प्रदेश सरकार अन्य 4 मेडिकल कॉलेजों नैरचौक, नाहन, चंबा और हमीरपुर में भी मशीनों को स्थापित करने की योजना तैयार कर रही है। स्वास्थ्य सचिव अमिताभ अवस्थी ने बताया कि अभी किडनी मरीजों का डायलिसिस आईजीएमसी में हो रहा है। इस अस्पताल में कई बार भीड़ होने से मरीजों के डायलिसिस करने में समय लग जाता है। प्रदेश के मैदानी इलाकों के मरीजों को उपचार के लिए या तो शिमला आना पड़ता है या फिर लोग पीजीआई व एम्स जाते हैं। टांडा मेें यह सुविधा उपलब्ध होने से लोगों को राहत मिल सकेगी।
जब किसी व्यक्ति की किडनी ठीक ढंग से काम करना बंद कर देती है तो इसे वापस काम में लाने के लिए डायलिसिस किया जाता है। एक स्वस्थ किडनी ही शरीर से सारे खराब तत्वों को फिल्टर करके बाहर निकालती है।