हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में बादल फटने से होम स्टे, कैंपिंग साइट बह गई। इस घटना में पांच लोग लापता हैं। बादल फटने से आई बाढ़ में 12 घोड़े और एक पैदल पुल भी बहा गया। लेकिन बादल फटने से ठीक पहले एक फोन कॉल ने सैकड़ों लोगों की जान बचाई है। पार्वती घाटी के अति दुर्गम गांव गहर से चोज गांव के एक व्यक्ति को बुधवार सुबह करीब 5:15 बजे फोन आया। बताया कि गांव के पीछे की पहाड़ी में तूफान जैसी आवाज आ रही है।
भारी बारिश हो रही है। लगता है कि बादल फटा है। सभी लोग घरों से निकल सुरक्षित जगह पर जाएं। इसके बाद बादल फटने की सूचना पूरे गांव में फैल गई। लोगों और सैलानियों को शोर मचाकर और सीटियां बजाकर उठाया गया। पूरे गांव में अफरातफरी मच गई। सभी होटलों, होम स्टे तथा चोज नाले और पार्वती नदी के किनारे लगी कैंपिंग साइटों को सूचना दी गई।
इसके बाद गांव के लोग और सैलानी सुरक्षित जगह की ओर भागे, लेकिन चार लोग भयानक मंजर में लापता हो गए। वे यहां रोजी-रोटी कमाने आए थे। छलाल पंचायत के प्रधान चुनी लाल ने कहा कि अधिकतर चोजवासी गहर गांव से यहां बसे हैं। एक फोन कॉल ने सैकड़ों लोगों की जान बचाई है।
बादल फटने के बाद मलाणा नाले और चोज गांव में जो तबाही हुई है, वह ताउम्र याद रहेगी। बुधवार तड़के शुरू हुई बारिश ने पार्वती घाटी के कटागला गांव से लेकर मणिकर्ण तथा चोज तक करोड़ों का नुकसान किया है। कटागला गांव के नौमी राम ने कहा कि कटागला गांव में बाढ़ आने से बड़ी मात्रा में भूमि कटाव हुआ है। बाढ़ का मलबा व चट्टानें गांव के आसपास रुक गई हैं। इससे आने वाले दिनों के लिए गांव को खतरा हो गया है।
मलाणा दो प्रोजेक्ट के 25 लोगों ने भागकर बचाई जान मलाणा नाले में आई बाढ़ से जानमाल के साथ भारी नुकसान हुआ है। मलाणा दो पावर प्रोजेक्ट के 25 कर्मचारियों ने भागकर जान बचाई। प्रोजेक्ट कार्यालय में तैनात इन कर्मचारियों को बादल फटने की सूचना उनके सुरक्षा कर्मचारियों ने दी।
इसके बाद कर्मचारी 300 मीटर ऊपर भागे और टनल के अंदर चले गए। टनल में सुरक्षित रहने के बाद कंपनी के अधिकारी व कर्मचारी मौके पर पहुंचे। बताया जा रहा है कि बाढ़ से मलाणा प्रोजेक्ट दो के कार्यालय के साथ उनके सिक्योरिटी गार्ड के लिए बनाए चार शेड भी बह गए हैं।