सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड पुलिस को नोटिस जारी किया और उनसे अपने अधिकार क्षेत्र में ऐसे अपराधों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट दर्ज करने को कहा। SC ने राज्य सरकारों और पुलिस अधिकारियों को औपचारिक शिकायत की प्रतीक्षा किए बिना हेट स्पीच के मामलों में स्वत: संज्ञान लेने का आदेश दिया।
नफरत फैलाने वाले बयान यानी हेट स्पीच को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। कोर्ट ने हेट स्पीच देने वालों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की जरूरत बताई। सुप्रीम कोर्ट ने देश में नफरत भरे भाषणों की घटनाओं पर चिंता व्यक्त की। कोर्ट ने कहा कि हम धर्म के नाम पर कहां पहुंच गए हैं। इस तरह के बयान (अभद्र भाषा) परेशान करने वाले हैं, खासकर ऐसे देश के लिए जो लोकतांत्रिक और धर्म-तटस्थ है।
सुप्रीम कोर्ट भारत में मुस्लिम समुदाय को निशाना बनाने और आतंकित करने के कथित बढ़ते खतरे को रोकने के लिए तत्काल हस्तक्षेप की मांग करने वाली एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था। सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली, यूपी और उत्तराखंड पुलिस को नोटिस जारी किया और उनसे अपने अधिकार क्षेत्र में ऐसे अपराधों के खिलाफ की गई कार्रवाई पर रिपोर्ट दर्ज करने को कहा। SC ने राज्य सरकारों और पुलिस अधिकारियों को औपचारिक शिकायत की प्रतीक्षा किए बिना हेट स्पीच के मामलों में स्वत: संज्ञान लेने का आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कार्रवाई करने में विफलता दोषी अधिकारियों के खिलाफ अदालत की अवमानना मानी जाएगी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि धर्म की परवाह किए बिना कार्रवाई की जानी चाहिए। घृणा का माहौल देश पर हावी हो गया है। ऐसे बयान विचलित करने वाले हैं। इसे बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। जस्टिस केएम जोसेफ की बेंच ने कहा 21 वीं सदी में ये क्या हो रहा है? धर्म के नाम पर हम कहां हम पहुंच गए हैं? हमने ईश्वर को कितना छोटा बना दिया है। भारत का संविधान वैज्ञानिक सोच विकसित करने की बात करता है।
याचिकाकर्ता की ओर से कपिल सिब्बल ने कोर्ट से कहा कि हमें इस कोर्ट में नहीं आना चाहिए, लेकिन हमने कई शिकायतें दर्ज कराई हैं। प्रशासन कभी कार्रवाई नहीं करता। हमेशा स्टेटस रिपोर्ट मांगी जाती है। इस पर बेंच ने पूछा कि आप खुद कानून मंत्री थे? क्या तब कुछ किया गया? नई शिकायत क्या है? सिब्बल ने भाजपा सांसद प्रवेश वर्मा के भाषण का हवाला दिया। कहा गया कि हम उनकी दुकान से नहीं खरीदेंगे। नौकरी नहीं देंगे। प्रशासन कुछ नहीं करता, ऐसे में हमें कोर्ट की शरण में आना पड़ता है।
जस्टिस ह्रषिकेश रॉय ने कहा कि ऐसे बयान बहुत परेशान करने वाले हैं। एक देश जो लोकतंत्र और धर्म तटस्थ है। आप कह रहे हैं कि IPC में कार्रवाई होनी चाहिए, लेकिन यह शिकायत एक समुदाय के खिलाफ है। सिब्बल ने कहा कि इन आयोजनों में पुलिस अधिकारी भी नहीं होते हैं।