यहां वोटर्स भांपते हैं किसकी बनेगी सरकार, वीरभद्र सिंह को मिली थी हार

शिमला, 29 अक्तूबर : राजनीति भी ठीक शतरंज की बिसात की तरह ही है। शतरंज के प्यादे की तरह कब, कौन सा  प्यादा चाल बदल ले, गारंटी नहीं होती। महज 10 महीने पहले भाजपा से बगावत कर चेतन बरागटा उप चुनाव (bye election) में निर्दलीय मैदान में उतर गए। पिता स्व. नरेंद्र बरागटा के निधन के बाद सीट रिक्त हुई थी।

भाजपा ने टिकट काटने के पीछे परिवारवाद का तर्क दिया था, लेकिन चंद महीनों में ही भाजपा को गलती का अहसास हो गया। 2022 के चुनाव में जुब्बल-कोटखाई निर्वाचन क्षेत्र (Jubbal-Kotkhai Constituency) से चेतन बरागटा को ही प्रत्याशी बना दिया। खैर, मुकाबला सीधा है। कांग्रेस के टिकट को लेकर रोहित ठाकुर में कोई असमंजस नहीं था, जबकि बरागटा को टिकट मिलने का इंतजार करना पड़ा।

दिलचस्प ये है कि रोहित ठाकुर अपने दिवंगत दादा व पूर्व मुख्यमंत्री राम लाल ठाकुर की विरासत को संभाल रहे हैं, वहीं भाजपा को भी आखिर में पूर्व मंत्री स्व. नरेंद्र बरागटा के बेटे को ही पार्टी की कमान सौंपने पर मजबूर होना पड़ा है। कांग्रेस प्रत्याशी की बुआ सत्या परमार हिमाचल निर्माता डॉ वाई एस परमार (Dr. YS Parmar) की पुत्र वधू भी है।

ये विधानसभा क्षेत्र सेब की पैदावार के लिए अलग पहचान रखता है। विधानसभा क्षेत्र ने सूबे को मुख्यमंत्री के तौर पर रामलाल ठाकुर को दिया। आजादी के बाद हिमाचल को इस निर्वाचन क्षेत्र ने तीन बार मुख्यमंत्री दिया। इस निर्वाचन क्षेत्र के मतदाताओं को सबसे समझदार वोटर भी माना जाता है। निर्वाचित विधायक सत्ता में रहता है। ये अलग बात है कि 2021 के उप चुनाव में भाजपा को ये सीट गंवानी पड़ी थी। चंद महीने निर्वाचन क्षेत्र को विपक्ष में बैठना पड़ा।

उप चुनाव में सहानुभूति की लहर के बावजूद भी निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चेतन जीत हासिल नहीं कर पाए थे। ये अलग बात है कि शानदार वोट लेकर 2022 के चुनाव में टिकट लेने में सफल हुए हैं।

1952 से लगातार सत्ता….
विधानसभा क्षेत्र में सत्ता का साथ दिए जाने की परंपरा 1952 से चल रही है। ऐसा माना जाता है कि यहां के समझदार मतदाता समूचे प्रदेश की लहर को भांप कर अपना विधायक चुनते हैं। 1952 के बाद से 2017 तक विधानसभा चुनाव में ये क्षेत्र केवल एक बार विपक्ष में रहा। नवंबर 2021 से अब तक चंद महीनों के लिए भी निर्वाचन क्षेत्र को विपक्ष में रहना पड़ा।

1977 में कांग्रेस विरोधी लहर के बावजूद भी रामलाल ठाकुर ने बंपर जीत हासिल की थी। पूर्व मुख्यमंत्री रामलाल ठाकुर को 60.19 प्रतिशत वोट प्राप्त हुए थे, जबकि जनता पार्टी के पदम सिंह को 31.4 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे।तकरीबन अढ़ाई साल बाद जनता पार्टी की सरकार गिरी तो दोबारा ये इलाका सत्ता के साथ हो गया।

ये था उपचुनाव का लेखा-जोखा…
नवंबर 2021 के उपचुनाव में भाजपा की नीलम सरैक को 4.67 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। कांग्रेस के रोहित ठाकुर ने 52.9 प्रतिशत वोट हासिल कर सीट भाजपा से छीन ली थी। आजाद प्रत्याशी के तौर पर चेतन सिंह बरागटा को 41.8 प्रतिशत मत पड़े थे। नोटा व आजाद उम्मीदवार को 346 वोट प्राप्त हुए थे।

मतदाताओं का आंकड़ा…
हालांकि, 2022 के चुनाव में भाजपा व कांग्रेस (BJP & Congress) के अलावा आम आदमी पार्टी ने श्रीकांत चौहान को मैदान में उतारा है, जबकि सीपीआईएम (CPIM) ने विशाल शांक्टा को टिकट दिया है। लेकिन अंकगणित कांग्रेस व भाजपा के बीच ही जोड़ा जा रहा है। मुकाबला, त्रिकोणीय होता है या नहीं, इस बारे तो गारंटी से कुछ नहीं कहा जा सकता, लेकिन राजनीति में हरेक संभावना मुमकिन होती है।

ये रहेंगे मुद्दे….
चूंकि, निर्वाचन क्षेत्र की मुख्य नकदी फसल सेब है, लिहाजा “हर गांव तक सड़क”। इसके अलावा सड़कों की खस्ताहालत भी है। इस निर्वाचन क्षेत्र को पर्यटन की दृष्टि से पंख लग सकते थे, लेकिन हमेशा ही सत्ता का सुख भोगने वाले इस हलके को टूरिज्म की दृष्टि से रोडमैप नहीं दिया गया।

…जब मुख्यमंत्री स्व. वीरभद्र सिंह को करना पड़ा था हार का सामना
हिमाचल प्रदेश में जुब्बल कोटखाई निर्वाचन क्षेत्र के मतदाता हालांकि परंपरागत तौर पर कांग्रेस की विचारधारा से जुड़े रहे हैं। ये अलग बात है कि 1990 में एक ऐसा मेंडेट दिया, जो 6 बार के मुख्यमंत्री रहे दिवंगत वीरभद्र सिंह (Late Virbhadra Singh)के राजनीतिक जीवन में कड़वाहट भरा रहा।

1990 में जनता दल के टिकट पर दिवंगत मुख्यमंत्री रामलाल ठाकुर ने स्व. वीरभद्र सिंह को चुनावी मैदान में शिकस्त दी थी। स्व. रामलाल  ठाकुर ने 16,209 मत हासिल किए थे, जबकि दिवंगत वीरभद्र सिंह को 14,723 वोट प्राप्त हुए थे। चूंकि खुद वीरभद्र सिंह को हार मिलने का आभास था, इसी कारण रोहडू निर्वाचन क्षेत्र से भी नामांकन दाखिल किया था।

रोहडू विधानसभा क्षेत्र से वीरभद्र सिंह ने 89.06 वोट हासिल कर एक बंपर जीत हासिल की थी। जनता दल के प्रत्याशी सत्यदेव बुशहरी को मात्र 9.6 प्रतिशत मतों पर संतोष करना पड़ा था। 1990 में जनता दल व भाजपा के गठबंधन वाली सरकार में शांता कुमार मुख्यमंत्री बने थे, लेकिन ये सरकार कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई थी।

महिलाओं के हाथ चाबी…
जुब्बल व कोटखाई विधानसभा क्षेत्र में 73,229 मतदाता हैं। दिलचस्प ये है कि महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों की तुलना में अधिक है। 36,818 महिलाओं की तुलना में 36,411 पुरुष मतदाता हैं। इसमें 162 सर्विस पुरुष मतदाता हैं, जबकि महिलाओं की संख्या 10 है। निर्वाचन क्षेत्र में 75 से 80 प्रतिशत मतदान की संभावना जताई जा रही है।

कितनी संपत्ति के मालिक है चेतन बरागटा और रोहित ठाकुर

 जुब्बल कोटखाई से कांग्रेस के उम्मीदवार रोहित ठाकुर और भाजपा के चेतन बरागटा करोड़ों की संपति के मालिक हैं। मौजूदा विधायक रोहित ठाकुर के परिवार के पास लगभग 10.42 करोड़ की संपत्ति है। चुनावी हलफनामे (Affidavit) में उन्होंने चल संपति 2.77 करोड़ और अचल संपति 7.65 करोड़ बताई है। उन पर 26.50 लाख की देनदारियां भी हैं। नामांकन के दौरान रोहित ठाकुर के पास 30 हज़ार और उनकी पत्नी के पास 20 हज़ार नकदी थी। रोहित ठाकुर के पास 1.90 लाख के जेवर हैं, जबकि उनकी पत्नी के पास 38 लाख रुपए के जेवरात हैं। रोहित ठाकुर के पास 15 लाख रुपये की स्कॉर्पियो भी है। वहीं अचल संपति में उनका जुब्बल के पौता स्थित गांव में 5.20 करोड़ का बगीचा है। इसके अलावा सिरमौर जिला के परूवाला में उनकी 20.76 लाख की भी खेती योग्य जमीन है। रोहित ठाकुर और उनके परिवार के पास सेविंग्स के नाम पर 9 पॉलिसियां हैं।

उधर, जुब्बल कोटखाई से भाजपा ने इस बार चेतन बरागटा को चुनाव मैदान में उतारा है। वह पूर्व मंत्री दिवंगत नरेंद्र बरागटा के बेटे हैं। चेतन बरागटा के पास भी करोड़ों की संपति है। उनके पास 2.23 करोड़ की चल संपति के अलावा 5.16 करोड़ की अचल संपति है। नामांकन के दौरान दिए गए उनके हलफनामे के मुताबिक चेतन बरागटा के पास 1.74 करोड़ और उनकी पत्नी के पास 1.49 करोड़ की चल संपति है। चेतन बरागटा के पास चार गाड़ियां हैं, इनमें 29 लाख की ऑडी कार (audi car), 8.37 लाख की बोलेरो, 13.14 लाख का टाटा ट्रक, और 25 लाख का टोयटा फॉर्च्यूनर शामिल हैं। उनके पास 2.40 लाख और पत्नी के पास 24 लाख की ज्वेलरी है।

वहीं, अचल संपति में कोटखाई में 3.5 हेक्टेयर की कृषि योग्य भूमि है, जिसकी कीमत 1.01 करोड़ है। उन्होंने हलफनामे में ठियोग के बिश्नोग में 23 हेक्टेयर और सोलन के कोटला में एक बीघा गैर कृषि भूमि का भी जिक्र है। इसके अलावा उनका नोएडा में 94 लाख रुपये की कीमत का 1,759 स्क्वायर फुट का एक अपार्टमेंट है।

ये हैं 10 सालों का लेखा-जोखा…
2012 के चुनाव में मौजूदा भाजपा प्रत्याशी के पिता दिवंगत नरेंद्र बरागटा ने 20,124 मत हासिल किए थे, जबकि कांग्रेस के टिकट पर ही रोहित ठाकुर ने 29,219 वोट हासिल कर बरागटा को हराया था।

2017 में कांटे की टक्कर में बरागटा को 1062 मतों से जीत हासिल हुई थी। बरागटा ने 27,466 वोट हासिल किए थे, जबकि रोहित ठाकुर को 26,404 मत प्राप्त हुए थे। अन्य दो प्रत्याशियों ने 659 वोट प्राप्त किए थे। निर्वाचित विधायक नरेंद्र बरागटा के निधन के बाद 2021 में उप चुनाव हुआ। 2017 के 48.42 प्रतिशत की तुलना में रोहित ठाकुर ने 52.92 प्रतिशत वोट हासिल कर भाजपा से इस सीट को छीन लिया।

2017 में नरेंद्र बरागटा को 50.37 प्रतिशत वोट पड़े थे, लेकिन उप चुनाव में उनके बेटे चेतन सिंह बरागटा को 41.80 पर संतोष करना पड़ा।