का किरदार एक जैसा ही है. संभव है कि कुछ अंतर हो. लोग अपनी-अपनी व्याख्या कर सकते हैं. यह एक बड़ी मूर्ति है और नीचे से देखने में अलग लग सकती है. संसद की नई इमारत की छत पर अशोक स्तंभ को 100 मीटर की दूरी से देखा जा सकता है. दूरी से देखने पर कुछ अंतर दिख सकता है.”