इटली के इस द्वीप पर पर्यटकों की नो एंट्री है। इसे लाशों का कूड़ेदान और टॉर्चर का अड्डा माना जाता है। स्थानीय लोग मानते हैं कि 1930 के दशक में, कुछ डॉक्टरों ने खुद अपना मानसिक संतुलन खो दिया और अपनी जान ले ली। कहा जाता है कि अब इस द्वीप पर ब्यूबोनिक प्लेग के दौरान और अस्पताल में मारे गए दिमागी मरीज और डॉक्टरों के भूत रहते हैं।
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यूं तो आपने बहुत सी डरावनी जगहों के बारे में अभी तक सुना होगा, लेकिन कभी सोचा है कि ऐसी भी कोई जगह हो सकती है जो जहां पर एक भी आदमी न हो और सिर्फ भूतों का डेरा हो। इटली में ऐसा द्वीप है, जहां के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यहां कोई इंसान नहीं बल्कि प्लेग महामारी में मारे गए मरीजों और डॉक्टरों के भूत रहते हैं। आइए जानते हैं कहां है यह आयलेंड और क्या है इससे जुड़ी मान्यताएं।
पोवेग्लिया द्वीप उत्तरी इटली क्षेत्र में वेनिस और लीडो के बीच है। द्वीप के बारे में पहला दर्ज इतिहास 421 ईस्वी से भी पहले का है और आज तक इसके बारे में हम जो भी जानते हैं, जो बताया गया और द्वीप को लेकर जो भी शोध हुए, सभी डरावनी कहानियों से भरे हुए हैं। पोवेग्लिया द्वीप अब किसी भी पर्यटक, चाहें वह विदेशी हो या स्थानीय, के लिए हमेशा के लिए बंद कर दिया गया है। पोवेग्लिया को दुनिया की सबसे भुतहा जगहों में से एक माना जाता है। यही वजह है कि यह एक निर्जन द्वीप है जो पर्यटकों के लिए स्थायी रूप से बंद है।
लाशों का कूड़ादान बन गया था यह द्वीप
साल 421 ईस्वी में द्वीप पर पहले निवासियों के रूप में बर्बर आक्रमणकारियों ने शरण ली। 14वीं शताब्दी तक द्वीप पर आबादी थी। सब कुछ सही चल रहा था लेकिन फिर एक-एक कर लोग पोवेग्लिया को छोड़कर जाते रहे। बताया जाता है कि 1300 के दशक में जब ब्लैक डेथ या ब्यूबोनिक प्लेग फैला तो इस द्वीप पर संक्रमित लोगों को रखा जाने लगा, जो या तो मरने की कगार पर थे या मर चुके थे। आज के शब्दों में कहें तो यह उस वक्त प्लेग का क्वारंटीन सेंटर था, लेकिन इसका स्वरूप बेहद वीभत्स था। दसियों हजार बीमार और मरने की कगार पर खड़े लोगों को यहां दम तोड़ने के लिए छोड़ दिया जाता था, जहां से जिंदा वापस आने की कोई संभावना नहीं थी।
प्लेग के बाद शुरू हुआ टॉर्चर का दौर
मृतकों और जिनके ठीक होने की संभावना लगभग न के बराबर थी, सभी को द्वीप पर जला दिया गया। अगर ये कहानी आपको खौफनाक लग रही है तो पोवेग्लिया पर 1800 से 1900 के बीच की कहानी आपके रोंगटे खड़े कर देगी। कुछ शोधपत्रों में बताया गया है कि 1800 से 1900 की शुरुआत के बीच इस द्वीप को मनोरोगियों के एक अस्पताल में बदल दिया गया। यहां डॉक्टर मरीजों पर अजीबोगरीब और दर्दनाक प्रयोग करते थे, जिससे कई मरीजों को गहरा नुकसान हुआ और कुछ की दर्दनाक मौत हो गई।
डॉक्टरों ने खो दिया अपना मानसिक संतुलन
यहां के बारे में स्थानीय लोग बताते हैं कि 1930 के दशक में, कुछ डॉक्टरों ने खुद अपना मानसिक संतुलन खो दिया और अपनी जान ले ली। कहा जाता है कि अब इस द्वीप पर ब्यूबोनिक प्लेग के दौरान और अस्पताल में मारे गए दिमागी मरीज और डॉक्टरों के भूत रहते हैं। कुछ समय पहले तक, सरकार ने इस द्वीप को विकसित करने की कोशिश की लेकिन द्वीप पर होने वाली अजीबोगरीब घटनाओं के चलते यह अभी भी निर्जन है।
मछुआरे भी भागते हैं द्वीप से दूर
द्वीप पर कोई भी संस्था लंबे समय तक नहीं चलती, कोई भी काम पूरा नहीं होता और कई अजीबोगरीब घटनाएं आज भी लोगों के लिए पहेलियां बनी हुई हैं। यही कारण है कि द्वीप अब हमेशा के लिए बंद है। स्थानीय मछुआरे भी इस द्वीप से दूर भागते हैं।