अब तक 24 देशों में मंकीपॉक्स के करीब 400 मामले सामने आ चुके हैं। मंकीपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए हेल्थ मिनिस्ट्री ने गाइडलाइंस जारी की है। हालांकि, देश में इस बीमारी का एक भी केस सामने नहीं आया है। इसके बावजूद सरकार किसी तरह की लापरवाही नहीं चाहती है।
यही वजह है कि हेल्थ मिनिस्ट्री ने गाइडलाइंस जारी की, ताकि बीमारी या इसके लक्षणों को लेकर किसी तरह की गलतफहमी न रहे। साथ ही अगर आगे चलकर कोई केस आता है तो उस समय के हालात को बेहतर ढंग से मैनेज किया जा सके। मंत्रालय की गाइडलाइन के मुताबिक, मंकीपॉक्स से पीड़ित किसी शख्स के कांटैक्ट में आने के बाद 21 दिन तक लगातार उसके लक्षणों की निगरानी करने को कहा गया है।
इसके अलावा लोगों को इस बारे में भी जागरूक बनाने पर जोर दिया गया है, कि वो ऐसे बीमार व्यक्ति के किसी सामान का इस्तेमाल करने से बचें। साथ ही अगर इस बीमारी से पीड़ित कोई आइसोलेशन में है तो उसकी देखभाल करते वक्त हाथों को सही ढंग से सैनेटाइज किया जाए। इसके अलावा उचित ढंग की पीपीई किट पहनने की जरूरत पर भी जो दिया है।
गाइडलाइंस के कहा गया है कि लैब में टेस्टिंग के बाद ही मंकीपॉक्स के केस को कन्फर्म माना जाएगा। इसके लिए पीसीआर या डीएनए टेस्टिंग का तरीका ही मान्य होगा। अगर कोई संदिग्ध मामला आता है कि राज्यों और जिलों में बने इंटीग्रेटेड डिजीज सर्विलांस प्रोग्राम के नेटवर्क के जरिए इसका सैंपल ICMR-NIV के पुणे लैब में भेजा जाएगा।
नए केस आने पर तेजी से करें पहचान
वहीं मंकीपॉक्स से पैदा हुए हालात से निपटने के लिए जो गाइडलाइंस जारी किए गए हैं, उसके मुताबिक सभी इंतजाम पैंडेमिक साइंस के तहत किए जाने हैं। इसमें बीमार और उसकी देखभाल, डायग्नोसिस, केस मैनेजमेंट और रिस्क संबंधी फैक्टर्स पर ध्यान देने की बात कही गई है। गाइडलाइंस में देखभाल और नए केसों की तेजी से पहचान पर जोर दिया है।