: चुराह क्षेत्र के एक विद्युत प्रोजैक्ट में तैनात इंजीनियर ने पानी के नल से बिजली तैयार कर दी है। तैयार की गई बिजली के सफल ट्रायल के दौरान 3 बल्ब जले हैं। पेशे से इंजीनियर हनीफ मुहम्मद विद्युत परियोजना आई. एनर्जी में बतौर प्रभारी ट्रांसमिशन लाइन काम कर रहे हैं। रोजाना काम करने से प्रेरित होकर हनीफ मुहम्मद ने एक माइक्रो प्रोजैक्ट तैयार करने की योजना बनाई। इस कार्य में उन्हें अपनी टीम का पूरा सहयोग मिला। काफी मेहनत करने के बाद हनीफ मुहम्मद और उसकी टीम ने एक माइक्रो प्रोजैक्ट तैयार किया। माइक्रो प्रोजैक्ट से पैदा होने वाली बिजली से स्ट्रीट लाइटों को भी सप्लाई कर सकते हैं, जिससे बिना किसी अतिरिक्त खर्च के गली-मोहल्ले में रोशनी कर सकते हैं। इससे ऊर्जा की बचत भी होगी और खर्चा भी कम आएगा। इसका इस्तेमाल घरों में भी किया जा सकता है और अन्य उपकरणों को भी चलाया जा सकता है, ऐसे में बिजली की समस्या से जूझ रहे लोगों के लिए यह प्रोजैक्ट किसी वरदान से कम नहीं है क्योंकि इसका इस्तेमाल काफी आसान तरीके से किया जा सकता है।
प्रोजैक्ट को तैयार करने के लिए प्रोजैक्ट प्रबंधक ने किया प्रेरित
हनीफ मुहम्मद का कहना है कि माइक्रो प्रोजैक्ट तैयार करना उनका सपना था, जिससे लोग आसानी से घरों में बिजली तैयार कर सकें। वहीं उन्हें इस प्रोजैक्ट को तैयार करने के लिए प्रोजैक्ट प्रबंधक डीआर शर्मा ने काफी प्रेरित किया। उनकी प्रेरणा से उन्होंने इस यंत्र को तैयार किया। उनकी इस टीम में तेज सिंह, हेम राज, नुर्ध राम, हीरा लाल, ठाकुर दास व ओम प्रकाश का काफी सहयोग मिला।
हाथ से घुमाने पर भी तैयार होगी बिजली
इस माइक्रो प्रोजैक्ट यंत्र को ऑप्रेेट करना काफी आसान है। नल के पानी से तो यह यंत्र बिजली तैयार करेगा ही, साथ ही हाथ से घुमाने पर भी यह बिजली तैयार करता है। हाथ से घुमाने के लिए ज्यादा मेहनत की जरूरत नहीं है क्योंकि हल्का-सा घुमाने पर यह यंत्र आसानी से घूमने लगता है। माइक्रो प्रोजैक्ट की लागत बहुत ही कम है। आम आदमी भी इसे अपने घर ला सकता है। इसकी लागत काफी कम है। इसको घर पर इस्तेमाल करने से हमें बिजली के अघोषित कटों से परेशान भी नहीं होना पड़ेगा। वहीं बिजली चले जाने पर इसे चलाकर हम घर में रोशनी कर सकते हैं। इसलिए लोग कम लागत में अपने घर में बिजली तैयार कर सकते हैं।
मंकी गन बनाने के बाद सुर्खियों में आए थे इंजीनियर हनीफ ।
हनीफ ने इससे पूर्व मंकी गन बनाने का का कार्य भी पूरा किया था, जिसके लिए उन्हें जिला प्रशासन की तरफ से सम्मानित भी किया गया था। मंकी गन से मक्की के खेतों में बंदरों को आसानी से भगाया जा सकता है। महज 1100 रुपए कीमत की मंकी गन आने के बाद कई किसानों ने दोबारा से अपने खेतों में मक्की बिजाई का कार्य शुरू किया, जो बंदरों के डर से मक्की की बिजाई करना छोड़ चुके थे।
क्या बोले आई. एनर्जी हाईड्रो प्रोजैक्ट के प्रबंधक
आई. एनर्जी हाईड्रो प्रोजैक्ट के प्रबंधक डीआर शर्मा ने बताया कि हनीफ मुहम्मद ने इस माइक्रो प्रोजैक्ट को तैयार करने में काफी दिलचस्पी दिखाई। इस प्रोजैक्ट को बहुत कम समय में उन्होंने तैयार किया है। इससे पहले उन्होंने कई और जरूरी प्रोजैक्ट तैयार किए हैं। अगर यह किसी और प्रोजैक्ट को तैयार करें तो हम उनका पूरा सहयोग करेंगे