वह काफी दयालु था… कहकर हाई कोर्ट ने बच्ची के रेपिस्ट की उम्रकैद की सजा घटाई

MP HC Cuts Life Term Of Rapist: एमपी हाई कोर्ट के इंदौर बेंच ने एक रेपिस्ट की सजा कम कर दी है। सिविल कोर्ट से उसे उम्रकैद की सजा हुई थी। हाईकोर्ट ने इसे 20 वर्ष की सजा में बदल दिया है। साथ ही टिप्पणी की है कि वह काफी दयालु था और बच्ची को जिंदा छोड़ दिया।

प्रतिकात्मक तस्वीर
प्रतिकात्मक तस्वीर- symbolic picture

इंदौर: मध्यप्रदेश हाईकोर्ट (madhya pradesh high Court) की इंदौर पीठ ने रेप के आरोपी की उम्रकैद की सजा को 20 साल के कठोर कारावाास से कम कर दिया है क्योंकि वह चार साल की बच्ची को जीने दिया था। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर और जस्टिस सत्येंद्र कुमार सिंह की खंडपीठ ने दोषी की सजा कम कर दी है। दोषी ने राम सिंह ने 31 मई 2007 को एक मासूम बच्ची के साथ रेप किया था। पुलिस ने उसे घटना वाले दिन ही गिरफ्तार कर लिया था। इसके बाद जिला एवं सत्र न्यायालय से उसे 25 अप्रैल 2009 को उम्र कैद की सजा हुई थी। हाईकोर्ट की इंदौर पीठ ने आरोपी की सजा अब कम कर दी है।

उम्रकैद की सजा के बाद आरोपी ने हाईकोर्ट का रूख किया था। साथ ही उसने सजा कम करने की अपील की थी। पहले अदालत ने इसके राक्षसी कृत्य को देखते हुए इसे अस्वीकार कर दिया था। वह 15 साल से जेल में है। आरोपी राम सिंह मूल रूप से झाबुआ का रहने वाला है। वह इंदौर मजदूरी करने आया था, तभी उसने झोपड़ी में एक बच्ची से दुष्कर्म किया था। अदालत ने आदेश में कहा है कि लड़की खून से लथपथ पाई गई और उसके पिता ने अपराधी को घटनास्थल पर नग्न देखा। वह जब भागने की कोशिश कर रहा था, तब बच्ची की दादी ने उसे पकड़ लिया और पुलिस के पास ले गई।

वहीं, इस मामले में पुलिस के पास कोई फोरेंसिक रिपोर्ट नहीं थी। इसे लेकर हाईकोर्ट ने घोर आलोचना की है। कोर्ट ने यह भी कहा कि केवल प्रत्यक्षदर्शी नहीं, चिकित्सा साक्ष्य से भी अपराध की पुष्टि होती है। अपीलकर्ता का अपराध उचित संदेह से परे साबित होता है। जस्टिस सुबोध अभ्यंकर और न्यायमूर्ति एसके सिंह की युगल पीठ ने आजीवन कारावास की सजा को 20 वर्ष की कठोर सजा कारावास में बदल दिया है। सात पेज के फैसले में कोर्ट ने सत्र न्यायालय के निष्कर्ष को सही पाया है लेकिन दुष्कर्मी दयालु था, उसने बच्ची को जिंदा छोड़ दिया है।

गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने 28 सितंबर 2022 को इस मामले में बहस सुनकर फैसला सुरक्षित रख लिया था जो हाल ही में जारी हुआ है। अब उम्रकैद की जगह दोषी को 20 वर्ष का कठोर कारावास हो गया है। अगले पांच साल तक वह जेल में ही रहेगा।